For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU''s Blog – January 2013 Archive (3)

राजी कैसे मन को कर लूं मैं गणतंत्र मनाने को?

आओ मिल गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रगान का गान करें,

संकल्पित सपनों की आओ फिर से नयी उड़ान भरें.

नये जोश से ओत प्रोत हो हम गणतंत्र मनाते हैं,

लोकतंत्र में हो स्वतंत्र हम राष्ट्र गीत को गाते हैं..

किन्तु चाहता प्रश्न पूंछना लोकतंत्र रखवारों से,

सार्थकता क्या बची रहेगी इन ओजस्वी नारों से.

क्या तुमको भूंखे बच्चों की चीख सुनाई देती है,

क्या तुमको कोई अबला की पीर दिखाई देती है.

क्या तुमने बेबस माँओं की गोद उजड़ते देखा है.

कितनी मांगों…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 26, 2013 at 2:30pm — 2 Comments

आक्रोश

घटना ऐसी घटित हो गयी सुनकर भारत रोया है,

वीर सपूतो को फिर से इस मात्रभूमि ने खोया है.

छल कर गया पड़ोसी उसने अपनी जात दिखा डाली,

सोते सिंहो पर हमला अपनी औकात दिखा डाली.

खून हमारा उबल उठा है पाक तेरी नादानी से,

दिल्ली कैसे सहन कर गयी सोंचू मै हैरानी से.

आज हमारी सहनशक्ति का बाँध तोड़ डाला तूने,

सोये सिंह जगाकर अपना भाग्य फोड़ डाला तूने.

अरे भेंड़िये कायरपन पर बार-बार धिक्कार तुझे,

हिन्दुस्तानी बच्चा-बच्चा देता है ललकार तुझे.

कूटनीति अपनाने वाले…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 12, 2013 at 9:30am — 12 Comments

दीवाने कहाँ जायें

अफ़सोस है दुनिया में दीवाने कहाँ जायें.

शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.



यातना वंचना असह्य हो,

सहचरी वेदना बनी सदा.

निर्जन पथ निर्मम मीत मिला,

व्याकुल करती मदहोश अदा.

उलझन में पड़ा जीवन सुलझाने कहाँ जायें.

शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ जायें.



पल में विचलित कर देती हैं,

ये प्यार मुहब्बत की बातें.

नयनों मे कोष अश्रुओं का,

क्यूँ काटे नहीं कटती रातें.

राँझा की तरह बोलो मिट जाने कहाँ जायें..

शम्मा से भला बचकर परवाने कहाँ…

Continue

Added by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on January 10, 2013 at 8:00pm — 10 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार । सहमत"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"हार्दिक आभार आदरणीय"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आ. भाई सशील जी, शब्दों को मान देने के लिए आभार। संशोधन के बाद दोहा निखर भी गया है । सादर..."
17 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .राजनीति

दोहा पंचक. . . राजनीतिराजनीति के जाल में, जनता है  बेहाल । मतदाता पर लोभ का, नेता डालें जाल…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post बेटी दिवस पर दोहा ग़ज़ल. . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  अबला बेटी करने से वाक्य रचना…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on KALPANA BHATT ('रौनक़')'s blog post डर के आगे (लघुकथा)
"आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। अच्छी कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है सर । हार्दिक बधाई"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .राजनीति
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।सहमत देखता हूँ"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for Radheshyam Sahu 'Sham'
"आ. भाई राधेश्याम जी, आपका ओबीओ परिवार में हार्दिक स्वागत है।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शिवजी जैसा किसने माथे साधा होगा चाँद -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२२२ २२२२ २२२२ २**पर्वत पीछे गाँव पहाड़ी निकला होगा चाँद हमें न पा यूँ कितने दुख से गुजरा होगा…See More
yesterday
Radheshyam Sahu 'Sham' is now a member of Open Books Online
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service