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भोजपुरी साहित्य Discussions (246)

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ई भोजपुरी के 'उत्थान' बा की 'पतन'

आज सब जानत बा की भोजपुरी कवन तरह से फईलत बा| . आज जहाँ कुछ लोग भोजपुरी के उठान में आपन जी-जान लगा दिहलें बाटे उहवे कुछ 'करता'-'धर्ता' लोग ए…

Started by आशीष यादव

5 Sep 4, 2010
Reply by sandeep kumaar kushwaha

का आइसन अपराध के छमा कईल जा सकेला रुआ लोग आपान बिचार दी ,

आज सुबेरे सुबेरे हमरा लगे दिलीप गिरी जी के फोने आइल हा जे महुआ के बिउरो चीफ बानी कोलकता में उहा के सवाल रहुये की भोजपुरी के नाम पर इ का होत…

Started by Rash Bihari Ravi

7 Sep 3, 2010
Reply by pankaj jha

बाबूजी रहती ता का कहती , (ek purana kavita)

बाबूजी रहती ता का कहती , इ सवाल हमारा मन में बार बार आवत बा , बात ओ बेर के हा जब हम पढ़त रहनी , स्कुल छोर के खुबे सिनेमा देखत रहनी , केहू क…

Started by Rash Bihari Ravi

4 Sep 2, 2010
Reply by Shakur Khan

उ जमाना इयाद बा तोहर बन ठन के आइल इयाद बा ,

उ जमाना इयाद बा तोहर बन ठन के आइल इयाद बा , ना कटत रहे समय हमरा बिन इ तोहर कहल इयाद बा , साझ के मिलल हो जात रहे रात अइसही बातो में , ना ला…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Sep 1, 2010
Reply by Deepak Sharma Kuluvi

"उ प्यार कहाँ से ले आई"

उ प्यार कहाँ से ले आई , जे से तोहके आपन बनाई उ बंधन कहाँ से ले आई , जे से तोहके बाँध पाई उ सपना कहाँ से ले आई, जे मे तोहार दरश पाई उ दुन…

Started by Raju

2 Sep 1, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

तिकड़ी का बदला

सुरी कुआं भीरी खड़ा बा ...केहू के आवे के इंतज़ार हो रहल बा ..हेने होने लगातार देख रहल बा ...निचे देखलस इनार में ,सुखाल इनार जौना में बहारण…

Started by ritesh singh

5 Aug 31, 2010
Reply by Rash Bihari Ravi

लाल कहा से दीही फाट गइल गुदरी ,

केतनो सुधाराबा भाई इ नाही सुधरी , लाल कहा से दीही फाट गइल गुदरी , उहे गाव ह एकर बा उहे संसकीरती , ना जाने कब कईसे बदलल पर्वीरती, जहा चालत र…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 30, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

अखिया के रस्ते मन में समां के काहे भरमावे लू ,

अखिया के रस्ते मन में समां के काहे भरमावे लू , हो जानिया , हो रानिया ओ माहिया, इयाद तोहर आवे ला तू काहे ना आवे लू , अखिया के रस्ते मन में स…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 30, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

लागत बा इ फैसन वाली , ले ली हमरो जान ,

ले गइल हमरो रात के निंदिया , दिन में रही ले परेशान , लागत बा इ फैसन वाली , ले ली हमरो जान , बाबु जी त मना कईले , भईया हमके खूब समझइले , हमर…

Started by Rash Bihari Ravi

2 Aug 30, 2010
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

अषाढ़ सावन के अंजोरिया

हम २८ तारीख के बाहर सुतल रहनी, कुछ देर के बाद खूब चटकार अंजोरिया निकलल, पाहिले त मन बड़ा खुश भईल लेकिन उ ख़ुशी थोड़े देर में गायब हो गईल. ह…

Started by आशीष यादव

2 Aug 28, 2010
Reply by आशीष यादव

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गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
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