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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-12 (विषय: तस्वीर)

आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,

सादर वन्दे।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के 12 वें अंक में आपका स्वागत हैI "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पहले ग्यारह आयोजन बेहद सफल रहे। नए पुराने सभी लघुकथाकारों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक इनमें सम्मिलित होकर इन्हें सफल बनाया कई नए रचनाकारों की आमद ने आयोजन को चार चाँद लगाये I इस आयोजनों में न केवल उच्च स्तरीय लघुकथाओं से ही हमारा साक्षात्कार हुआ बल्कि एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा भी हुईI  गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए, जिससे कि यह गोष्ठियाँ एक वर्कशॉप का रूप धारण कर गईं। इन आयोजनों के विषय आसान नहीं थे, किन्तु हमारे रचनाकारों ने बड़ी संख्या में स्तरीय लघुकथाएं प्रस्तुत कर यह सिद्ध कर दिया कि ओबीओ लघुकथा स्कूल दिन प्रतिदिन तरक्की की नई मंजिलें छू रहा  हैI यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यह सभी आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं। तो साथियो, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है....
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-12 
विषय : "तस्वीर"
अवधि : 30-03-2016 से 31-03-2016 
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 30 मार्च दिन बुधवार से 31 मार्च 2016 दिन गुरूवार की समाप्ति तक)
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  30 मार्च दिन बुधवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२. सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
११. रचना/टिप्पणी सही थ्रेड में (रचना मेन थ्रेड में और टिप्पणी रचना के नीचे) ही पोस्ट करें, गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी बिना किसी सूचना के हटा दी जाएगी I
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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तस्वीर
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‘‘ हाॅं, बताओ छात्रो! कल क्या होमवर्क दिया गया था?‘‘

‘‘ सर! आपने, बलों के त्रिभुज नियम पर आधारित उदाहरण लिख कर लाने को कहा था ।‘‘

‘‘ अच्छा, राकेश ! तुमने क्या लिखा, पढ़कर बताओ?‘‘

‘‘ सर! दीवार पर टंगी तस्वीर बलों के त्रिभुज नियम के आधार पर ही संतुलित रह पाती है, दो बल रस्सियों में लगने वाले तनाव से प्रकट होते हैं और तीसरा दीवार में से अदृश्य रूप में सक्रिय रहकर इन दोनों को संतुलित कर लेता है और तस्वीर टंगी रहती है।‘‘

‘‘ सर! इसने तो पुस्तक की नकल कर ली है, मैंने इसकी व्याख्या दूसरे प्रकार से की है।‘‘

‘‘ बहुत अच्छा, विनोद! सुनाओ तुमने क्या लिखा है?‘‘

‘‘ सर! हमारे देश की तस्वीर क्रिकेट, फिल्में और राजनीति इन तीनों बलों से संतुलित रहती है जिनमें फिल्में और क्रिकेट ये दोनों बल तो लगते हुए सक्रिय दिखाई देते हैं पर तीसरा अदृश्य बल राजनीति, इन दोनों के बीच में सक्रिय रहकर संतुलन स्थापित करता रहता है।‘‘

‘‘ ? ! ! ! ! ? ‘‘
मौलिक और अप्रकाशित

'मौक़े पे चौका'- भौतिक विज्ञान के नियमों में प्रदत्त विषय को बख़ूबी लेते हुए समसामयिक परिदृश्य पर बेहतरीन कटाक्ष/तंज करती हुई अनुपम कृति के लिए तहे दिल बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय डॉ.टी.आर. सुकुल जी।
आदरणीय सर जी, कथा के अंत में प्रश्न व आश्चर्यबोधक चिन्ह इस तरह लिखने के बजाए अंतिम वाक्य के अंत में 'रहता है' के बाद आश्चर्यबोधक चिन्ह! लगाना सही रहेगा, मेरे विचार से!

आदरणीय शेख उस्मानी साहब ! कथोपकथन में छात्र की बात पूर्णविराम और इन्वर्टेड कामा के लगाए जाने पर समाप्त हो गई , अब अगला कथन या तो शिक्षक का या विद्यार्थी का संभावित लगता है , परन्तु सिचुएशन ऐसी है कि  न तो शिक्षक और न ही कोई विद्यार्थी कुछ बोल पा रहा है इसलिए यह " पूर्णतः विस्मयबोधक प्रश्न करता पिन ड्रॉप  साइलेंस"  ही अगले कथन के रूप में इन्वर्टेड कामा में पृथक  से प्रदर्शित किया गया  है।  यदि यह लघकथा के नियमानुसार उचित नहीं है , तो इसे हटाने में मुझे कोई आपत्ति नहीं है। सादर।  

आदरणीय शेख उस्मानी साहब ! कथा पर सर्वप्रथम उपस्थित होकर उसके मर्म सहित अपने मनोभावों को प्रकट करने के लिए विनम्र आभार।

वाह ! बेहद शानदार ! पढ़ते ही एकदम से चकित हो उठी । लघुकथ्य धर्म को निर्वाह करती एक अद्वितीय लघुकथा । हृदय से बधाई आपको आदरणीय त्रैलोक्य रंजन जी ।

आदरणीया  कान्ता जी ! आपने इस  कथा को  अपने मनोभावों से सुसज्जित कर दिया, इसके लिए विनम्र आभार। 

आदरणीय सुनील जी ! आपने इस  कथा को  अपने मनोभावों से सुसज्जित कर दिया, इसके लिए विनम्र आभार। 

अदृशय बल के बल पर कटाक्ष करती बेहतरीन कथा के लिए हार्दिक बधाई aadrniya T R Shukul ji 

नमन आदरणीय ,राजनीति का सक्रिय बल अदृश्य रह कर संतुलित करता रहता है ।बधाई फिजिक्स की कक्षा हेतु ।

 विनम्र आभार, आदरणीय पवन जैन साहब...

 विनम्र आभार, आदरणीया अर्चना जी। 

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