Tags:
Replies are closed for this discussion.
Bahot shukriya Preetam
bahut khoob subhaan allah !-
//हमारे बीच पहले एक याराना भी होता था
कभी चेहरा ये मेरा जाना पहचाना भी होता था//
गज़ब का मतले का शेर ...............
//यही काफ़ी कहाँ था तेरे आगे सर झुका देते
हमें तो दुनिया के लोगों को समझाना भी होता था//
सच कहा आपने ! दुनिया के लोगों को समझाना भी होता थाशिकम की आग में जलना तो फिर आसान था यारब
मगर दो भूके बच्चों को जो बहलाना भी होता था
यह शेर तो कलेजे पर सीधा ही वार करता है .......बधाई ....
फ़सीलें तो हवादिस ने दिलों में खेंच दी थीं पर
हर इक आबाद घर में एक वीराना भी होता था
बिलकुल सच कहा आपने !
गुज़र कर बारहा तूफ़ान ए यास ओ बदनसीबी से
फरेब ए ज़िन्दगी दानिस्ता फिर खाना भी होता था
भुलाये नहीं भूलता .......
धरम और ज़ात के हर ऐब से जो पाक था यारो
रह ए दैर ओ हरम में एक मैखाना भी होता था
क्या बात कही है बहुत खूब .......रह ए दैर ओ हरम में एक मैखाना भी होता थाकिये थे बारहा सजदे जमाल ए रू ए जानाँ को
इसी दिल में मोहब्बत का वो बुतखाना भी होता था
आय हए........इसी दिल में मोहब्बत का वो बुतखाना भी होता थातुम्हें अब याद हो 'मुमताज़' की चाहे न हो लेकिन
कभी दुनिया के लब पे अपना अफसाना भी होता था
कमाल का मकता ...........ग़ज़ल का एक एक शेर गज़ब ढा रहा है ...भाई तिलकराज कपूर साहब नें सच ही कहा है........बहुत खूबसूरत व बेहतरीन गज़ल है आपकी .... आपको बहुत-बहुत बधाई .....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |