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तुम मिले तो मुझे हर ख़ुशी मिल गयी 
यूँ लगा के मुझे जिंदगी मिल गयी 
कांच सा टूटकर दिल बिखर जायेगा 
अब इसे गर तेरी बेरुखी मिल गयी 
तेरी चाहत ने दिल को बनाया हे दिल 
क्या हुआ गर मुझे बेकली मिल गयी 
इस तरह दिल को रोशन किया आपने 
यूँ लगा रात को चांदनी मिल गयी 
सुन के आवाज़ तेरी मुझे यूँ लगा 
मेरे नगमो को अब रागनी मिल गयी 
तुझको देख तो दिल से ये आई सदा 
मुझको हसरत मेरी शायरी मिल गयी 

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Comment by वीनस केसरी on October 15, 2012 at 10:53pm

बहुत खूब हसरत साहिब
दिल से ढेरों ढेर दाद

Comment by पीयूष द्विवेदी भारत on October 15, 2012 at 10:17am

आदरणीय हसरत जी, ...........लाजवाब..........!

सुन के आवाज़ तेरी मुझे यूँ लगा 
मेरे नगमो को अब रागनी मिल गयी 
तुझको देख तो दिल से ये आई सदा 
मुझको हसरत मेरी शायरी मिल गयी
इन दो शेरों पर विशेष दाद कबूलें !
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on October 15, 2012 at 9:48am

वाह वाह आदरणीय हसरत साहब सादर प्रणाम
क्या सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने
गुनगुनाते ही रह गया
अजी क्या खूबसूरत अशआर बन पड़े हैं


इस तरह दिल को रोशन किया आपने 

यूँ लगा रात को चांदनी मिल गयी

वाह वाह क्या कहने हैं हर शेर दिल में उतरता है
दिलीदाद क़ुबूल कीजिये


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 15, 2012 at 8:27am

हसरत साहब, ग़ज़ल का मतला मानों स्वतःस्फुर्त भाव को ’शब्द मिले’ की तरह उकीर्ण हुआ है. बहुत-बहुत बधाई इस मतले पर, साहब. सामान्य शब्दों से इतनी सुन्दर कारीगरी ! वाह ! आपने दिल जीत लिया, भाई साहब.

सुन के आवाज़ तेरी मुझे यूँ लगा
मेरे नगमो को अब रागनी मिल गयी

अह्हाह ! दिल खोल दाद कुबूल फ़रमायें इस शेर पर हसरत साहब. बहुत खूब !

आखिरी शेर में अलबत्ता ’देख’ न हो कर ’देखा’ होगा, कहन के लिहाज से भी और बह्र के हिसाब से भी. बहरहाल, आपकी ग़ज़ल झूम कर बहाये जा रही है.  बधाई-बधाई-बधाई

Comment by seema agrawal on October 14, 2012 at 9:45pm

वाह बहुत खूब शरीफ अहमद जी ...खूब सूरत ग़ज़ल नर्म और नाज़ुक खयालात 
सुन के आवाज़ तेरी मुझे यूँ लगा 

सुन के आवाज़ तेरी मुझे यूँ लगा 
मेरे नगमो को अब रागनी मिल गयी ...खूब खूब 
तुझको देख तो दिल से ये आई सदा 
मुझको हसरत मेरी शायरी मिल गयी......वाह 
दिली मुबारकबाद .........

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