For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Manoj Nautiyal's Blog – February 2013 Archive (7)

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए

दोस्तों एक गजल लिखने की कोशिश की है अपने कुछ मित्रों के सहयोग से आशा है आप लोग अवलोकित करके मुझे मार्गदर्शित करेंगे |

+++++++++++++++++++++++++++++

जूनून -ए-इश्क में आबाद, ना बर्बाद हो पाए 

मुहब्बत में तुम्हारी कैद ना ,आज़ाद हो पाए ||



कहानी तो हमारी भी बहुत ,मशहूर थी लेकिन 

जुदा होकर न तुम शीरी न हम, फरहाद हो पाए ||



न कुछ तुमने छुपाया था ,न कुछ हमने छुपाया था 

न तुम…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on February 25, 2013 at 6:00pm — 12 Comments

राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी

+++++++++++++++++++++++++++++++++++

राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी 

मजहब के मंदिर मस्जिद पर बलि का बकरा आम आदमी ||

राजतंत्र के भ्रष्ट कुएं में पनपे ये आतंकी विषधर 

विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||



क्या है हिन्दू, क्या है मुस्लिम क्या हैं सिक्ख इसाई प्यारे 

लहू एक हैं - एक जिगर है एक धरा पर बसते सारे 

एक सूर्य से रौशन यह जग , एक चाँद की…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on February 22, 2013 at 4:14pm — 4 Comments

कृष्ण -सुदामा मित्रता चित्रण

मित्रों संसार में मित्रता का सबसे बड़ा उदाहरण है कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वृत्तांत | उसी करुण मित्रता के दृश्य को एक रचना के माध्यम से लिखने का प्रयास किया है | कृपया आप अवलोकित करें |



एक बार द्वारिका जाकर बाल सखा से मिल कर देखो 

अपने दुःख की करुण कहानी करूणाकर से कह कर देखो ||



हे नाथ ! दशा देखो घर की, दुःख को भी आंसू आयेंगे 

तुम्हरी , मेरी तो बात नहीं बच्चों को क्या समझायेंगे ?

भूखी , नंगी व्याकुलता के दर्शन हैं…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on February 19, 2013 at 5:55pm — 3 Comments

द्रोपदी विरह

मित्रों , सुप्रभात | यह रचना है कुरुवंश के दरबार में जब पांडव द्यूत गृह में कौरवों से हार जाते हैं और इस हार जीत के खेल में इतिहास की यह पहली घटना है जब एक नारी को भी दांव पर लगाया जाता है | द्रोपदी को दुशासन खींच कर सभा में ले आता है | और फिर द्रोपदी सभी कुरुवंशी अपने अग्रजों को धिक्कारती है | तो लीजिये यह रचना आपके अवलोकन हेतु ||

++++++++++++++++++++++++++++++++



हे कुरुवंशी राज्यसभा में सम्मानित जन मंच…
Continue

Added by Manoj Nautiyal on February 19, 2013 at 9:37am — 5 Comments

दिया अब सब्र का भी बुझ रहा ...

‎+++++++++++++++++++++++++++++++

दिया अब सब्र का भी बुझ रहा अंतिम बगावत है

मगर ये रात खुलती ही नहीं लम्बी अमावस है ||



तमन्ना की जमीं पर जब कभी भी घर बनाया था 

हकीकत की लहर ने एक पल में सब डुबा डाला |

मेरी कोशिश मनाने की अभी तक भी निरंतर है 

सभी नाराज होने की वजह को भी मिटा डाला ||



तुम्हारा रूठना अब लग रहा मुझको क़यामत है 

सभी आदत बदल लूँगा…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on February 18, 2013 at 3:00pm — 16 Comments

प्रेम तत्व का सार कृष्ण है जीवन का आधार कृष्ण है |

मित्रों गोपियों के विरह को और उनके कृष्ण प्रेम को महसूस करने की कोशिश की है ....... आशा है आपको यह गीत पसंद आएगा 

++++++++++++++++++++++++++++++++++



प्रेम तत्व का सार कृष्ण है जीवन का आधार कृष्ण है |

ब्रह्म ज्ञान मत बूझो उद्धव , ब्रह्म ज्ञान का सार कृष्ण हैं ||



मुरली की धुन सामवेद है , ऋग् यजुर आभा मुखमंडल 

वेद अथर्व रास लीला है ,शास्त्र ज्ञान कण कण…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on February 6, 2013 at 1:00pm — 11 Comments

आंसू ...........ख़ुशी को ये भिगाते हैं ग़मों को ये जलाते हैं

ख़ुशी को ये भिगाते हैं ग़मों को ये जलाते हैं

बिना बोले कभी आंसू बहुत कुछ बोल जाते हैं

समझने के लिए इनको मोहोब्बत का सहारा है

......नहीं तो देखने वाले तमाशा ही बनाते हैं ||

सिसक हो बेवफाई की कसक चाहे जुदाई की

पिघलता है सभी का दिल हवन की आहुती जैसे

ख़ुशी नमकीन पानी से अधिक रंगीन बनती है

कभी आंसू लगे सैनिक कभी हो सारथी जैसे ||

कहीं जब दूर जाए लाडला माँ से जुदा होकर

बहाए प्रेम के मोती दुआएं जब निकलती हैं

करे जब याद माँ का घर बहू जो बन…

Continue

Added by Manoj Nautiyal on February 1, 2013 at 4:30pm — 8 Comments

Monthly Archives

2013

2012

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service