For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

''कन्यादान '' महोत्सव में सभी रचनाकारों ने लगभग दहेज़,तथा वर पछ के प्रति एक से विचार ब्यक्त किये है.परन्तु ऐसा नहीं है. सुन्दर सुशील गुणवान कन्या को हर ब्यक्ति पसंद करता है .हमारे समाज के पुराने नियम परंपरा संस्कार काफी शोध के उपरांत बने है. कन्यादान शब्द का अर्थ किसी वस्तु के दान से तुलना करना मेरे विचार से कदापि उचित नहीं है .दो वंश परिवार सैकड़ो रिश्तेदारी एक साथ जिस रस्म के साथ जुडती है वह कन्यादान है .सभी लोगों ने नारी प्रताड़ना की बात कही ,समाज के कुछ लोग दहेज़ के लालच में ऐसा करते भी है .मगर पूरा समाज ऐसा निर्दयी नहीं है.अता समाज में जिन नारियो कि हालत अच्छी है उनके पीछे भी पुरुषो का हाँथ है इसमें कोई संदेह नहीं..ये मेरे निजी विचार है.

Views: 894

Reply to This

Replies to This Discussion

नीरज जी, क्या आपने आयोजन की ’सभी’ रचनाओं को देखा-पढ़ा है? आप कृपया एक बार आयोजन की सारी रचनाओं को देख-पढ़ लें. चूँकि आयोजन समाप्त हो चुका है, अतः, अब आप सम्मिलित रचनाओं पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ तो नहीं दे सकते, परन्तु, उन्हें पढ़ना और प्रतिक्रियाओं को पढ़ना अभी भी संभव है.   या फिर, सभी रचनाओं के संकलित पोस्ट की प्रतीक्षा करें. फिर आप देखें क्या ’सभी’ रचनाकारों ने वैसा ही कुछ लिखा है जैसा आपको लग गया है?

शुभेच्छा

कुछ आदरणीय सदस्यों ने कहा कि कन्या कोई वस्तु नही तो कन्या का दान क्यों ! कन्यादान की जगह वर का दान जैसी बातें भी सामने आई !

लेकिन क्या दान सिर्फ वस्तुगत होता है ?

क्षमा दया ज्ञान आदि का दान क्या दान नही ?

 

सच है कि कन्यादान जैसी महान परंपरा के साथ कुछ घिनौनी बुराइयां भी जुड गई है लेकिन इस कारण इस परंपरा के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगाना ठीक न होगा ! ये जीवन के लिए कितना आवश्यक है ये कहने की बात नही ! समस्याओं के निराकरण के लिए इसे बदलना उचित नही होगा !

और बदलेगे भी तो क्या करेंगे ? दो रास्ते है –

 

१)      कन्या की जगह वर का दान किया जाए ! उससे सिर्फ ये होगा कि विरोध का परचम आज स्त्रियों के हाथ है , उस समय पुरुषों के हाथ होगा ! लेकिन स्थिति फिर भी नही बदलेगी !

२)     सृष्टिसृजन मात्र के लिए वर और कन्या को एक साथ रखा जाए उसके उपरांत वो स्वतंत्र हों लेकिन ऐसी स्थिति के बाद “मानव” , “सभ्यता” और “भारतीयता” जैसे शब्दों की परिभाषा ही बदलनी पड़ेगी !

 

ईश्वर ने स्त्रियों को पुरूषों से अधिक योग्य और सक्षम बनाया है ! हमारे भारतीय समाज ने उन्हें पुरूषों से ऊँचा स्थान भी दिया ! परंपरा को बदलने से बेहतर है कि उसमे समा चुकी बुराइयों को दूर किया जाए !

 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
20 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, सुन्दर गीत रचा है आपने. प्रदत्त विषय पर. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, मौसम के सुखद बदलाव के असर को भिन्न-भिन्न कोण…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . धर्म
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहा सप्तक. . . . . मित्र जग में सच्चे मित्र की, नहीं रही पहचान ।कदम -कदम विश्वास का ,होता है…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"गीत••••• आया मौसम दोस्ती का ! वसंत ने आह्वान किया तो प्रकृति ने श्रृंगार…"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आया मौसम दोस्ती का होती है ज्यों दिवाली पर  श्री राम जी के आने की खुशी में  घरों की…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service