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अभय कान्त झा दीपराज कृत -


                      दुर्गा स्तुति

जय  माँ  दुर्गा,  जय  माँ  शक्ति,  जय   माँ   कंचन   काया |
आदि - अनादि, अनंत - अगोचर, कर्म, बुद्धि , बल, माया ||

शैल  -  सुता  और  ब्रम्हचारिणी,  चन्द्र -  घंटिका , काली |
कूष्मांडा  -  स्कन्द  -  मातृका,  कात्यायिनि  -   कंकाली ||
कालरात्रि  -  महा  गौरी,   चंडी,   सिद्धिदात्रि,  सुख    दाया |
आदि - अनादि, अनंत - अगोचर, कर्म, बुद्धि , बल, माया ||१ ||

गायत्री  -  सावित्री  -  कमला,  भव्य  -  भवानी -  श्यामा |
धरणी - धर्म - ध्वजा - धन - धीरज, पार्वती - अभिरामा ||
सुख-समृद्धि सार, सुख-कारिणि,  जग जननी-जग जाया |
जय  माँ  दुर्गा,  जय  माँ  शक्ति,  जय   माँ   कंचन  काया || २ ||

सुखद-सुवासिनी, मंगल- कारिणि, जय माँ सत्य स्वरूपा |
जग भय हारिणि, विश्व - विहारिणि, सिंह सवार,  अनूपा ||
ब्रम्हाणी -  रुद्राणी  -   लक्ष्मी,  जग  रानी   -   जग  राया |
आदि - अनादि, अनंत - अगोचर, कर्म, बुद्धि , बल, माया ||३ ||

पद्म  -  विराजित,   पद्म  -  धारिणी,   तू   पद्मा   महारानी |
हंस वाहिनी -  जग  वन्दित  माँ,   तू   ज्ञानेश्वर  -  ज्ञानी ||
ब्रम्ह   और   ब्रम्हांड   -   प्राण   तू ,   तूने   विश्व   रचाया |
जय  माँ  दुर्गा,  जय  माँ  शक्ति,  जय   माँ   कंचन  काया || ४ ||

सत्य - सनातन -  सुघर -  सौम्य माँ, हमको तू ये वर दे |
भक्ति - शक्ति की दिव्य- ज्योति से मन आलोकित कर दे ||
माँ तू जल - थल - पवन और नभ,  तू ही ताप और छाया |
आदि - अनादि, अनंत - अगोचर, कर्म, बुद्धि , बल, माया || ५ ||

जय  माँ  दुर्गा,  जय  माँ  शक्ति,  जय   माँ   कंचन   काया |
आदि - अनादि, अनंत - अगोचर, कर्म, बुद्धि , बल, माया ||

                       रचनाकार - अभय दीपराज






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