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OBO लाइव तरही मुशायरा (345)

Featured Discussions

हिंदी की 50 सर्वश्रेष्ठ कह-मुकरियाँ

हिंदी की 50 सर्वश्रेष्ठ कह-मुकरियाँ  "कह-मुकरी" एक बहुत ही पुरातन और लुप्तप्राय: काव्य विधा है! हज़रत अमीर खुसरो द्वारा विकसित इस विधा पर भ…

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" गोल्डन जुबली अंक (Now Closed)

परम आत्मीय स्वजन, "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के "गोल्डन जुबली अंक" अर्थात 50 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है. इस बार का मिसरा -ए-तरह हि…

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प्रधान संपादक

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-48 में प्रस्तुत सभी रचनाएँ

(1). आ० अरुण कुमार निगम जीये प्यार मस्त नज़र के सिवा कुछ और नहींखुमार ए चढ़ती उमर के सिवा कुछ और नहीं |१|न पूछ यार मुझे प्यार किसको कहते हैंम…

Started by योगराज प्रभाकरLatest Reply

Discussions Replies Latest Activity

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है । इस बार का मिसरा जनाब 'अहमद फ़राज़' साहिब की ग़ज़ल से लिय…

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160 May 25
Reply by Richa Yadav

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |  इस बार का मिसरा मिर्ज़ा'ग़ालिब' साहिब की ग़ज़ल से लिया…

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127 Apr 27
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 165 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है |  इस बार का मिसरा जनाब फ़रहत अब्बास शाह साहिब की ग़ज़ल स…

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149 Mar 30
Reply by Aazi Tamaam

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 164 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब सीमाब अकबरआबादी साहिब की ग़ज़ल से…

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215 Feb 25
Reply by Mahendra Kumar

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-163

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 163 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा 'जान एलिया' साहिब की ग़ज़ल से लिया गया…

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84 Jan 27
Reply by Nilesh Shevgaonkar

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-162

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 162 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब 'शकील' बदायूनी साहिब की ग़ज़ल से…

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253 Dec 29, 2023
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्य…

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3543 Dec 28, 2023
Reply by धर्मेन्द्र कुमार सिंह

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-161

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 161 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब मुहसिन नक़वी साहिब की ग़ज़ल से लिय…

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256 Nov 25, 2023
Reply by dandpani nahak

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-160

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 160 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा जनाब मुहम्मद अल्वी साहिब की ग़ज़ल से ल…

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319 Oct 29, 2023
Reply by Euphonic Amit

रचनाओं को सम्मानित करने की एक अनूठी पहल @ महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना ( Best Creation of the Month )

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सभी सदस्यों को एडमिन का प्रणाम. यह घोषित करते हुये मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है कि OBO पर पोस्ट होने वाली अच्छी…

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871 Oct 14, 2023
Reply by rohit mitro

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
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pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
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प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
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सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
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सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर

कहूं तो केवल कहूं मैं इतना कि कुछ तो परदा नशीन रखना।कदम अना के हजार कुचले,न आस रखते हैं आसमां…See More
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