For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जमीन दूसरे की तो राजमहल भी दूसरे का

मेरा यह मानना है कि अगर जमीन अपनी हो और उस पर हम घास-फूस का भी घर बनाएगें तो वह घर मेरा ही होगा। मगर जमीन दूसरी की हो और उस पर हम राजमहल ही बना लें तो भी वह राजमहल मेरा नहीं ब्लकि जमीन वाले की कहलाएगी।

अब मैं उपर कही गयी बातों के आधार पर साहित्य के किसी आयातित विधा को देखें तो तो कैसा रहेगा.....

अगर मैं गलत हूँ तो भी अपनी राय दें या मैं सही हूँ तो भी अपनी राय दें।

Views: 1013

Reply to This

Replies to This Discussion

आनो भद्रा कृत्वो यन्तु विश्वतः  (ऋग्वेद)
इसे ऐसे भी कह सकते हैं, प्रत्येक के पास प्रत्येक दिशा से सद्-विचारों को आने दो. अवश्य ही इसका क्षेपक यह भी हो सकता है कि तदनुरूप सद्-विधा, सद्-व्यवहारों को आने दो और अपनाने दो. इसका स्पष्ट अर्थ यह हुआ कि कोई सद्-विचार और उस हेतु निस्सृत कोई विधा ’अपनी’ या ’उसकी’ नहीं होती. क्योंकि विचार ऊर्जा हैं. इनका प्रस्फुटन और आवश्यकतानुकूल परिवर्तन मात्र होता है. तभी भारतीय वाङ्गमय आह्वान कर उठता है - कृण्वन्तो विश्वम् आर्यम्  (हम समस्त को विश्व को ज्ञानवान करें). ओबीओ के ’सीखने-सिखाने’ की भावना इन्हीं मूल से प्राण पाती है.

लेखन वस्तुतः वैचारिक-संप्रेषण का अति उच्च माध्यम है. जिसका समग्र समुच्चय ही उस भाषा का साहित्य है. अतः इस गुरुतर कार्य हेतु चाहे जिस विधा का प्रयोग हो, स्पष्ट रूप में हो.

यह अवश्य है कि संप्रेषण हेतु प्रयुक्त विधा के नियम प्रयुक्त शब्द तथा प्रयुक्त भाषा के अनुसार परिवर्तनशील हों. यह अपरिहार्य है. विधा में यदि इतनी लोच और स्वीकार्यता नहीं है तो अवश्य ही वह उक्त शब्द-प्रयुक्ति तथा उक्त भाषा के लिए भाव-संप्रेषण हेतु तैयार नहीं है. यानि, यथोचित माध्यम नहीं है. अतः, विधा कहीं की हो, कैसी भी हो प्रयुक्त शब्दों और भाषा को संतुष्ट करे.

अतः, आवश्यकतानुसार, विद्वान और जागरुक संप्रेषणकार (रचनाकार) उस विधा को भाषा के अनुरूप मान्य बना लेने का गंभीर सद्-प्रयास करें.

शुभम्

agree with you

अगर बात भावनाओं की है तो ... भारतीय समाज ने सदैव "वसुधैव कुटुम्बकम" को अपना आदर्श माना है

साहित्य को भी मैं इस सोच के साथ स्वीकार करता हूँ... बाद बाकी कुछ लोग उर्दू को ही अपनी भाषा नहीं मानते
ऐसे लोगों पर दया भी नहीं आती
क्योकि वो इस लायक भी नहीं हैं

सादर

सही कहा है आपने, वीनसभाई.

अयं निजः परोवेति गणना लघुचेतसां
उदार चरितानान्तु वसुधैव कुटुम्बकं

भारत को अनादिकाल से आध्यात्म व दर्शन में विश्व-गुरु का दर्जा प्राप्त है, यदि आयातित विधाओं पर लिख कर उपनी उच्च सोच को सम्पूर्ण विश्व तक पहुंचाया जा सकता है, तो सद्भावों का सम्प्रेषण चारों दिशाओं में होना ही चाहिए. काव्य या लेखन तो भाव सम्प्रेषण का माध्यम हैं, भावों की प्रस्तुति किसी भी विधा में क्यों न की जाए, भाव-कथ्य सांद्रता यदि विधा के मानकों को संतुष्ट करे तो वो लेखन मेरा या तेरा न रह कर अपने लिखे जाने की सार्थकता को ही प्रस्फुटित करता है. सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ. भाई सुशील जी, सुंदर दोहावली हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भूल सुधार - "टाट बिछाती तुलसी चौरा में दादी जी ""
6 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आ.गिरिराज भंडारी जी, नमस्कार! आपने फ्लेशबैक टेक्नीक के  माध्यम से अपने बचपन में उतर कर…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी।"
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service