For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 44 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ

 

19 दिसम्बर 2014 से 20 दिसम्बर 2014,  दिन शुक्रवार  से दिन शनिवार

 

इस बार के ’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव’ के लिए किसी छन्द विशेष का चयन नहीं किया जा रहा है. सदस्य-प्रतिभागियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अबतक सम्पन्न आयोजनों में शामिल हो चुके किसी छन्द में अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त कर सकते हैं. यथा, दोहा, रोला, कुण्डलिया, सार, वीर, चौपाई, चौपई, चौपइया, गीतिका, हरिगीतिका, मनहरण घनाक्षरी, कामरूप, त्रिभंगी आदि-आदि.

छन्दों से सम्बंधित अधिक जानकारी हेतु यहाँ क्लिक करें


नियमतः एक बार में द्विपदी छन्दों (यानि, दोहा, चौपाई आदि) की कुल संख्या पाँच तथा बहुपदी (रोला, कुण्डलिया, गीतिका, हरिगीतिका, घनाक्षरी, चौपइया, त्रिभंगी आदि) छन्दों की कुल संख्या तीन से अधिक नहीं होनी चाहिये. ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  19 दिसम्बर 2014 से 20 दिसम्बर 2014, यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

अति आवश्यक सूचना :

  • आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, न कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.
  • रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  • नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  • सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध करें.  आयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  • आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  • इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  • रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  • रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Facebook

Views: 10800

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

सार छंद पर सुन्दर प्रयास आ० रमेश चौहान जी 

कलों के समूह का निर्वहन हुआ होता तो प्रवाह बहुत अद्भुत रहता 

इस सद्प्रयास पर मेरी बधाई स्वीकारें 

द्वितीय प्रस्तुति

---------------------------------------------

लो जोड़ता हूँ हाथ देवी एक तो मत दीजिए

आकाशवाणी हो गई- “देवी इसे मत दीजिए

इस श्वेत कपड़े ब्लेक मन की सत्यता बतला रहे

फिर से करेगा नाश ये हम इसलिए जतला रहे

 

बस पाप का इसका घड़ा तो भर गया अब तारिये

इस लोक से मुक्ति यही, बरतन उठा के मारिये

अब रूप शक्ति का बनो इस दैत्य का संहार हो

ये है गलत पर इस तरह संसार का उद्धार हो”

 

आकाशवाणी क्या सुनी देवी बनी फिर चण्डिका

ले हाथ में इक काठ की मोटी पुरानी डण्डिका

दो चार जमकर वार कर घर से भगाया- भागना

इक नार अबला जग गई अब देश को है जागना

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

"मत दीजिए" तुकांत की दृष्टि से सही है ?... प्रथम प्रयास है ... सादर 

आदरणीय मिथिलेश भाई

छंदोत्सव में छंद का नाम देना जरूरी है। 

मत दीजिए ... सही है।

इस सुंदर प्रस्तुति पर मेरी  हार्दिक बधाई 

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव सर, प्रथम प्रयास की सराहना के लिए धन्यवाद 

हरिगीतिका छंद में आपकी यह प्रस्तुति सराहनी है । आपके इस प्रयास के लिये  बहुत बहुत बधाई आदरणीय वामनकरजी

आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव सर, प्रथम प्रयास की सराहना और उत्साहवर्धन के लिए आपका आभार, हार्दिक धन्यवाद 

आदरणीय मिथिलेशजी, हरिगीतिका छन्द पर आपका प्रथम प्रयास श्लाघनीय है. इस हेतु बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाएँ.

तुकान्तता का नियम हिन्दी पद्य साहित्य की चाहे कोई विधा हो, एक जैसा व्यवहृत होता है. उस हिसाब से ’मत कीजिये’ पदान्त के तौर पर सही है. किन्तु इन पदों के समान्त शब्द कहाँ हैं ? यानि, ’मत दीजिये’ के पूर्व तो और इसे जैसे शब्द आये हैं. जबकि एक जैसी मात्रा से अंत होने वाले शब्द आने थे. बतला रहे और जतला रहे, तारिये और मारिये, संहार हो और उद्धार हो आदि इसके उत्तम उदाहरण हैं.

इस लोक से मुक्ति यही, बरतन उठा के मारिये  .. इस पद में मुक्ति लिखा अवश्य गया है लेकिन उसका उच्चारण मुक्ती हो रहा है. यही हाल आगे के पद में शक्ति का है. ऐसा होना पदों को न केवल मात्रिकता का दोषी बना रहा है बल्कि विधा के अनुसार हरिगीतिका को भी कमजोर भी कर रहा है.

दो चार जमकर वार कर घर से भगाया- भागना .. . भगाया-भागना एक तरह का कम्प्रोमाइज लगता है ताकि अगले पद के जागना को समायोजित किया जा सके. यह पद व्यवहार के तौर पर उचित नहीं है. सर्वोपरि, भगाया-भागना का कोई सार्थक अर्थ नहीं निकलता.

आगे, प्रस्तुति के अन्य पद सटीक और विधा सम्मत होने तथा संप्रेषणीय होने से विशेष तौर पर बधाई के हकदार हैं.
शुभेच्छाएँ.

आदरणीय सौरभ पांडे सर, प्रथम प्रयास पर आपकी विस्तृत और बिन्दुवार टिप्पणी हेतु हार्दिक आभार 

आपने समस्या का सर्वोत्तम समाधान सुझाया है -  ’मत कीजिये’ पदान्त के तौर पर सही करने पर ठीक हो जाएगा 

मुक्ति और शक्ति से  जो मात्रिकता दोष  आ रहा है  वह वाकई उच्चारण की चूक है मुक्ती और शक्ती के भार पर है जो बड़ी गलती है .. मैंने इसे सुधारने का प्रयास किया है सादर निवेदन -

इस लोक से निर्मुक्त हो, बरतन उठा के मारिये

अब रूप दुर्गा का बनो इस दैत्य का संहार हो

आपने निर्देशित किया है कि भगाया-भागना का कोई सार्थक अर्थ नहीं निकलता, जो सही में एक तरह का कम्प्रोमाइज ही था इस त्रुटी को सुधारने का प्रयास किया है सादर निवेदन -

दो चार जमकर वार कर बोली यहाँ से भागना

रचना को आपका इतना स्नेह मिला, अभिभूत हूँ... उत्साह वर्धक सुझाव और प्रशंसा के लिए आपका ह्रदय से आभारी हूँ , नमन.

’मत कीजिये’ पदान्त के तौर कत्तई गलत नहीं है. आप उस पंक्ति का समान्त ठीक करें आदरणीय.  जो कि क्रमशः तो और इसे है.

एक प्रयास देखिये -

लो जोड़ता हूँ हाथ देवी एक तो मत दीजिए
आकाशवाणी हो गई- “देवी इसे मत दीजिए

इसे यों करें -
लें, जोड़ता हूँ हाथ देवी अब मुझे मत दीजिए
आकाशवाणी हो गई- “देवी इसे मत दीजिए

मुझे की की मात्रा और इसे की की मात्रा एक सीमा तक समान्तता का निर्वहन कर रही हैं. और आपकी पंक्तियों का निहितार्थ भी नहीं बदल रहा है.
सादर शुभेच्छाएँ


बहुत बहुत आभार सर समान्त ठीक करने के लिए. संकलन पश्चात् इसे कुछ इस तरह संशोधित करने हेतु निवेदन कर लूँगा -

लें, जोड़ता हूँ हाथ देवी अब मुझे मत दीजिए
आकाशवाणी हो गई- “देवी इसे मत दीजिए

इस श्वेत कपड़े ब्लेक मन की सत्यता बतला रहे

फिर से करेगा नाश ये हम इसलिए जतला रहे

 

बस पाप का इसका घड़ा तो भर गया अब तारिये

इस लोक से निर्मुक्त हो, बरतन उठा के मारिये

अब रूप दुर्गा का बनो इस दैत्य का संहार हो

ये है गलत पर इस तरह संसार का उद्धार हो”

 

आकाशवाणी क्या सुनी देवी बनी फिर चण्डिका

ले हाथ में इक काठ की मोटी पुरानी डण्डिका

दो चार जमकर वार कर बोली यहाँ से भागना

इक नार अबला जग गई अब देश को है जागना

अब आपकी हरिगीतिका निखर कर आई है ,अतिसुन्दर ...इसी तरह प्रयास रत रहें और निखार आता जाएगा 

बहुत- बहुत बधाई एवं शुभकामनायें. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
10 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service