For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

SHARIF AHMED QADRI "HASRAT"
  • Male
  • SHEOPUR(M.P)
  • India
Share on Facebook MySpace

SHARIF AHMED QADRI "HASRAT"'s Friends

  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • ASHFAQ ALI (Gulshan khairabadi)
  • दिव्या
  • zubair ansari
  • rajesh kumari
  • AVINASH S BAGDE
  • Tilak Raj Kapoor
  • वीनस केसरी
  • योगराज प्रभाकर
  • satish mapatpuri

SHARIF AHMED QADRI "HASRAT"'s Groups

 

SHARIF AHMED QADRI "HASRAT"'s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
sheopur (m.p.)
Native Place
sheopur
Profession
mobile ripearing
About me
mujhe urdu adab se mohabbat hai

SHARIF AHMED QADRI "HASRAT"'s Blog

ग़ज़ल

इश्क़ करता है कोन दुनिया में

दिल से मरता है कोन दुनिया में

मुफ़्त शेखी बगारने वाले

तुझसे डरता है कोन दुनिया में

महवे हैरत है आसमां मुझ पर

आहें भरता है कोन दुनिया में

आईना बन गए हैं हम लेकिन

अब संवरता है कौन दुनिया में

सबको करना है कूच दुनिया से

कब ठहरता है कौन दुनिया में

अब न मुंसिफ़ कोई उमर जैसा

अद्ल करता है कौन दुनिया में

दिल की गहराई से तुझे हसरत

याद करता है कौन…

Continue

Posted on January 20, 2016 at 5:00pm — 5 Comments

हो के मजबूर उसूलों से बग़ावत की है

जाने क्या सोच के उसने ये हिमाक़त की है

हो के दरिया जो समंदर से अदावत की है

खींच लायी हे तेरे दर पे ज़रुरत मुझको

हो के मजबूर उसूलों से बग़ावत की है

हमने ख़ारों पे बिछाया हे बिछोना अपना

हमने तलवारों के साये में इबादत  की है

अच्छे हमसाये की तालीम मिली हे हमको

हमने जाँ दे के पडोसी की हिफाज़त की है

आज आमाल ही पस्ती का सबब हैं वरना

हमने हर दौर में दुनिया पे हुकूमत की है

दम मेरा कूच…

Continue

Posted on September 23, 2015 at 12:00pm — 13 Comments

हयात हमने गुज़री हे इन्तेहाँ की तरह

लहू से जिसको के सींचा था बागबां की तरह

वही चमन नज़र आता हे अब खिज़ां की तरह 
हवा का झोंका भी आया तो रोक लूँगा उसे 
खड़ा हूँ तेरी हिफाज़त में पासबां की तरह 
कभी हयात में हमको सुकूं  मिला ही नहीं 
के रोज़ो शब् नज़र आते हैं कारवां की तरह 
खुदा की याद में खुद को मिटा लिया जबसे 
मेरा वजूद ज़मीं पर हे आसमां की तरह 
ये तज़र्बे  बड़ी मुश्किल से पाये हैं हमने
हयात हमने गुज़ारी हे इन्तेहाँ की…
Continue

Posted on March 11, 2015 at 1:00pm — 13 Comments

शायरी मिल गयी

तुम मिले तो मुझे हर ख़ुशी मिल गयी 
यूँ लगा के मुझे जिंदगी मिल गयी 
कांच सा टूटकर दिल बिखर जायेगा 
अब इसे गर तेरी बेरुखी मिल गयी 
तेरी चाहत ने दिल को बनाया हे दिल 
क्या हुआ गर मुझे बेकली मिल गयी 
इस तरह दिल को रोशन किया आपने 
यूँ लगा रात को चांदनी मिल गयी 
सुन के आवाज़ तेरी मुझे यूँ लगा 
मेरे नगमो को अब रागनी मिल गयी 
तुझको देख तो दिल से ये आई सदा 
मुझको हसरत मेरी शायरी…
Continue

Posted on October 14, 2012 at 11:54am — 5 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:57am on February 11, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 12:25pm on May 17, 2012,
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
said…

aapka hardik swagat hai.

At 8:16pm on February 23, 2012, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service