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Moin shamsi's Blog – March 2011 Archive (2)

होली-ग़ज़ल

प्रेम के रंग में सब रंग जाएं, दिन है ठेल-ठिठोली का

मिटें नफ़रतें बढ़े मुहब्बत, तभी मज़ा है होली का ।



एक न इक दिन भर जाते हैं, घाव बदन पर जो लगते

ज़ख़्म नहीं भरता है लेकिन, कभी भी कड़वी बोली का ।



ज़ात-धरम-सिन-जिंस न देखे, बदन में जा कर धंस जाए

कोई अपना सगा नहीं होता, बंदूक़ की गोली का ।



कभी महल में रहता था वो, क़िस्मत ने करवट बदली

नहीं किराया दे पाता है, अब छोटी-सी खोली का ।



दूर से तुम अहवाल पूछ कर, रस्म अदा क्यों करते हो

पास… Continue

Added by moin shamsi on March 19, 2011 at 9:24pm — No Comments

होली की कविता

रंग-बिरंगी प्यारी-प्यारी,
होली की भर लो पिचकारी ।

इक-दूजे को रंग दो ऐसे,
मिटें दूरियां दिल की सारी ।

तन भी रंग लो मन भी रंग लो,
परंपरा यह कितनी न्यारी ।

रंगों का त्योहार अनोखा,
आज है पुलकित हर नर-नारी ।

प्रेम-पर्व है आज बुझा दो,
नफ़रत की हर-इक चिंगारी ।

जाति-धर्म का भेद भुला दो,
मानवता के बनो पुजारी ।

मेलजोल में शक्ति बहुत है
वैर-भाव तो है बीमारी ।

Added by moin shamsi on March 19, 2011 at 9:23pm — No Comments

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