आदरणीय साथिओ,
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आदरणीया अर्पणा शर्मा जी, एक सार्थक सन्देश देती बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है आपने. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर
बढ़िया संदेशपरक रचना लिखी है आपने विषय पर, बधाई आपको
दिखावा -
सुबह सुबह मिश्रा जी आकर बोले – “अग्रवाल जी आज के अखबार में जयपुर में दिव्यान्गों के लिए आरक्षित पेट्रोल पम्प के लिए विज्ञापन छपा है | इस बार फिर से आप आवेदन करों शायद इस बार
किस्मत काम कर जाए तो बच्चो के लिए रोजी रोटी का स्थाई जुगाड़ हो जाएगा | चाहो तो मेरे साथ साझेदारी कर लेना” |
चाय की चुस्की लेते हुए अग्रवाल जी कहने लगे “नहीं मिश्रा जी, मुझे फिर से परेशान नहीं होना |
ये आबंटन ऊँची रसुकात वालों को ही आबंटित होते है | आवेदन मांगकर साक्षात्कार करना तो बस ओपचारिकता है | पहले मैंने आवेदन के साथ लगाने हेतु विकलांगता प्रमाण पत्र, जयपुर का स्थाई निवासी होने का प्रमाण पत्र, वित्तीय साख का स्टेटस प्रमाण-पत्र आदि बनवाने में दो हजार रूपये खर्च कर दिए और किसी के मार्फत शहर के सांसद से मिला तो उन्होंने मेरा नाम नोट कर लिया और बोले मै मंत्री जी को कह दूंगा बाकि आपका भाग्य |
साक्षात्कार के दिन मुझे मेरे सहपाठी रहे पूर्व मंत्री रहे शेखर आजाद मिल गए | उन्होंने स्पष्ट शब्दों में बताया कि ये पेट्रोल पम्प तो सांसद जी की सिफारिश पर हमारी पार्टी के एक कार्यकर्ता श्री दुसाद को आबंटित होना तय है | और असलियत में उन्हें ही आबंटित हुआ है, साहब | इससे इस बात की पुष्टि हो गई कि असल में आरक्षण का लाभ तो चुनिन्दा लोगो के परिवारों को ही मिल रहा है | ये आवेदन माँगना और साक्षात्कार लेना तो दिखावा मात्र है | ऐसे में ये आरक्षण उन जातियों का और निशक्तो आदि का विकास कर उन्हें सक्षम बना विकास की धारा में लाने के लिए नहीं बल्कि वोटों की राजनीति के लिए है मिश्रा साहब | मै इसका भुक्त भोगी हूँ और मुझे पुनः प्रयास नहीं करना |
(मौलिक व अप्रकाशित)
//मुझे पुनः प्रयास नहीं करना |//
इस पंक्ति ने लघुकथा को "धारा के विपरीत" ले जाने के बरअक्स पलायनवाद की तरफ धकेल दिया आ० लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जीI रचना प्रदत्त विषय से ज़रा भी न्याय नहीं कर पाईI बहरहाल, सहभागिता हेतु अभिनन्दन स्वीकार करेंI
जी | एक वोट की कितनी कीमत चुकानी पड़ती है, ये आभास हो गया साहब |
“मै इसका भुक्त भोगी हूँ और मुझे पुनः प्रयास नहीं करना |” इस पंक्ति कि जगह ये लाइन जोड़ने पर कुछ बात बनती है क्या आदरणीय – “अब तो हमें राजनैतिक स्वार्थवश चलते आरक्षण को खत्म कराने का प्रयास से भी अधिक भाई भतीजावाद और भ्रष्टाचार के विरुद्ध मुहीम चलानी होगी |”
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