For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक राजस्थानी मुसल्सल ग़ज़ल -यादड़ल्याँ रा घोड़ां ने थे पीव लगावो एड़ |

एक राजस्थानी मुसल्सल ग़ज़ल 
***
यादड़ल्याँ रा घोड़ां ने थे पीव लगावो एड़ | 
सुपणे मांयां आय पिया जी छोड़ो म्हासूँ छेड़ | १| 
***
इंया तो म्हें गेली प्रीतड़ली में थांरी भोत 
चालूँ थांरे लारे लारे ज्यूँ सीधी सी भेड़ | २| 
***
नींदड़ली रो काम उचटणों हो ग्यो नित रो खेल 
जद जद दरवाजो रात्यां ने देवे पून भचेड़ |३ | 
***
एक महीनो के'र गया अब साल हुयग्या तीन 
गाँव उडीके,बेगा आओ , सगळा काम निवेड़ | ४ | 
***
हूक उठे जद कागलिया नित बैठे आ'र मुँडेर 
दिन में सौ सौ बारी जाऊँ निरखूँ साजण मेड़ | ५ | 
***
धान घणो चढ़ ग्यो खेताँ में रीशाँ बळता लोग 
देख धणी बिन सूनी खेती देवे ऊँट घुसेड़ | ६| 
***
कित्ता दिन धीरज रा पौधा राखूँ रोज सँभाळ 
आँधी हिवड़े में उट्ठे जद उखड़े सगळा पेड़ |७ | 
***
ई चिन्ता में बळती रेऊं कांईं हो ग्यी बात 
सौतण कोई घाल रई ना हिवड़ा माँय तरेड़ | ८ | 
***
आया क्यूँ नी जाण खबर थे समझी कोनी बात 
जेठ घरां जद पड़ी पुलिस री पिछले हफ़्ते रेड़ | ९ | 
***
गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी

भावार्थ 
=====
(१) यादों के घोड़ों को मेरे प्रियतम एड़ लगाइये और सपने में आकर मुझ से छेड़ मत कीजिये | 
(२) वैसे तो मैं आपके प्यार में बहुत पागल हूँ और एक सीधी भेड़ की तरह आपके पीछे पीछे चलती हूँ | 
(३)नींद उचटना तो रोज का खेल हो गया है | रात को जब जब हवा दरवाजे पर दस्तक देती है | 
(४) एक महीने का कह कर गए थे और तीन साल हो गए हैं ,पूरा गाँव आपकी प्रतीक्षा कर रहा है जल्दी आइये सारा काम समाप्त कर के | 
(५) कौआ जब मुँडेर पर आकर बैठता है तो हूक सी उठती है ,दिन में सौ सौ बार मेड़ पर जाकर देखती हूँ | 
(६) खेत में धान खूब चढ़ा हुआ है और लोग जलन के मारे और बिना मालिक के सूने खेत देखकर ऊंट घुसेड़ देते हैं | 
(७ ) धीरज के पौधों को अभी तक सम्भाल रखा है लेकिन ह्रदय में आंधी उठने पर ये पेड़ उखड़ने की संभावना है | 
(८) इस चिंता में जलती रहती हूँ कि क्या बात है आप आते क्यों नहीं ,कहीं ऐसा तो नहीं कोई सौतन हमारे दिलों के बीच दरार डाल रही हो | 
(९) एक बात समझ नहीं आई कि ये खबर जान कर भी आप क्यों नहीं आये जब जेठ जी के घर पुलिस का पिछले हफ्ते छापा पड़ा था |

Views: 353

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
8 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
10 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
12 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
17 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service