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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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हर शेर लाजवाब है मिर्जा भाई , मुबारकबाद |

मुहतरम जनाब अनीस शेख़ साहिब आदाब, 

सुख़न नवाज़ी का मशकूर हूं 

उम्दा ग़ज़ल हुई है आदरणीय मिर्ज़ा साहब| हार्दिक बधाई| 

मोहतरमा कल्पना रौनक़ साहिबा आदाब, 

हौसला अफ़ज़ाई का दिली शुक्रिया 

आदरणीय जावेद साहब, खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.

मेरी क़ीमत बता गया है मुझे
राह से वो हटा गया है मुझे


क़ब्ल मरने के वो ये कहने लगा
ये तकब्बुर मिटा गया है मुझे


जिसकी रग रग में झूट पिंहाँ है
आइना वो दिखा गया है मुझे


तुम नहीं हो मेरे मुक़द्दर में
इक नजूमी बता गया है मुझे


कोई आँखों में डाल कर आँखें
जाम-ए-सहबा पिला गया है मुझे


ओबीओ ने दिया है ये मिसरा
"सब्र करना तो आ गया है मुझे"


एक शब आके ख़्वाब में "आरिफ़"
कोई ख़ुद से मिला गया है मुझे

मौलिक व अप्रकाशित

आरिफ़ साहब बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई।

ख़ास तौर पर तरही मिसरे का जिस तरह से प्रयोग किया वो बहुत रोचक बन पड़ा है।

मुबारक हो

ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय अजय गुप्ता जी ।

जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

दाद-ओ-तहसीन का बहुत-बहुत शुक्रिया आली जनाब मोहतरम समर कबीर साहब ।

बेहतरीन मक़ते और अशआर 3-4-5 के साथ बेहतरीन ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब मोह़म्मद आरिफ़ साहिब।

दाद-ओ-तहसीन का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
14 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday

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