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Seemahari sharma's Blog – October 2014 Archive (6)

गलती क्या थी मेरी माई.......गीत

'गलती क्या थी मेरी माई'



आज खबर एक फिर है आई

गर्भ में ही मासूम मिटाई।



पति भूला पितृत्व भी अपना

सास ससुर का 'वंश'का सपना

देख दशा नारी जीवन की

मौन मुहर उसने भी लगाई।...आज खबर



जीवन उसका लगा दाँव पर,

मृत्यु ने दस्तक दी ठाँव पर,

घबराये सब घर भर वाले,

खबर मायके तक पहुंचाई।...आज खबर



मात-पिता का फटा कलेजा,

भाई ने संदेसा भेजा,

बहना को गर कहीं हुआ कुछ,

अब खैर ना रही तुम्हारी।...आज खबर



भाभी ने आकर… Continue

Added by seemahari sharma on October 19, 2014 at 4:34pm — 11 Comments

धरती माँ.....

धरती माँ.....



प्राण प्रकृति सब कुछ झुलसाना

सूर्य हुआ है मनमाना।

मर्जी अपनी आना जाना

मेघ हुआ है मस्ताना।



तप्त पीत प्रकृति कर डाली

घैर्य धरा का जाँच रहा।

हँसता मुस्काता जन जीवन

निष्ठुर दिनकर दाघ रहा।

विनय कर रही धरती माता

मेहा जल्दी आ जाना।



कुपित हो गए काले मेघा

जमकर बरखा बरसाई।

रश्मि सँग रवि बंदी बनाया

ऊषा बिन लाली आई।

धरती माँ फिर विनय कर रही

सूर्य देवता आ जाना।

सीमा हरि शर्मा… Continue

Added by seemahari sharma on October 18, 2014 at 2:43pm — 8 Comments

गीत : जीवन चुपके से बीत गया*

*जीवन चुपके से बीत गया*



जीवन का जो पल बीत गया

जो पल जीने से शेष रहा

पहचान नहीं कर पाया मन,

पल धीरे धीरे रीत गया

जीवन .....



ऐसे जी लूँ वैसे जी लूँ

जीवन कैसे कैसे जी लूँ

तैयारी मन करता ही रहा,

रोज लिखूँ कोई गीत नया।

जीवन....



सब अंधी दौड़ के प्रतियोगी

योगी मन भी बनते भोगी

अजब निराली मन की तृष्णा,

जब भी जीती मन भीत गया।

जीवन.....



खुद को जानूँ जग को मानूँ

जीवन रहस्य सब पहचानूँ

जग सृजक…

Continue

Added by seemahari sharma on October 16, 2014 at 10:30am — 18 Comments

बदलाव....कहाँ से (लघु कथा)

बदलाव....कहाँ से ! (लघु कथा)



"गाड़ी एक घंटा लेट है।" आदित्य ने घड़ी देखते हुए कहा।

"अच्छा ही हुआ लेट है...वरना मिलती भी नहीं।" अंजनी के चेहरे पर थकान दिखाई दे रही थी।

तभी वहाँ दो बालक आए....मैले कुचेले कपड़े. ..अस्त व्यस्त बाल बड़े की उम्र 7-8 साल के लगभग होगी छोटा बहुत छोटा ओर मासूम दिख रहा था।

"बाबूजी पॉलिश कर दूँ ?"बड़े ने पास आकर पुछा।

आदित्य ने जूते उतारते हुए कहा....कर दे...जल्दी करना ट्रेन आने वाली है।

"अभी करता हूँ साब।" उसने तपाक से अपने मटमैले झोले… Continue

Added by seemahari sharma on October 13, 2014 at 5:34pm — 14 Comments

गाँव आ गया.....

* गाँव आ गया*



उबड़ खाबड़ सड़कें,गाड़ी

हिचकोले खाती।

सड़क किनारे लगीं सब्जियाँ

मन में बस जातीं

शुद्ध हवा साँस खिल आए।

गाँव आ गया।



पानी लेने ललनाएँ भी

दूर दूर आती।

सिर काँधें पर धरी गगरियाँ

छलक छलक जाती।

गागर कटि संग लचकी जाये।

गाँव आ गया।



लिपे पुते हैं सजे धजे से

आँगन दालानें।

भोली भाली सरल सहज सी

निश्छल मुस्कानें।

आँगन को तुलसी महकाये।

गाँव आ गया।



आम नीम जामुन कनेर के

पग… Continue

Added by seemahari sharma on October 8, 2014 at 4:35pm — 6 Comments

दीप जलाएँ....

'दीप जलाएँ....



मावस का तम घना मिटाएँ

आओ सब मिल

दीप जलाएँ।



महकाएँ घर आँगन द्वारे

स्वच्छ करें गलियाँ चौबारे

कटुता के सब महल ढहाएँ

हिलमिलकर यह

पर्व मनाएँ।



अम्बर का तम मिट ना पाया

अनगिन तारे थाल सजाया

तम की शिला भेद जो पाएँ

दीप माल से

धरा सजाएँ।



घर जो उजियारे को तरसे

माँ लक्ष्मी की कृपा यूँ बरसे

दीप पर्व वो सभी मनाएँ

खील बतासे

ना मुरझाएँ।

आओ मिल सब

दीप जलाएँ।

सीमा हरि… Continue

Added by seemahari sharma on October 7, 2014 at 7:18pm — 16 Comments

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