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बतकही (2) ( गपसप )

लछुमन भाई के चाय के दुकान पर बईठ के हम चाय के चुस्की ले ले के पेपर पढ़त रहनी ह, पेपर में सब जगे दीदी के चर्चा बा , पेपर देखत रहनी तबे हमरा बुझाइल ह कि केहू हमरा सामने खड़ा बा हम आपन माथा ऊपर कईनी त देखतानी कि बिगन ठाकुर आउर महेश सिंह दुनु जाना हाथ जोडले खडा बा लोग, हमर ऊपर देखत भइल ह कि दुनु जाना एके संगे प्रणाम गुरु जी बोलुये लोग, हमहू प्रणाम के जबाब प्रणाम में दिहनी, तबही महेश सिंह फेरु चाय बनावे के आदेश दे देहुअन, लछुमन भाई चाय बनावे में लगलन तले दू चार आदमी आउर आ गइल, आउर चुनावी चर्चा होखे लगुवे हम कहुवी भाई अभी दू चार दिन तोल मोल के बोल लोग सेहत खातिर आच्छा रही काहे की बहुत लोग लाल से हरिहर गुलाल लगावे लागल बा बाकिर अन्दर से लाल के गुबार अभी बनल बा, तबही बिगन ठाकुर कहलन एगो बात पूछी गुरु जी ? त हम कहनी एगो का दू चार गो पूछ, उ कहलन हमर यादाश्त थोडा कमजोर बा बाकिर येताना इयाद बा की दीदी बाजपेई जी के सरकार में भी रेल मंत्री रहली , हम कहनी एक दम ठीक रहली , त उ कहले उ एह से पदत्याग कर देले रहली की वो सरकार में ताबूत घोटाला भइल रहे, हम कहनी इहो बात तोहर सही बा, फिर उ कहलन तब रउआ इहो इयाद होई की वो साल दीदी के बड़ा शर्मनाक हार भइल रहे, हमार जबाब रहे तहरा यादाश्त के जबाब नइखे भाई , त उ कहले एगो पत्ता के बात सुनी दीदी जब महंगाई के घोटाला के बिरोध कईली त कही के न रहली आउर आज महंगाई के साथे साथे घोटाला बाजन के साथ दिहली त आज उनकर बल्ले बल्ले हो गइल बा, एह बात पर सब कोई के आँख खुल्ले रह गइल, तब हम कहनी बिगन भाई तहार बात ठीक बा बाकिर जनता के लगे कवनो रास्ता न रहल ह आगे पहाड़ पीछे खाई वाला बात रहल ह , आउर लोग बाग बुरबक नइखे देखत नइख दीदी के अकेले बहुमत में ले आइल बा, अब दीदी घोटाला बाजन के संगे महंगाई के भी बिरोध करिहन काहे से दीदी जुझारू नेता हई, जईसे बन्दर गुलाटी मारल न भूले वईसे दीदी भी आपन काम न भुलिहन आउर इहे भगवन से निवेदनो बा की उ दीदी के शक्ति देस, हम सब कोई के राम सलाम क के चल देहनी |,

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Replies to This Discussion

बहुत खूब गुरु जी , बात बात मे बहुत बड़ बात बतिया देत बानी, बहुत नीमन शुरुआत बा, बतकही होत रहला के काम बा, प्रसंसा के योग्य बा इ बतकही |
बहुत खूब - अइसन बतकही हमेशा होखत रहे के चाहीं ।
bahut bahut dhanybad bagi ji aur nilam ji

भाई रविकुमारजी, राउर ई गपसप के मचान पर हम पहिला हाली चढ़ल बानी  आ अतना मजगर बात पर टिप्पणी देखि-पढ़ के मन एकदम्म से भक्क भऽ गइल बा. पहिला पर तऽ हमसे हमार बधाई सँकारऽ.  तहार ई लिखाई कहवाँ अलोत रहे भाई?!! अतना बरियार कथ्य खातिर हमार बड़हन आशीष. 

हमरा अपना लइकाईं के दिना इयाद आवे लागल बा जब पटना से ’आर्यावर्त्त’ अखबार छपत रहे अ ओह में चुटकुल्लानन्द की चिट्ठी नाँव से एगो कालम हरदिना आवे.  ऊ हरदिना के कालम रहे भा साप्ताहिक आवे.. ई अब एतना इयाद तऽ नइखे, बाकिर ऊ सामाजिक लफ्फाजी पर जोरदार चिउँटी लेवे.  एह गपसप के जिनिगी निकहा लमहर होखो आ अइसना टिप्पणी से ओझुराइल मन के खोराकी मीलत रहो. .. ईहे प्रार्थना बा... एक बेर फेर से बधाई आ हिरदा से आशीष.

pandey ji raura ke bahut bahut dhanyabad ye kadar se hamar manobal badhawe khatir,

ई पाँड़ेजी के हऽ,  ए रवि जी?   कहीं राउर इसारा आ सम्बोधन हमरा ओरी त नइखे. बाकिर, हम तऽ सौरभ हईं जी.

ok sir ji saurabh bhaiya hi bolunga

हमार मन आ दिल से स्नेह चहुँपो..  आपन छोटका भइया के..

खूब पऽढ़ऽ...  खूबे सीखऽ.. आ मन से गूनऽ.. 

एह ओबीओ के लगले निकहा सही आ गुनी लोगन का बीच में बाड़ऽ  भाई.  .. मौका जनि जाये.. .

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