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Chetan prakash's Blog (3)

याद उस ग़रीब को भी कर लीजै

याद उस गरीब को भी ....
याद उस गरीब को भी कर लीजै
अदना सा था वो गोद में भर लीजै.
इरादा फौलादी था उसका, दोस्तों
नाम आज तो उसका भी ले लीजै.
पैंसठ में जो मार दी जुनूनी को, उसे
आज तक नहीं भूला, याद कर लीजै.
जय जवान-जय किसान का नारा दिया
जगाया भारत को उसे याद कर लीजै.
रहबर ही दुश्मनों से साज था, 'चेतन'
शास्त्री जी की आज तो खबर ले लीजै

Added by chetan prakash on October 2, 2010 at 7:30pm — 6 Comments

ग़ज़ल.... "कमी रह गई"

वो गया तो गया चांदनी भी गयी.
भागते सावनों की रजा रह गयी.

ज़ाहिरा जागते तीरगी सो गयी.
जाग जा अब न तेरी धमक रह गयी.

ज़िन्दगी रेत का ढेर थी बागवाँ
सामना आँधियों का न था, रह गई.

दोड़ते हाँफते रहगुज़र हम रहे
होंसले में कभी ना कमी रह गई

जानता था कि वो चापलूसी न थी
मिलन क़ी आरज़ू थी, रह गई.

या खुदा आसरा ताउम्र तू रहा
आजमा ले मुझे, ना कमी रह गई.

Added by chetan prakash on September 22, 2010 at 8:00pm — 4 Comments

मैं बांधना चाहता हूँ राखी......

मैं बांधना चाहता हूँ राखी
आज रक्षा-बंधन के त्यौहार
हाथ में लिए फूलों का हार
बिटिया, राखी तुम्हारी कलाई
तुम्हे कृतज्ञता -वश......
जब-जब भी मुझे खांसी आई
या थोडा सा जुकाम हुआ.....
फोन की घंटी घड़-घ|ने लगती है ...
पापाजी कैसे हैं ? मम्मी!
जल्दी बताओ ! मेरा दिल डूबा जा रहा है ,
क्यों कि रात के अंतिम प्रहर में ,
मैंने एक सपना देखा है ....
पापाजी बीमार हैं
कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है ....

Added by chetan prakash on August 24, 2010 at 9:30pm — 5 Comments

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