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सदस्य टीम प्रबंधन ताटंक छन्द के मूलभूत सिद्धांत // - सौरभताटंक छन्द अर्द्धमात्रिक छन्द है. इस छन्द में चार पद होते हैं, जिनमें प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं. प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं जिनकी… Started by Saurabh Pandey |
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Oct 5, 2016 Reply by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद - (भाग २)इस लेख के पिछले खंड हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद - (भाग १) में बताया गया कि छन्द मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं… Started by वीनस केसरी |
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Jul 3, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन चौपई छंद // --सौरभहमें चौपई छंद से मिलते-जुलते नाम वाले अत्यंत ही प्रसिद्ध सममात्रिक छंद चौपाई से भ्रम में नहीं पड़ना चाहिये. चौपाई छंद 16 मात्राओं के चरण का… Started by Saurabh Pandey |
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Mar 13, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन मनहरण घनाक्षरी के मूलभूत सिद्धांत // --सौरभघनाक्षरी या कवित्त को मुक्तक भी कहते हैं. इसके सार्थक कारण हैं. इस छन्द के पदों में वर्णों की संख्या तो नियत हुआ करती हैं, किन्तु, छन्द के… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 21, 2016 Reply by Saurabh Pandey |
सदस्य टीम प्रबंधन सार छंद/ छन्न पकैया // --सौरभसार छंद एक अत्यंत सरल, गीतात्मक एवं लोकप्रिय मात्रिक छंद है. हर पद के विषम या प्रथम चरण की कुल मात्रा १६ तथा सम या दूसरे चरण की कुल मात्रा… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 20, 2016 Reply by सतविन्द्र कुमार राणा |
अर्थ गौरव की ऊर्जा है शब्द शक्तिरीतिकाल के आचार्य चिंतामणि ने कहा है - जो सुनि परे सो शब्द है समुझि परे सो अर्थ I इससे स्पष्ट होता है की सुनने और समझने के बीच… Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Apr 27, 2015 Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
विभावन-व्यापार में साधारणीकरण की प्रक्रियाहिन्दी-विक्षनरी के अनुसार विभावन-व्यापार रसविधान में वह मानसिक व्यापार है जिसके कारण पात्र में प्रदर्शित भाव … Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव |
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Apr 27, 2015 Reply by मिथिलेश वामनकर |
सदस्य टीम प्रबंधन कुकुभ छन्द के मूलभूत सिद्धांत // - सौरभकुकुभ छन्द अर्द्धमात्रिक छन्द है. इस छन्द में चार पद होते हैं तथा प्रति पद 30 मात्राएँ होती हैं. प्रत्येक पद में दो चरण होते हैं जिनकी यति… Started by Saurabh Pandey |
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Feb 20, 2015 Reply by Saurabh Pandey |
'रूपमाला रूपसी है, रास करता छंद'. :मदन-छंद या रूपमालामदन छन्द या रूपमाला एक अर्द्धसममात्रिक छन्द, जिसके प्रत्येक चरण में 14 और 10 के विश्राम से 24 मात्राएँ और पदान्त गुरु-लघु से होता है. इसक… Started by Er. Ambarish Srivastava |
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Jan 18, 2015 Reply by Dr.Prachi Singh |
सदस्य टीम प्रबंधन नवगीत ( एक परिचर्चा)नवगीत हिन्दी काव्यधारा की एक नवीन विधा है। नवगीत एक तत्व के रूप में साहित्य को महाप्राण निराला की रचनात्मकता से प्राप्त हुआ । इसकी प्रेरणा… Started by Dr.Prachi Singh |
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Nov 10, 2014 Reply by Rahul Dangi Panchal |
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