Tags:
Replies are closed for this discussion.
आदरणीय भाई बागी जी ! आपका स्वागत है ......गज़ल की तारीफ के लिए तहे दिल से आपका शुक्रिया .....
जनाब अमित हर्ष जी की ग़ज़ल
गुज़श्ता यादों', 'सुकून-ए-पल' का ठिकाना भी होता है
हर इक आबाद घर में एक वीराना भी होता था
क्यों चुभती हैं हमें फिर नश्तर सी जिगर में हरदम
लोग कहते हैं कि 'मौसम-ए-याद' सुहाना भी होता है
इमारत की बुलंदी से दीवाने को क्या गरज
उसको तो रोज सर दीवार से टकराना भी होता है
यूं तो जज़्बात उभरते हैं अशआर में ढलकर
ख्यालों से तजुर्बों का ताना बाना भी होता है
शिकायतें दम तोड़ देंगी एक मुस्कराहट पर उसकी
वैसे हर रोज पास उसके कोई बहाना भी होता है
चंद रोज़ में खुल जायेंगे देखना खुद-ब-खुद
इब्तिदा-ए-इश्क है इसलिए शरमाना भी होता है
जानता है ज़माना, हम हो चुके आपके
फिर क्यों हमें ये रोज फरमाना भी होता है
ख्यालों में लगा के डुबकी निखरती है ग़ज़ल मेरी
शायरी की खातिर मुझे रोज़ नहाना भी होता है
ग़म -ए-फुरकत में खुद को बहुत तन्हा पाया
यूं कहने को साथ हरदम ज़माना भी होता है
ग़म ही ग़म है इश्क में ऐसा भी न लगे
फक़त इसलिए मुझे मुस्कुराना भी होता है
तमाम उम्र जोड़ने में ये भूल ही बैठे थे
एक रोज यहीं सब छोड़कर जाना भी होता है
कौन समझाए रूठने वाले को कि दस्तूर है ये भी
हरदम 'मनाने वाले' को, कभी मनाना भी होता है
यूं तो अशआर 'अमित' के ज़माने की नज़र हैं
वैसे उन्हें किसी खास को सुनाना भी होता है
भाई जल्दबाजी न करें। ग़ज़ल तसल्ली से कहें।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |