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Ashok Kumar Raktale's Discussions (6,217)

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"क्रोध अंकुरित जो हुआ, बन जाता अङ्गार। क़हत हबीब न राखिये, मन में किंचित रार।  वाह! बह…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"रेखा जी        सादर, ललित छंद पर सुन्दर प्रयास. जानकारी के आभाव में त्रुटियाँ हैं जै…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"विर्क जी              सादर, सत्य को प्रदर्शित करती सुन्दर कुंडलिया के लिए बधाई स्वीक…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आदरणीय संजय जी                  सादर, दोहावली आपको भली लगी जानकार मुझे संबल मिला. धन…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आदरणीय अलबेला जी                        उत्साहवर्धन का शुक्रिया."

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आदरणीय अविनाश जी                     सादर, आपको दोहे सटीक लगे यह मेरे लिए प्रसन्नता…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"आदरणीय अम्बरीश जी                     सादर, बहुत सुन्दर सुधार किया है आपने. मात्राओं…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"दोहे का पंच.(रचना द्वितीय)   शोला बन बहता लहू, रही मुट्ठियाँ भींच/ कैसी कौमे बो रही,…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"भीतर भीतर क़ैद,  लपट नहिं बाहर उट्ठी केवल धुआं उगल, रही है मेरी मुट्ठी वाह! अलबेला सा…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

"बंद करो ये बाँट ,विषमय मौत की हाला अच्छा ना ये भ्रात ,कोयले सा मुख काला  बहुत सुन्दर…"

Ashok Kumar Raktale replied Aug 20, 2012 to 'चित्र से काव्य तक' प्रतियोगिता अंक -१७

1027 Aug 21, 2012
Reply by Er. Ambarish Srivastava

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"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
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मिथिलेश वामनकर commented on AMAN SINHA's blog post काश कहीं ऐसा हो जाता
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