Tags:
Replies are closed for this discussion.
आ० सौरभ जी ,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया .जब तक ठोकर नहीं लगती तब तक इंसान नहीं समझता ...आगे देखिये हम कैसे संभल के चलते हैं :-०))))))
समय सब कुछ सिखला देता है, किसी की हंसी उड़ाने से पूर्व यह ज़रूर सोच लेना चाहिये| खूबसूरत सन्देश देती रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी| कालखंड दोष के बारे में आदरणीय ओम प्रकाश जी सर ने जो कहा वो मेरे अनुसार भी मानने योग्य है| सादर,
चंद्रेश कुमार जी ,आपका बहुत बहुत शुक्रिया ..आपकी बात बिलकुल सही है |
अच्छी लघुकथा आ. राजेश कुमारी जी , बधाई स्वीकार करें।
बहुत- बहुत शुक्रिया आ० नीरज शर्मा जी .
'क्रीम बनाम बेल्ट'
'"फिर एक नई क्रीम ?आठ सौ रूपये ii..."पति उसकी क्रीम उठाकर पढने लगे थे I
"लाइए ,अन्दर रखनी है "उसने हाथ बढाया I
"भई इन महँगी क्रीमों का हाँसिल क्या है? पति की जेब कटाई बस्स ,सही है ना?जवान दिखने की इतनी चाहत क्यों है तुम औरतों में , अब उम्र है तो है ..क्यों ?
"अब दे दीजिये "'उसे अपने आप पर कोफ़्त हो रही थी कि लाते ही संभाल क्यों नहीं दी क्रीम I
",वैसे आजकल बेटी के साथ सेल्फी खूब डालती हो ,सहेलियां कहती होंगी ..'वाऊ तुम दोनों तो बहने लगती हो '.."अब पति को कोंचने में मजा आ रहा था I
"बस बहुत हुई टांग खिंचाई ,अब बस करो " उसे समझ नहीं आ रहा था किक्या बोले I
"अरे सुनो तो , जहाँ तक हमारा सवाल है ,तो भई हमारे लिएतो तुम अब जैसी भी हो ठीक हो ..अब कोई रिटर्न ऑफर तो होता नहीं है कि बदल के दूसरी ले लो क्यों ., अब गुस्सा मत हो जाना देखो ,चेहरा खराब हो जाता है "I
पति के तानों को फोन की घंटी ने विराम लगाया I
" देखो तो कौन है "अपने मजे में व्यवधान पति को अच्छा नहीं लग रहा था I
उसने फोन उठाया I बातें करते हुए उसके चेहरे के भाव धीरे धीरे बदल रहे थे I थोड़ी देर पहले का तनाव अब मुस्कान में बदल गया था I
"कौन था ?बडा मजा आ रहा था तुम्हे बातों में "I
"था 'नहीं' थी ' कोई' होम शॉपिंग वाली थी I आपने कोई बेल्ट आर्डर की होगी जिसे कमर में बाँधने से बाहर निकला पेट एकदम कस जाता है ,अगल बगल के टायर भी नहीं दिखते और ..."
"अरे, वो तो ऐसे ही लगा दिया था फोन एक दिन टीवी में देखकर "पति की आवाज़ से थोड़ी देर पहले का मज़ा गायब होने लगा था I
"ऐसे ही क्यों ? बिलकुल तीस साल जैसा कसा हुआ शरीर दिखता है इस बेल्ट को बाँध कर , ऐसा वो बता रही थी ,और वो भी मात्र पंद्रह हज़ार रूपयेI कल पहुँच जाएगा पार्सल I,वैसे मेरा तो काम बढ़ गया ना , अब बंटी के साथ साथ आप के लिए भी टी शर्ट्स खरीदनी होंगी .. हैं ना ?
उसकी आँखों की नटखट चमक और चेहरे पर खिंच आई चुलबुली मुस्कान में पढ़ लिए थे पति ने अपने सारे कटाक्षों के जवाब ,और वो निरुत्तर था अब I
मौलिक व् अप्रकाशित
हाहाहा .....ये कहानी पढ़कर एक पिक्चर की याद आ गई ...उसमे संजीव कुमार अपना पेट छुपाने के लिए बेल्ट लगता है तथा एक बार तो साँस रोकर ही खड़ा हो जाता है कोट के बटन टाईट करके बांधता है |बड़े चुटीले अंदाज में पति पत्नी की चुहलबाजी को खूब पेश किया प्रिय प्रतिभा जी बहुत- बहुत बधाई .
कथा पसंद करने के लिए आपका हार्दिक आभार , जिस पिक्चर का आप जिक्र कर रही हैं ,वो शायद 'पति पत्नी और वो ' है .याद करिए
जी हाँ वही.
"पति पत्नी और वोह" फिल्म का दृश्य है ये आ० राजेश कुमारी जी ! :)
जी ,आ० योगराज जी सही कहा ,बहुत मजेदार फिल्म थी |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |