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घनाक्षरी (कवित्त) लिखे के प्रयास भोजपुरी में कईले बानी, रउआ लोगन से निवेदन बा कि आपन विचार से अवगत कराई सभे कि हमार प्रयास केतना सफल बा |


 

हां में हां मिलावे जेहि, बतिया बनावे जेहि,

विश्वास ओकरा पर, कबहू करिहा |

 

आपन जतावे जेहि, बहुते लगावे जेहि,

वोकरा से कुछऊ , जिन आस करिहा | 


 

मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,

वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |


नियालय देवालय, दूनो एक जईसन,

ठाढ़ होके उहाँ जनि, बकवास करिहा ||

 

गणेश जी "बागी"

हमार पिछुलका पोस्ट => कुहकत बाड़ी "माई भोजपुरी"

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Replies to This Discussion

Ati sundar Bagi sahab. Bhojpuri me ek or yogdan.
बहुत बहुत धन्यवाद आनंद भाई |
आदरणीया वंदना जी, आप जैसी फनकारा की सराहना बहुत मायने रखती है, बहुत बहुत धन्यवाद |
Kavita niman baa, lekin vichar me tani sanshodhan k gunjaish baa... 'mehari' kauno alaga jeev-jeevanu naikhe... jaise mard vaisahin mehraru... chal-andaz kehu k gadbad ho sakela, mard hokhe va mehraru! Rachanatmak sakriyata k khatir BADHAI...

आदरणीय श्याम बिहारी भईया, राउर कहल सही बा , बाकिर लेखक जवन अनुभव करेला उ लिखेला, इ संभव बा की हर जगह लागू ना होखे, इ त लेखक के व्यक्तिगत अनुभव बा, सबकर सहमति जरुरी नईखे | रचना के सराहना हेतु बहुत बहुत धन्यवाद |

 

वाह बागी भैया वाह!!!

 

 मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,

वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |

 

घनाक्षरी/कवित्त का आनंद तो सुनने में ही आता है| अगर हो सके तो इसे रिकॉर्ड करके लगाइए ....कसम से मज़ा आ जायेगा|

राणा भाई आपके सुझाव के अनुसार इस घनाक्षरी को रिकॉर्ड कर ऊपर में प्लेयर लगा दिया हूँ , जरा सुनिए और बताइए कैसा लगा |
jai ho jandar sandar manmokat lajabab fir se jai ho

बातऽहि ले बात कहि बात जउन बनि गइल... असलि जे बात हऽ ई बढ़ि गइल बतिया..
कहीं भाई बाग़ी आजु, कहीं चाहें चुपि जाईं.. लुब्बेलुबाब हजे ऊहे रही बतिया.. ...   का? .. आकि, जवन हमनी के पुरनिया कहि गईल बाड़े.. ऊहे सत्त.. ऊहे सनातन.. आ ओही के खूँटा.. आ ओह खूँटा के जमगर ठोंक..

राउर बात आ कहे के ढंग-लूर बहुते मजगर लागल बा. एह पवित्र कोशिश खातिर रउआ बधाई... आ सुभे-सुभ.

//मरदा से जादे जहाँ, मेहरी बोलत होखे,
वोह ठाही कबहू न, परवास करिहा |//
ई पंक्ति के तासीर ऊ एकदम नइखे जवन एक झटका में बुझाता.. भा लउकऽता.

अइसना इशारा आ कथ्य के सोरि (जड़) कबीरबाबा, तुलसीबा, रैदासबाबा (रविदास) आ गुरुनानकदासजी अस समाजसुधारकन के कहलकी बतियन से खाद-पानी पावेला..
एक हालि फेरु से बहुत-बहुत बधाई.

आहा ! सौरभ भईया, अइसन प्रतिक्रिया पाके केकर मन दोहर ना होई, साच कही त मन अघा गइल, रउआ  रचना के आत्मा मे घुस के आपन टिप्पणी दिहले बानी, हमनी  के बहुत सौभाग्यशाली बानी जा जे रौआ नियर विद्वान हमनी के बीच बानी, बहुत बहुत आभारी बानी हम रा उ र  |
Badhiya prayog ba. Gramy prachalit kahawat k le k likhal gail ba. Nik lagal.
बहुत बहुत धन्यवाद आशीष भाई |

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