For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Gumnaam pithoragarhi's Blog – July 2014 Archive (8)

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

२२  २२  २२  २

 

दीवारों को दर कर लें

ऐसा अपना घर कर लें

 

वरना होगा शोर बहुत

ज़ख्मों को अक्षर कर लें

 

झुकने को तैयार रहे

ऐसा अपना सर कर लें

 

मान बढ़ेगा नारी का

लज्जा को ज़ेवर कर लें

 

है कीमत जीवन की ,गर

यादों को हम जर कर लें

 

जीना आसां होगा , गर

गुमनाम हमसफ़र कर लें

 

मौलिक व अप्रकाशित

Added by gumnaam pithoragarhi on July 31, 2014 at 9:30pm — 7 Comments

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

२२  २२  २२   २२

 

सन्नाटा भी पसरा सा है

उसका कमरा बिखरा सा है

 

अब तुम पास नहीं हो ,शायद

उसका मुखड़ा उतरा सा है

 

बुत  से कैसा कहना सुनना

हाफ़िज़ भी तो बहरा सा है

 

जीवन हुआ दिसंबर जैसा

आँखों में क्यों कुहरा सा है

 

देख के तुझे लगता है ये

चाँद कांच का कतरा सा है

 

गुमनाम बना लो घर कोई

अब खंजर का खतरा सा है

 

मौलिक व अप्रकाशित

 गुमनाम पिथौरागढ़ी

Added by gumnaam pithoragarhi on July 29, 2014 at 2:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

ये  तो गूंगों की नगरी है भैया जी

सरकार हमारी बहरी है भैया जी

 

दंगों में दोस्त दोस्त क्यों मरते हैं

प्यार मुहब्बत भी बकरी है भैया जी

 

राजा को वनवास कहाँ अब मिलता है

आस लगाये अब शबरी है भैया जी

 

दिखावटी का अफ़सोस जताता है वो

वो शख्स बड़ा ही शहरी है भैया जी

 

कुछ खत जले कहीं जब शहनाई गूँजी

आशिक की डूबी गगरी है भैया जी

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

Added by gumnaam pithoragarhi on July 24, 2014 at 10:00pm — 8 Comments

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़

२१२२  १२२२   २

झोपड़ी को डुबाने निकले
सारे बादल दिवाने   निकले

खेत घर हो गए बंजर से
बच्चे बाहर कमाने  निकले

द्रोपदी सी प्रजा है बेबस
जब से राजा ये काने  निकले

आदमी भूल आदम की पर
पाक खुद को बताने  निकले

जब्त गम को किया तब हम भी
इस जहां को हँसाने  निकले

माँ को खोया तो समझा मैंने
हाथ से जो खजाने  निकले

मौलिक व अप्रकाशित

गुमनाम पिथौरागढ़ी

Added by gumnaam pithoragarhi on July 22, 2014 at 7:00pm — 10 Comments

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

१२२२   १२२२   १२२२    १२२२ 

 

मिलो गर ज़िन्दगी से तुम कोई फ़रियाद मत करना

बिठाना बैठना हँस  लेना दिल  नाशाद  मत करना

 

रखो दिल  काबू में  पहली नज़र के प्यार में यारो

जमाना कहता खुद को कैस ओ फरहाद मत करना

 

किताबें मजहबी रहने दो इन अलमारियों में बंद

मिलो जो आदमी से पोथियों को याद मत करना

 

सियासत की फरेबी चाल में फंसकर ऐ लोगो तुम

मुहब्बत चैन अमन को तुम कभी बर्बाद मत करना

 

मैं उधड़े जख्मो की तुरपाई…

Continue

Added by gumnaam pithoragarhi on July 16, 2014 at 11:00pm — 15 Comments

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२२     २१२२   २…

Continue

Added by gumnaam pithoragarhi on July 13, 2014 at 1:01pm — 8 Comments

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

२२ २२ २२ २२ २२ २२ २



पीते अश्क़ समंदर के आवारा ये बादल

लुटते हैं दुनिया के लिए हमेशा ये बादल



माँगा नहीं हिसाब कभी अपने अहसानो का

निभा रहे हैं दस्तूर भी निराला ये बादल



हर एक चेहरे पर देखो प्यास झुलसती सी

किसकी प्यास बुझाए एक अकेला ये बादल



कभी रुलाये कभी हसए बतियाये संग में

कजरारी आँखों की याद दिलाता ये बादल



गरजकर सुनाये हाले दिल भी अपना लेकिन

सब दरवाजे बंद खड़ा तनहा ये बादल



दुनिया में…

Continue

Added by gumnaam pithoragarhi on July 11, 2014 at 4:00pm — 7 Comments

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

जब यादों की शबनम रोती है   

तब सारी शब नम सी होती है



मेरी परवाह करे क्यों दुनिया

ज़ख्मो पर वाह सदा होती है



जगमग देखी जो मेरी दुनिया

जग मग में खार पिरोती हैं

प्रिय तम में उसको छोड़ गया

वो प्रियतम की खातिर रोती है



मूसा फिर आये राह दिखाने

राह…

Continue

Added by gumnaam pithoragarhi on July 1, 2014 at 4:00pm — 11 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
2 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
5 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
20 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service