For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दादाजी और पौत्र का संबंध होता है निर्दोष और पारदर्शक | सामान उम्र के दोस्तों जैसा ! पौत्र अपने पिता से ज्यादा दादाजी के साथ रहता है, खेलता है, ढ़ेर सारी बातें करता है, हंसता है, रोता है, रूठ जाता है, गुस्सा होता है, सुनता है और समझता भी है | यह सबकुछ दादाजी और पौत्र के बीच में होता है, यही सब पिता और पुत्र के बीच में नहीं होता | दादाजी बुज़ुर्ग है, हमउम्र है, बच्चा है और इसीलिए दादाजी और पौत्र के बीच मेल हैं | दादाजी सुखी है, दुखी है, प्रखरता से बातें होती है, कहानी कहते हैं, पौराणिक कथाओं के साथ परी कथाएँ और परिकल्पनाओं से सजाते भी हैं | घर से समाज की बातें, माँ और पिता की बातें, भाई और बहन की बातें, खेल और अभ्यास की बातें, सामयिकों और अखबारों की बातें, दादाजी और पौत्र के बीच होती है | जो पिता और पुत्र के बीच नहीं होती | माता और बेटी के बीच भी ऐसा सूक्ष्म फ़र्क है | दादीमा हो तो खुशी की बात ही क्या? ऐसा विचार बेटीओं को भी आता | आज के ज़माने में बेटा और बेटी कहाँ दिखने को मिलते हैं !
दादाजी यानी दादाजी ! उनके मुकाबले पापा कहाँ? दादाजी को अब शहरीजन बनाना पड़ा है | दादाजी प्रात: जागते हैं | दूध की थैली ले आते हैं, खुद ही पानी गर्म करके स्नान करते हैं, पूजा-अर्चना करते और पौत्र को प्यार से सहलाते हुएं जगाते हैं, उसे स्कूल तक छोड़ने जातें या सब्जी भी ले आतें | दादाजी अखबार पढ़ते हैं तो पौत्र ही चश्मे लाकर देता | दादाजी को तो फ़ुर्सत ही फ़ुर्सत ! समय बीताने के लिएँ वह हमेशा कार्यशील ही रहतें | पूरा दिन एकांत में दादाजी, पौत्र के स्कूल से लौटने और उसके स्वागत के लिएँ तैयार रहते | दादाजी को पौत्र का ख़याल रखना होता और पौत्र को दादाजी का ! मम्मी को तो घर का काम ही ईतना कि बेचारी को समय ही कहाँ ? उनकी कईं बातें है, अगर सास होती तो शायद कह पाती या नहीं भी ! पप्पा को तो ऑफिस का काम, बोस के कीच-कीच और सामाजिक ज़िम्मेदारी भी तो.... ! किसे फ़ुर्सत है?

दादाजी को लगे कि पौत्र को पढाऊँ | कभी-कभी किताबों के बसते के बोज से छूटा हुआ पौत्र थोडा-सा खेलें तो मम्मी की बूम सुनाई देती; "बेटे, अपना होमवर्क ख़तम कर ले, पप्पा लड़ेंगे | दादाजी को तो क्या काम है? वो तो कहानियाँ ही सुनाते रहेंगे | आजकल के बच्चों को तो पढ़ाई अच्छी ही नहीं लगती....|" दादाजी मौन रहते हैं, हमेशा | पौत्र पढ़ता है | दादाजी देखते हैं | तड़के से जगे हुए दोनों की आँखों में फर्श से चमकता हुआ सूर्य प्रकाश आँखों में फैलता है तो मेघधनुषी रंगों से विविध आकर उभर आते हैं | पौत्र कुछ पल के लिएँ खुश हो जाता है | दादाजी यह सब जानते हैं | दादाजी बारीकी से देखते हैं | पौत्र गड़बड़े अक्षरों से नोटबुक में कुछ लिखता है | वह ईंगलीश मीडियम में हाँ | दादाजी अंग्रेजी बोल सकते हैं, लिख सकते हैं मगर वह तो अंग्रेजों के समय का ! मम्मी कहती है कि आजकल की पढ़ाई में दादाजी को क्या समज होगी ? मम्मी-पप्पा की पीढी आधी-अधूरी है | वह अंग्रेजों के ज़माने की अंग्रेजी नहीं जानते और वर्त्तमान की शिक्षा में उनकी चोंच डूबती नहीं ! दादाजी जब स्कूल में पढ़ते थे तब लोग कहतें कि मास्टर तो फक्कड़ अंग्रेजी बोलते हैं और लिखते भी ! उस ज़माने में लोग अंग्रेजी में अर्ज़ी लिखवाने आते | दादाजी का मान-सम्मान और ज्ञान लोगों के दिलों में अंकित था | आज मम्मी को पता नहीं कि दादाजी कौन है ? पप्पा तो केवल नौकरी ही करें, दादाजी के प्रति उनका मौन पौत्र को आकुलाता है, वह क्या कहें पप्पा को?

उसे तो मजा आता है, दादाजी के साथ | कहानियाँ सुनाने में, खेलने में और उनकी लचकती हुई लिस्सी त्वचा पर हाथ फेरने में ! ईस स्पर्श से दंतहीन मुंह वाले दादाजी हंसने लगे तो खूब आनंद आता ! पौत्र उन्हें मुँह खुलवाकर देखता है | घीस चुके, लाल-गुलाबी मसूड़ों को देखकर पौत्र पूछता है; "दादाजी, आप रोटी कैसे चबाते हैं? आपको तो दांत ही नहीं है !" फिर से दादाजी हंसते, बिलकुल भोलेपन से | मोतियाबिंद के कारण कमजोर हुई आँखों की पलकें थोड़ी सी ऊपर उठे | दीवार पर रहे दादीमा की तसवीर को देखें, पौत्र दादाजी को देखें और दादाजी की आँखों में से दो-चार बूंद गिरने गले |

दादाजी कहें; "बेटा, अब हमें खाने के स्वाद कहाँ? रोटी को तो दाल में भीगोकर नरम करने के बाद खाना | कईं बरसों तक हमने खाया, अब तो तुम्हें खाना होगा, हं बेटा !"

दादाजी पौत्र का अमीदर्शन करते हैं, प्रत्येक सुबह में...|


Views: 505

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अगर ये ग़ज़ल बेकार है आदरणीय अमित जी तो कुछ सुझाव दे दीजिए आप कुछ सुझाव दे दीजिए सादर"
15 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
33 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
33 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
34 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
34 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Aazi Tamaam जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। २१२२ १२१२ २२ यूँ…"
34 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीया सादर"
34 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
35 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आप कुछ सुझाव दे दीजिए आदरणीय हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
40 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी मैं पहले मुशायरे में हर बार आता था थोड़ी बहुत शायरी मैंने यहीं सीखी  लेकिन अब तरही ग़ज़ल नहीं…"
43 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"हार्दिक आभार आदरणीय सादर"
46 minutes ago
मनोज अहसास replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"अपना ख़्याल रखिये सर मुशायरे तो होते रहेंगे सादर"
48 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service