For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी क्रम में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-119 

विषय - "वो भी क्या दिन थे"

आयोजन अवधि- 12 सितम्बर 2020, दिन शनिवार से 13 सितम्बर 2020, दिन रविवार की समाप्ति तक अर्थात कुल दो दिन.

ध्यान रहे : बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी मौलिक एवं अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता, अतुकांत आधुनिक कविता, हास्य कविता, गीत-नवगीत, ग़ज़ल, नज़्म, हाइकू, सॉनेट, व्यंग्य काव्य, मुक्तक, शास्त्रीय-छंद जैसे दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि.

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.
रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 12 सितम्बर 2020, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा।

यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.

महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
ई. गणेश जी बाग़ी 
(संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम परिवार

Views: 4219

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय सतविन्द्र भाई

छाछ, नमक, चटनी या गुड़ थे रोटी संग
बचपन वाली खीर सँभाले बैठे हैं। ...........  अति सुंदर

हृदय से बधाई इस प्रस्तुति पर

 

आदरणीय अखिलेश जी, सादर वंदन सह आभार

ओ बी ओ महोत्सव अंक ११९ के लिए 
विषय - वो भी क्या दिन थे 
विधा - ग़ज़ल
स्वरचित - मौलिक - अप्रकाशित 

****

वो भी क्या दिन थे जो अपनों से लड़ा करते थे,
था वो बचपन पर जुदाई से डरा करते थे ।

हम भी मालिक थे जहाजों के कई वर्षों तलक,
पर वो बरसात के पानी में चला करते थे ।

शोहरत इतनी कमा लेते थे दोस्तों में यूँ,
जीते कंचे थे वो जेबों में दिखा करते थे ।

कितना तब शोर हुआ करता था छत पे यूँ ही,
जब कोई मैच पतंगों के हुआ करते थे ।

कितनी ग़मगीन हुआ करती थीं रातें तब भी,
जब किसी खेल में अपने ही दगा करते थे ।

बचपन निश्चय ही सुहाना और अविस्मरणीय समय होता है जीवन का। उसे आपने खूब जीवंत किया है। बहुत खूब रचना

आदरणीय अजय गुप्ता जी स्नेहिल शब्दों के लिए तहे दिल से शुक्रिया ।

आदरणीय हर्ष जी

हम भी मालिक थे जहाजों के कई वर्षों तलक,
पर वो बरसात के पानी में चला करते थे । ......... वाह  ! बहुत सुंदर

हृदय से बधाई इस प्रस्तुति पर

आदरणीय अखिलेश जी आपकु आमद और पसंदगी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।

सादर ।

गजल का अच्छा प्रयास है आदरणीय, हार्दिक बधाई

कुछ बिंदुओं पर विचार किया जा सकता है, जैसे: काफ़िया बंदी सही नहीं हुई (ईता का ऐब महसूस हो रहा है)।

2. कोई  शब्द का इस्तेमाल एकवचन में ही हुआ करता है। सादर

आदरणीय सतविंदर कुमार राणा जी आपकी आमद और महत्वपूर्ण इस्लाह का ह्रदय तल से शुक्रिया ।

सादर ।

२४ मात्रिक पद, समापन गुरु से
नवगीत

हाथ मिलाकर मिलते थे हम जब मिलते थे
गले लगाकर मिलते थे हम जब मिलते थे
होती थी मुस्कान, मुखौटा नहीं चढ़ा था
मुख दिखलाकर मिलते थे हम जब मिलते थे

होटल में खाने का किस्सा अगर छिड़ा तो
बाहर आने जाने का मन अगर हुआ तो
छुट्टी मिलती थी तो मन खुश हो जाता था
चल पड़ते थे कहीं घूमने समय लगा तो

रहती थी गतिमान पहर ये चार ज़िंदगी
पर थमी थमी सी लगती है अब ये कितनी
कुछ दिन लगा भला पर अब ये भी तो सोचें
उतनी ख़ुशियाँ पाईं क्या खोईं हैं जितनी

नहीं अकेला नगर-देश-परिवार हिला है
पड़ी आपदा अनायास संसार हिला है
कहने को तो जीवन शैली बदली है बस
दुनिया का पर सामाजिक आधार हिला है

सुख दुःख में भी आना जाना छूट गया है
रिश्ता सबका जैसे सबसे टूट गया है
जिस घट में थे प्राण हमारे संबंधों के
चोट काल की लगी वही घट फूट गया है

साहस रखकर बढ़ते रहने का निश्चय हो
संकल्पों को जीवित रखने का निश्चय हो
लौट चले आयेंगें वो दिन जग के फिर से
बुरे समय में हाथ पकड़ने का निश्चय हो

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

आदरणीय अजय भाईजी

कुछ महीनों पहले जो स्थिति थी और आज जो महामारी विश्व स्तर पर फैली है उसे आपने सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है। हृदय से बधाई

 

शुक्रिया अखिलेश जी

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service