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आजा घुमाईं देहीं, तोहके बधार में.
लेल s लेल राजा, जवानी उधार में.
सोना जस रंग हमार, चानी जस बदनवा.
पतरी कमर हम्मर, बरछी जस नयनवा.
चार सौ चालीस भोल्ट, कजरा के धार में.
लेल ----------------------------------
कह s त जंगल में, दंगल मचाई देहीं.
कानी अंगुरिया पे, सबके नचाई देहीं.
हमरा लेखा नइखे केहु, हुस्न के बाज़ार में.
लेल ------------------------------------
यू . पी., महाराष्ट्र, चल s एम. पी घुमाई देहीं.
दिल्ली. पंजाब, हरियाणा देखाई देहीं.
बस जाइब लेके तोहके, सइयां जी बिहार में.
लेल ---------------------------------------
गीतकार- सतीश मापतपुरी
मोबाइल - 9334414611

Views: 627

Replies to This Discussion

गर्दा उड़ गइल बरखा बहार मे ,
अंजोर हो गइल रात के अन्हार मे,

बहुत बढ़िया मापतपुरी जी , बेजोड़ रचना बा, तहलका मचा दी इ गीत ,
बस जाइब लेके तोहके, सइयां जी बिहार में.
jai ho bakir ham na chorab le aaib bangal me
bahut badhiya satish bhaiyaa , bariyaar rachna ba, jai hooooooo

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