For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मित्रों , सुप्रभात | यह रचना है कुरुवंश के दरबार में जब पांडव द्यूत गृह में कौरवों से हार जाते हैं और इस हार जीत के खेल में इतिहास की यह पहली घटना है जब एक नारी को भी दांव पर लगाया जाता है | द्रोपदी को दुशासन खींच कर सभा में ले आता है | और फिर द्रोपदी सभी कुरुवंशी अपने अग्रजों को धिक्कारती है | तो लीजिये यह रचना आपके अवलोकन हेतु ||
++++++++++++++++++++++++++++++++

हे कुरुवंशी राज्यसभा में सम्मानित जन मंच विराजित
वस्तु समझ कर नारी को यूँ करते हो क्यूँकर अपमानित ||

अस्मत आज भले ही मेरी, लूट रहे हैं वंशज मिलकर
कल इतिहास बनेगा यह दिन, थूकेगा जग हर कौरव पर
अंधों की मर्यादा का क्या अवलोकन मै करूँ धृष्ट जी
अर्ध अंग गांधारी जिसकी आँख ढके हो खड़ी बराबर ||

क्या अभिवादन दूं , मै तुमको वीर कहूँ या धर्म पराजित
हे कुरुवंशी राज्यसभा में सम्मानित जन मंच विराजित ||

तुमको भी धिक्कार युधिष्टिर बड़े धर्म के अनुयायी हो
तुम तो उठ जाते झुक जाते इन सबके अग्रज भाई हो
कैसे तुमने स्वाभिमान की बलिवेदी पर मुझे लुटाया
भूल गए वह वचन कहा था तुम तो मेरी परछाई हो ||

पांचाली का प्रेम शब्द तो रहा हमेशा ही अविभाजित
हे कुरुवंशी राज्यसभा में सम्मानित जन मंच विराजित ||

गुरुवर द्रोंण आपको भी मै अपराधी घोषित करती हूँ
एकलव्य के शोषण कर्ता हो मै ,परिभाषित करती हूँ
अपनी बेटी को क्या ऐसे सार्वजनिक देख सकते थे ?
सब हैं शिष्य आपके गुरुवर धन्य- धन्य बोधित करती हूँ

ज्ञान आपका द्रोंण आज ये कर्म कर रहा है अति घृणित
हे कुरुवंशी राज्यसभा में सम्मानित जन मंच विराजित ||

कृपाचार्य जी क्या बोलूं मै अजर -अमर जीवन धारी को
शरण आपकी आने से क्या मोक्ष मिलेगा इस नारी को ?
राजनीति को ख़ाक पता होगा पांचाली का यह रूदन
पंडित होकर भी जिस मन पर धर्म विरोधी किलकारी हो ||

आचार्यों की दृष्टि झुकी ज्यूँ अन्ध वंश को हुयी समर्पित
हे कुरुवंशी राज्यसभा में सम्मानित जन मंच विराजित ||

क्या बोलूं मै भीष्म आपकी प्रतिज्ञा के समझौते को
मुझे पता है नहीं रोक सकते हो तुम अपने पोते को
जिसने अपनी प्रतिज्ञा की खातिर अम्बा को रुलवाया
दुशासन की दुष्ट नीति पर आप मौन साध देते हों ||

हे गंगा के पुत्र भीष्म जी रख लो नया पाप यह अर्जित
हे कुरुवंशी राज्यसभा में सम्मानित जन मंच विराजित ||

हे द्वारिका देश के वासी मेरे सखा कृष्ण गिरधारी
आज लाज की भीख मांगती तुम्हे पुकारे भक्त तुम्हारी
मेरे पञ्च परम परमेश्वर लगा गए दांव पर मुझको
अब तू ही है, मेरा जिस पर भार भरोषा है बनवारी

मेरी लाज आज रखले तू मेरे केशव धर्म सुरक्षक
तेरी कृष्णा तुझे पुकारे - कृष्ण मेरे हे सच्चे मालिक ||

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manoj Nautiyal on February 19, 2013 at 5:53pm

सभी मित्रों का कोटो कोटि आभार || सौरभ जी मै कोशिश करूँगा की आपकी अभिलाषा को शीघ्र पूर्ण कर सकूं |

Comment by वेदिका on February 19, 2013 at 3:57pm

प्रभावकरी उपालंभ ..... दुखी मनोदशा  में भी नीतिगत उत्तर ... केवल दायित्व और अधिकार को इंगित किया गया .. 

किंचित भी ह्रदय को ठेस नही पहुंचाई द्रौपदी के आलाप में ... 

मार्मिक!

शुभकामनायें !  


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 19, 2013 at 3:34pm

भाई मनोजजी, आपकी रचना का विन्यास अत्यंत प्रभावकारी है. इस प्रवाहमय कविता के लिए हार्दिक धन्यवाद.

पांचाली की व्यथा की घड़ी को आपने पंक्तियों में साकार किया है. आप विश्वास करें, मैं, किंतु, उक्त घड़ी में उपस्थित जनों पर प्रहार के अलावे उन जनों के संदर्भ में पांचाली की मनोदशा को पढ़ना चाहता था. आपकी लेखिनी में वह शक्ति है. वैसे यह रचना भी आपकी गहन वैचारिकता को सामने लाती है.

इस रचना के लिए साधुवाद.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 19, 2013 at 2:16pm

द्रोपदी विरह का काव्यमय वर्णन का अच्छा प्रयास किया है, बधाई मनो नौटियाल जी 

Comment by Dr.Ajay Khare on February 19, 2013 at 12:00pm

manoj ji aapki vyatha marmsparshi hai lekhan badhiya hai badhai

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted blog posts
5 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service