आदरणीय साथिओ,
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धरा की महानता दर्शाती बहुत अच्छी लघु कथा है ..दूसरी कथा में आप जो कहना चाहरहे हैं भली भांति संप्रेषित हुआ है ...हार्दिक बधाई आदरणीय ..दोनों सफल लघु कथाओं के लिए
आदरणीय मोहम्द आरिफ साहिब, प्रथम प्रस्तुति बढ़़ीया रही परन्तु शायद कुछ सपाट रह गई । दूसरी प्रस्तुति 'सीरत' / अब मिसेस वर्मा खुद..............।/ में आपने जो अनकहा छोड़ दिया है वह अनकहा नहीं बल्िक बाकौल प्रधान संपादक अनलिखा है । अंत में छोड़ गए प्रश्नचिन्ह के बारे में अपनी लघुकथा में कोई संकेत अवश्य छोड़ना चाहिए था इसलिए मुझे यह लघुकथा (क्षमा सहित) अधूरी लगी । सादर
हार्दिक बधाई आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।आपकी दोनों लघुकथायें बहुत प्रभावशाली हैं।
आदरणीय आरिफ साहब, प्रथम लघुकथा अच्छा सन्देश छोड़ रही है किन्तु कथानक में नवीनता का अभाव है. दूसरी लघुकथा अच्छी बन पड़ी है.
//मिसेस सरिता वर्मा ने वैशाली कपूर को पार्टी में पहचान ही लिया जो सुश्री से मिसेस वैशाली कपूर अभी -अभी बनीं है ।//
मिसेज वर्मा नवविवाहिता वैशाली को पार्टी में देख बोल पड़ी ...
बधाई इन दोनों प्रस्तुतियों पर.
आदरणीय , संवादों के माध्यम से कथा का बहुत बड़ा हिस्सा कहना तलवार की धार पर चलना होता है। ' दामन ' के संवाद बेहद लॉजिकल हैं। मगर , क्षमा कर दें तो कह दूं कि यह कथा दिल को उतना नहीं छू पाई जितना दिमाग को। दूसरी बात // खींचे चलें आते हैं// और // खिंचे चले आते हैं// के अर्थ पर भी थोड़ा गौर कीजिए। // बड़ी सहज अंदाज़// को आप शायद // बड़े सहज अंदाज़// कहना चाहें।
'सीरत' के भी संवाद और प्रस्तुति बेहद शानदार है। मगर मैं आपसे कुछ अतिरिक्त की उम्मीद कर रहा हूं तो मात्र इसीलिए कि मुझे आपकी लेखनी आश्वस्त कर रही है। अगली बार किसी गोष्ठी में मिलना हो तो मेरे मुंह से वाह निकले , यह वादा आपसे चाहता हूं। क्या कहते हैं आप ? YES कहा न आपने ?
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