For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब भी 'ईश्वर' शब्द हमारे जेहन में आता है, मस्तिष्क स्वतः धार्मिक चिंतन में प्रवेश करने को अग्रसर हो जाता है| वास्तव में अगर हम हजारों वर्षों के मानवीय इतिहास पर एक गहरी नजर डाल सकें, एक स्पष्ट प्रमाणिक तथ्य निकलकर कर सामने आता है कि, 'हम मनुष्यों ने जब भी 'ईश्वर' शब्द को परिभाषित या विश्लेषित करने का प्रयास किया है, पृष्ट्भूमि धार्मिक ही रही है'' | यही वजह भी है कि, हम ईश्वर को एक धर्म तत्व के रूप में स्वीकृत करते आये हैं | अब तक कि मान्यताओं के अनुसार ''ईश्वर' एक ऐसी अलौकिक, अद्वितीय, महापराक्रमी इकाई हैं, जो इस सृष्टि का निर्माता और निर्देशक हैं | इस सृष्टि में किसी भी घटना के होने या न होने कि वजह हैं'' |

धर्म और धार्मिक मान्यताओं कि पृष्टभूमि से तैयार 'ईश्वर' कि इस परिभाषा को जब भी हम वास्तविकता कि नजर से देखने और समझने का प्रयत्न करते हैं, कुछ स्पष्ट सा नहीं दिखता है| ईश्वर कि इस धार्मिक परिभाषा को जब हम अपने जीवन में ढूंढने का प्रयत्न करते हैं, वहां भी एक विरोधाभास सा प्रतीत होता है | ऐसे में एक संदेह उतपन्न होता है कि, कहीं ईश्वर के प्रति हम गलत विवेचना तो नहीं कर रहे हैं ? कहीं हमारा ईश्वरीय चिंतन सिर्फ काल्पनिक संकल्पना तो नहीं बन कर रह गया है ? जब मैं यह प्रश्न आपके चिंतन हेतु रख रहा हूँ, इसके पीछे धर्म या धार्मिक मान्यताओं पर सवाल उठाना हमारा उदेश्य बिलकुल भी नहीं है| अपितु धर्म और धार्मिक तत्वों कि एक बेहद स्पष्ट, सरल, परिभाषी, तार्किक और हमारी जीवनशैली से सम्बद्ध विवेचना लोगों के समक्ष रखना है, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी जो 'धर्म' और 'धर्म-तत्वों' से आपने आपको सम्बन्ध नहीं कर पा रही है, इसे समझ सके |


हमें सोचना होगा कि, अगर धार्मिक पृष्टभूमि आधारित चिंतन से हम 'ईश्वर' कि स्वीकार्य परिभाषा तय नहीं कर पा रहे हैं, क्या हमारे वैचारिक/शैक्षणिक चिंतन कि किसी अन्य धारा में ईश्वर को परिभाषित किया जा सकता है ? क्या हम 'ईश्वर' और 'ईश्वरीय शक्ति' के मानवीय जीवन पर स्पष्ट प्रभावों का खुला विश्लेषण कर सकते हैं ? आइये हम सब मिलकर एक प्रयास करें | 'ईश्वर' को नए सिरे से ढूंढने के लिए बेहद आवश्यक हो जाता है कि, हम अब तक मस्तिष्क में जमा अवधारणाओं के चंगुल से कुछ देर के लिए आज़ाद हो जाए | नव-चिंतन सर्वथा शून्य मे ही उतपन्न  होता है |

क्या हमारे जीवन में ईश्वरीय शक्ति का प्रभाव है ?

मित्रों, 'ईश्वर' शब्द को वास्तविकता के साथ परिभाषित करने के लिए बेहद आवश्यक है कि, हम वास्तविक मानव जीवन पर नजर डालें | जब हम एक सामान्य मानवीय जीवनशैली में 'ईश्वरीय तत्व' को ढूंढने का प्रयास करते हैं, एक बात स्पष्टतः निकल कर सामने आती हैं कि, ''हमारे जीवन में 'ईश्वर' अर्थात ईश्वरीय शक्ति प्रभावी है'' | लेकिन जैसे ही हम इस तथ्य पर पहुंचते हैं, कई प्रश्न प्रश्न खड़े हो जाते हैं कि, कैसे ? हमारे जीवन में ईश्वरीय शक्ति के प्रभाव का स्पष्ट प्रमाण तो धर्म भी नहीं दे सका है, फिर कैसे हम इस तथ्य को प्रमाणित कर सकते हैं ? साथ ही प्रश्न खड़ा होता है कि, यह कौन सी ऊर्जा हैं ? इसकी प्रबलता और स्रोत क्या है ?

ईश्वरीय शक्ति मानव जीवन में प्रभावी है, लेकिन कैसे ?

 इस के लिए हमें अपने सामान्य दिनचर्या के कुछ प्रसंगों पर नजर डालनी होगी | जैसा कि हम देखते हैं - "हमारे आस-पास कुछ लोग मिलकर किसी भारी वस्तु को उठाने का प्रयत्न करते हैं | वे बार-बार प्रयत्न करते हैं लेकिन थोड़ा सा चूक जाते हैं | तभी सभी मिलकर 'हनुमान/शिव जैसे कथा-कथित ईश्वरीय स्वरूपों का जयकार लगाते हैं, और वस्तु उठ जाती है'' | यह परिणाम ऐसे मामलों में ८०-९०% तक होता हैं | मतलब स्पष्ट हैं कि, हमारे जीवन में ईश्वर काल्पनिक नहीं वास्तविक प्रभाव के साथ मौजूद हैं..क्योंकि शाब्दिक उच्चारण से कार्य सफल हो रहे हैं | ऐसा अक्सर देखा गया है कि, कई बार ईश्वर का नाम लेने से हमारा प्रयास सफल हो जाता हैं |

 'ईश्वर' या 'ईश्वरीय शक्ति' कौन सी ऊर्जा है , उसकी स्रोत और प्रबलता क्या है ?


''सर्वप्रथम तो 'ईश्वर' कोई अलौकिक शक्ति नहीं हैं | 'ईश्वर' को हमारे जीवन में मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से सर्वक्षेष्ठ ढंग से परिभाषित किया जा सकता है| 'ईश्वरीय शक्ति एक प्रकार कि काल्पनिक ऊर्जा है, जो एक आभाषी चरित्र में विश्वास से जन्म लेती है|  एक व्यक्ति जब मुश्किल में होता है, तब वह अपने धर्म (आस्था) से जुड़े ईश्वर को याद करता है | जैसे ही वह ईश्वर कि कल्पना करता है, उसे लगता हैं कि अब मेरे साथ कोई है,... कोई है जो मुझे इस संकट से निकाल ले जायेगा | ...उसका यह महसूस करना ही उसे आत्म प्रेरित कर देता है,..तत्क्षण में संकट से लड़ने के लिए उसके अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, जिसे हम ईश्वरीय शक्ति के रूप में वर्णित कर सकते हैं '' |

जहाँ तक प्रश्न इस ऊर्जा के स्रोत का है, '' ईश्वर' स्वयं में कोई ऊर्जा स्रोत नहीं हैं, वस्तुतः संकट कि घडी में ईश्वर शब्द के उच्चारण से जो सकारात्मक ऊर्जा हमारे शरीर में आती है, उसका स्रोत स्वयं हमारा शरीर ही हैं | वास्तव में 'ईश्वर' एक मन्त्र के रूप में कार्य करता हैं, जिसके उच्चारण से निराश और सुस्त पड़ी हमारी ज्ञानेन्द्रियाँ प्रबल हो जाती हैं और हमारी आंतरिक ऊर्जा संगठित हो जाती हैं | जैसा कि ऊपर उदाहरण में देखा हमने कि, किस प्रकार लोग ईश्वर का नाम लेकर भारी वस्तु को उठा लेते हैं | यहाँ समझने कि आवश्यकता है कि, ईश्वर का नाम लेने से पूर्व जहाँ, आंतरिक ऊर्जा खंडित थी, वही नाम लेते ही सम्पूर्ण शरीर कि ऊर्जा बाजुओं में केंद्रित हो जाती हैं, जिससे कार्य आसानी से संभव हो जाता हैं | इस ऊर्जा कि प्रबलता का कोई तय पैमाना नहीं हैं, ..लेकिन यह इस हद तक प्रबल नहीं होती है, जिसे चमत्कारी कहा जा सके | अगर आप सामान्य अवस्था में २५ कि.ग्रा.  वजन उठा पाने में सक्षम हैं तो, ईश्वर के उच्चारण से और दो-चार कि.ग्रा अधिक उठा सकेंगे | कोई अद्भुत चमत्कार कि सम्भावना शून्य है | ईश्वर कोई अद्वितीय, महापराक्रमी शक्तिस्रोत है, यह सिर्फ एक भ्रम है |

हमारे सामान्य जीवन में ईश्वर के प्रभावों एवं उनका खुला और स्पष्ट विश्लेषण, आपको कैसा लगा ? हमें इन्तजार रहेगा | यह आलेख 'आपका ...धर्म क्या है ?'' ...कि अगली कड़ी है | अगर आपने अब तक उसे नहीं पढ़ा है, तो एक बार अवश्य पढ़े | एक बार पुनः यह याद दिलाते हुए कि, हम किसी भी धर्म के पक्ष-विपक्ष में चिंतन नहीं कर रहे हैं | 'धर्म' हमारे जीवन में वैचारिक अनुशासन के लिए बेहद आवश्यक हैं, लेकिन इसके लिए बेहद जरुरी है कि 'धर्म' सरल, अकाल्पनिक, व्यावहारिक और हमारे जीवन में प्रामाणिक हो, तभी यह हमें संयमित, नियमित और अनुशासित कर सकता है | अगली कड़ी में ...हम चलेंगे मानव इतिहास के पुराने पन्नों पर ...और ढूढेंगे उस ईश्वर को ...जिसे हमारे पूर्वजों ने  पूजा था | धन्यवाद | जय भारत 

Views: 668

Replies to This Discussion

बेहतरीन सृजन। हार्दिक बधाई आदरणीय के. कुमार साहिब।

ईश्वर क्या है
ये तथ्यात्मकता की बात करता है विज्ञान जबकि धर्म या जाति से ऊपर है किसी का ऊर्जा भाव ईश्वरीय तत्व है

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service