For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ''s Blog – May 2019 Archive (3)

वफ़ा ढूंढते हो जफ़ा के नगर में यहाँ पर वफ़ा अब बची ही कहाँ है (४५ )

(१२२ १२२ १२२ १२२ १२२ १२२ १२२ १२२ )

.

वफ़ा ढूंढते हो जफ़ा के नगर में यहाँ पर वफ़ा अब बची ही कहाँ है 

बुझी है वफ़ा की मशालें दिलों से वफ़ा का नहीं कोई नाम-ओ-निशाँ है 

**

यहाँ राज करते हवस के पुजारी किसी की नहीं है मुहब्बत से यारी 

इधर बेवफ़ाओं का लगता है मेला कोई बावफ़ा अब न मिलता यहाँ है 

**

इधर पैसा फेंको दिखेगा तमाशा अगर जेब ख़ाली मिलेगी हताशा 

इधर है न…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 31, 2019 at 4:30pm — 2 Comments

रंज-ओ-ग़म हो न अगर आँखें कभी रोती क्या ?(४४)

(२१२२ ११२२ ११२२ २२/११२ )

.

रंज-ओ-ग़म हो न अगर आँखें कभी रोती क्या ?

बेसबब साहिल-ए-मिज़गाँ पे नमी होती क्या ?

**

ज़ख़्म ख़ुद साफ़ करें और लगाएं मरहम

ज़ख़्म क़ुदरत किसी के ज़िंदगी में धोती क्या ?

**

चन्द लोगों के नसीबों में लिखी है ग़ुरबत

ज़ीस्त सबकी ग़मों का बोझ कभी ढोती क्या ?

**

बाग़बाँ फ़र्ज़ निभाता जो तू मुस्तैदी से

तो कली बाग़ की अस्मत को कभी खोती क्या ?

**

क्यों किनारे पे कई बार सफ़ीने डूबे

इस तरह रब कभी क़िस्मत किसी की…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 28, 2019 at 12:30am — 4 Comments

कितना अफ़्कार में मश्ग़ूल हर इक इन्साँ है(४३ )

कितना अफ़्कार में मश्ग़ूल हर इक इन्साँ है 

कोई बेफ़िक्र अगर है तो सियासतदाँ है 

**

ख़ाक उड़ती है जिधर देखूँ उधर सहरा-सी 

इस क़दर दिल का नगर आज मेरा वीराँ है 

**

बात गुस्से में कही फिर से ज़रा ग़ौर तो कर 

"जी ले तू प्यार के बिन " कहना बहुत आसाँ है 

**

कोई अफ़सोस नहीं गर मेरी रुसवाई का 

शर्म से क्यों हुई ख़म यार तेरी मिज़गाँ…

Continue

Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on May 26, 2019 at 9:30pm — 2 Comments

Monthly Archives

2022

2021

2020

2019

2018

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
10 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
19 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service