For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Anil Chauhan '' Veer"'s Blog (5)

कि तुझसे हो के, हर एक शेर हर ग़ज़ल गुज़रे...

कुछ इस तरह से, मेरी ज़िन्दगी का पल गुज़रे ।

ह्रदय की पीर, मेरे आंसुओं में ढल गुज़रे ।।

तुझे मै देख के लिक्खूं , या सोच के लिक्खूं ।

कि तुझसे हो के, हर एक शेर हर ग़ज़ल गुज़रे ।।

यूँ तो एक रोज़ गुज़ारना है दिल की धड़कन को ।

पर तुझे देख के धडके, धड़क के दिल गुज़रे ।।

वो तेरा दर की जहाँ हम बिछड़ गए थे कभी ।

हो के हर रोज़ उसी दर से, ये पागल गुज़रे ।।

वो एक दिन की वीर खुशियों का सिकंदर था ।

ये एक दिन, की तेरे गम…

Continue

Added by Anil Chauhan '' Veer" on September 12, 2013 at 11:00am — 6 Comments

शायर की शायरी के लिए जान हैं आँखें.....

आशिक के दिल की ख्वाहिशो अरमान हैं आँखें । 

कुछ दिन से ये लगता है, परेशान हैं आँखें ॥ 

एक दिन तुझे देखा था, किसी राहगुज़र पे । 
उस दिन से उसी राह पे, मेहमान हैं आँखें ॥ 
 
होती हैं मेहरबाँ, तो ये उठकर के हैं गिरतीं । 
हो जाएँ बेमेहर, तो तूफ़ान हैं आँखें ॥ 
 
महबूब की कुर्बत में चमकती हैं ये अक्सर ।     
मौसम हो जुदाई का, तो बेजान हैं आँखें…
Continue

Added by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 10:10pm — 12 Comments

वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी जाती है

वो देश जहाँ नारी महिमा, सदियों से गायी  जाती है । 

द्रौपदी, गार्गी और सीता, की कथा सुनाई  जाती है ॥ 
.
वो देश जहाँ के संस्कारों की, विश्व दुहाई देता है । 
वो देश जहाँ नारी हित में, तलवार उठाई जाती है ॥
.
उस देश की हालत देख…
Continue

Added by Anil Chauhan '' Veer" on September 10, 2013 at 9:00am — 19 Comments

तुझको देखूं, तुझे चाहूँ, तुझी से प्यार करूँ...

तुझको देखूं, तुझे चाहूँ, तुझी से प्यार करूँ । 

तेरे सिवा न किसी पर भी ऐतबार करूँ ॥ 

तू न आई है, ना आएगी, मेरे मिलने को । 

ये जानकर भी, मै बस तेरा इंतज़ार करूँ ॥

तू पशेमा नहीं होती है, बेवफा होकर । 

मै  वफ़ा करके भी, अपने को शर्मसार करूँ ॥ 

तेरी रातें तो महकती हैं गुलाबों की तरह । 

अपनी रातों को बता कैसे लालाज़ार करूँ ॥ 

नींद उड़ जाए तेरी, जब भी मेरा नाम आये । 

मै  चाहता हूँ तुझे, कुछ  ऐसे बेक़रार…

Continue

Added by Anil Chauhan '' Veer" on September 7, 2013 at 6:50am — 17 Comments

तुमने हारा है मुझपे दिल अपना...

तेरे चेहरे में वो खुमारी है, रात करवट बदल गुज़ारी  है ।

तुमने हारा  है मुझपे दिल अपना,हमने भी तुमपे नींद हारी है ॥

 

तुम भी सोते नहीं हो रातों को,

हम भी बस करवटें बदलते हैं ।

तुम शमा बन के उधर जलते हो,…

Continue

Added by Anil Chauhan '' Veer" on September 6, 2013 at 6:30am — 25 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service