For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ.बी.ओ. लखनऊ चैप्टर की मासिक गोष्ठी माह मार्च 2015 पर एक दृष्टि - डा0 गोपाल नारायण श्रीवास्तव

      ओ.बी.ओ. लखनऊ चैप्टर  की मासिक गोष्ठी माह मार्च 2015 का आयोजन दिनांक 15-03-2015 दिन रविवार को 37, रोहतास एन्क्लेव, फैजाबाद रोड, लखनऊ में सायं 2.00 बजे से प्रारंभ हुआ जिसमे निम्नांकित कवियों एवं साहित्यकारों ने प्रतिभाग लिया I

सर्व श्री

  1. डा0  शरदिंदु मुखर्जी                    मुख्य संयोजक

  2. डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव            अध्यक्ष

  3. मनोज कुमार शुक्ल ‘मनुज’              संयोजक /सरस्वती वंदन

  4. महेंद्र भीष्म                           कवि /साहित्यकार

  5. संध्या सिंह                                 ‘’

  6. एस सी ब्रह्मचारी                            ‘’

  7. कुंती मुकर्जी                                ‘’

  8. अक्षय श्रीवास्तव                             ‘’

  9. अरुण प्रताप सिंह                            ‘’

  10. आत्म-हंस मिश्र  ‘वैभव’                       ‘’

  11. नवीन मणि त्रिपाठी                           ‘’

                गोष्टी का प्रारंभ दोपहर 2 .00 बजे डा0 शरदिंदु मुखर्जी के स्वागत-भाषण एवं मनोज कुमार शुक्ल मनुज के स्वरों में माँ सरस्वती की सुमधुर छान्दसिक काव्य-वंदना से हुआ i गोष्ठी के प्रथम चरण में प्रयोगवादी कविता के पुरोधा सच्चिदानन्द हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय‘ जिनकी जयन्ती गत 7 मार्च को थी, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर चर्चा हुयी I डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव ने ‘अज्ञेय’ की प्रसिद्ध कविता ‘बावरा अहेरी’ की वस्तु और उसके वैशिष्ट्य से अवगत कराया I प्रसिद्ध कथाकार महेंद्र भीष्म ने ‘अज्ञेय’ के व्यक्तित्व और उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला I कवयित्री संध्या सिंह और आत्म-हंस मिश्र ‘वैभव’ ने भी अज्ञेय के सम्बन्ध में अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त किये I

        गोष्ठी के द्वतीय चरण का आगाज वीर-रस के कवि आत्म-हंस मिश्र  ‘वैभव’ की राष्ट्रीयतावादी रचनाओ से हुआ-

  सुमनों भ्रमरों से सजा हुआ यह चमन न छीन लेने देंगे

  हम राख बने या पानी हों पर वतन नहीं जलने देंगे

        कवि ‘वैभव’ का कंठ बड़ा ही ओजस्वी है और जब वे अपने चरम पर होते है तो प्रमाता बरबस वह-वाह कर उठते है i उनके निम्न आह्वान गीत ने भी उपस्थित कवियों को बहुत प्रभावित किया –

 “ रघुवर का तीर बने साथी

 युग की तस्वीर बने साथी

 इस धरती पर है आग लगी

आओ हम नीर बने साथी “

       कवयित्री संध्या सिंह जो अपनी प्रतीकों और बिम्बो के लिए विख्यात हैं और अपने मानवीकरण से छायावादी कविता का आभास देती है, उनकी निम्नांकित रचना इस कथन का प्रामाणिक दस्तावेज है -

 “ तहखाने से राज निकलकर

 आ पहुँचे बाज़ारों में

 जब भी खुसफुस की अधरों ने

 कान उगे दीवारों में

         भू वैज्ञानिक एवं कवि एस सी ब्रह्मचारी ने फागुन को फिर से याद किया और एक शृंगारिक रचना से उपस्थित कवियों का मन गुदगुदाया I

सखि री फागुन के दिन आए

तृषित रूपसी वारी वारी जाए

कलरव से गूंजे अमराई

प्रिय जाने किस देश पड़े

हर पल हर क्षण काटे तन्हाई

सूना-सूना दिन लागे साजन की याद सताए

सखि री, फागुन के दिन आए

        युवा कवि अक्षय श्रीवास्तव  ने प्यारी बहन का सुन्दर  वर्णन करते हुए परिवार के मध्य उसकी मोहक स्थिति का चित्रांकन किया -

“ पापा की वो लाडली है

मम्मी की दुलारी है

सबसे प्यारी बहना मेरी

जैसे राजकुमारी है

         संचालक  मनोज कुमार शुक्ल ‘मनुज’ जो अपने वर्णिक सवैयो के लिए ख्यात है उन्होंने अपने काव्य पाठ में परिवार और समाज में बेटी के महत्त्व को प्रतिपादित किया -

“ अपने माँ बाप का दु:ख दर्द बँटाती बेटी

  घर की रौनक को हुनर से है बढ़ाती बेटी

  एक बेटी सँवार देती पूरे कुनबे को

  खुद जो पढ़ती है पीढ़ियों को पढ़ाती बेटी

         डा0 शरदिंदु मुखर्जी ने गत माह दिल्ली में आयोजित ‘विश्व  पुस्तक मेला-2015’ में प्रतिभाग किया था  I वहां उन्होंने उस मेले में जो अनुभव किया उसे अपनी कविता में तीन दृश्य प्रदान किये I यह वर्णन कितना मार्मिक है यह सत्य निम्नांकित काव्य पंक्तियाँ में अन्तर्हित प्रथम दृश्य से स्वतः स्पष्ट है -

मेट्रो की घड़घड़ाहट / और ज़िंदगी की फड़फड़ाहट के बीच / कुछ शब्द उभरकर आते हैं / जब- / वरिष्ठ नागरिकों के लिए / आरक्षित आसन पर / नए युग का प्रेमी युगल / चुहल करता है / और- / अतीत की झुर्रियों का फ़ेशियल लिए  / लड़खड़ाती हड्डियों का / बेचारा ढाँचा / अवज्ञा की उंगली पकड़कर / अपने गौरवमय यौवन का / सौरभ लेता हुआ / कुछ पल के लिए खो जाता है;

.......वह ध्यान से सुनता है / उन नि:शब्द शब्दों के गुंजन को / जिन्हें आत्मसात कर प्रशांति मिलती है; / उसके आसपास/ /डोसा-चाट-पित्ज़ा की / चीख-पुकार लिए/ / एक बड़ा सा झमेला है, / फिर भी वह अकेला है- / यह विश्व पुस्तक मेला है / यह विश्व पुस्तक मेला है.

       अध्यक्ष गोपाल नारायन श्रीवास्तव ने सभी की रचनाओ को सराहा और ‘शिकार’ शीर्षक से बलात्कार का सतत शिकार होती भारतीय कन्यायो  की स्थिति पर क्षोभ व्यक्त किया –

वह भारत की बेटी है / अभी-अभी चिता पर लेटी है / क्योंकि बीस मिनट पहले ही / उसका हुआ है बलात्कार / जिसने छीना है उससे जीने का अधिकार / हम अभी उसकी अस्थियाँ बहायेंगे / आंसू टपकायेंगे, नारे लगायेंगे / मोमबत्तियां जलाएंगे और कल ---/ सब भूल जांयेंगे / परसों से ढूंढेंगे फिर नया शिकार -----

 

        अध्यक्ष ने आगत ग्रीष्म ऋतु पर कुछ सवैये भी सुनाये I  इनमे से एक सुन्दरी सवैया उदहारण स्वरुप प्रस्तुत है

सखि फूलत  सांस बढ़ी अति हाँफनि और चढ़ा विष सा कछु लागे 

रजनी भर  नींद परी न कभी  द्वय लोचन आलि निशा भर जागे

सिगरी  यह देह  पसेउ  भरी  सब  अंग  अधीर  पिरात अभागे 

पिय संग मिलाप--? नहीं सखि है यह ग्रीषम तात कृशानु के लागे

         गोष्ठी का समापन मुख्य संयोजक डा0 शरदिंदु मुखर्जी के धन्य्वाद भाषण से हुआ I आदरणीया कुंती मुखर्जी  अस्वस्थ होने के बावजूद कार्यक्रम में उपस्थित रही जो गोष्ठी की प्रेरणा का अहम् बिंदु रहा I

 

                                                                                                                               ई एस-1/436, सीतापुर रोड योजना

                                                                                                                   सेक्टर-ए, अलीगंज, लखनऊ

                                                                                      मोबा0  9795518586

Views: 1126

Reply to This

Replies to This Discussion

ओबीओ के लखनऊ चैप्टर द्वारा प्रति माह आयोजित आयोजन कई अर्थों में विविध होने लगा है. प्रत्येक आयोजन के प्रथम सत्र में किसी विशिष्ट विषय पर होती हुई चर्चा साहित्य के परिवेश को बहुमुखी आयाम देती है. इस बार अज्ञेय की स्मृति में हुई चर्चा क महत्त्वपूर्ण आयाम की तरह सामने आया है
 
आदरणीय गोपाल नारायनजी की रपट समस्त गतिविधियों को कैप्चर करने की सार्थक कोशिश करती है. कविगणों में सम्मिलित कुछ नाम तो समृद्ध लेखन का पर्याय हो चुके हैं.

इस विशिष्ट आयोजन की निरंतरता सभी सदस्यों की आत्मीय संलग्नता के कारण संभव हो पारही है. इस हेतु साधुवाद.

मेरी हार्दिक इच्छा है किसी माह इस मासिक गोष्ठी में मेरी भी उपस्थिति बन पाती. देखूँ, संयोग कब बन पाता है.
सादर

आदरणीय सौरभ जी

        आपका आशीष  हमें प्रति रिपोर्ट अनवरत मिलता है ,यह हमारी प्रेरणा का अजस्र स्रोत है . आ० अग्रज शरदिंदु जी और हम सब मिलकर  माह मई में ओ बी ओ की वर्षगाँठ पर कुछ बेहतर आयोजन की सोच रहे है.  इसमें आपकी उपस्थिति से हमारा न केवल मनोबल बढेगा अपितु कार्यक्रम की भी शोभा बढ़ेगी . इसकी सूचना आपको समय से प्रेषित की जायेगी . सादर .

//माह मई में ओ बी ओ की वर्षगाँठ पर कुछ बेहतर आयोजन की सोच रहे है//

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, आप सभी रूप रेखा तय करें, हम सभी का आपेक्षित सहयोग लखनऊ चैप्टर को मिलता रहेगा. मैं भी उस आयोजन में सहभागिता का प्रयास करूँगा, सादर. 

आदरणीय बागी जी

आपका स्नेह, आशीश और सहयोग सब शिरोधार्य . आपकी उपस्थिति हमें आह्लादित और रोमांचित करेगी  . मुख्य संयोजक आ०शर्दिन्दु जी सभी पदाधिकारियों को आमंत्रित करेंगे . अभी रूप रेखा बन रही है .  सादर .

आदरणीय डॉ साहब,  आपके इस सुचारु प्रतिवेदन के लिए हम सब (ओ.बी.ओ.लखनऊ चैप्टर के सदस्य) आपके आभारी हैं. इस महीने उपन्यासकार महेंद्र भीष्म जी की उपस्थिति और परिचर्चा में उनका सक्रिय अंश लेना एक उपलब्धि रही. कुंती जी का स्वास्थ्य उस दिन बगावत पर उतर आया था. वह कैसे आयोजन में बैठी थीं मेरे खुद समझ में नहीं आया. अगले दो दिन तक मुझे काफ़ी चिंता में डालने के बाद वे कुछ सुधरीं. यही कारण है कि मेरी प्रतिक्रिया देर से आ रही है.

आदरणीय सौरभ जी हमारे इस मासिक आयोजन को निरंतर अपनी शुभकामनाओं से समृद्ध करते रहते हैं. मई में हमारे प्रस्तावित वार्षिक कार्यक्रम में वे अवश्य उपस्थित रहेंगे यह मेरा भी विश्वास है. मेरा यह भी आग्रह है कि "ओ.बी.ओ. टीम" के सभी सम्मानित सदस्य उस दिन यहाँ उपस्थित रहें. हमें शीघ्र ही उस कार्यक्रम की एक रूपरेखा बनाकर तैयारी शुरू करनी है....ओ.बी.ओ..ऐडमिन और अन्य सदस्यों से सभी सम्भावित समर्थन और सहयोग की अपेक्षा रखता हूँ. सादर. 

आ० दादा

मैं अनुगामी . सादर . 

हम सब अनुगामी कहना श्रेस्कर होगा भाईजी.  यह अलग है कि सबकी अपनी-अपनी पारिस्थिक विवशताएँ भी प्रभावी रहेंगीं. परन्तु, इस विचार को क्रियान्वित होता देखना सभी सदस्यों की अपेक्षा होगी.

सादर

आदरणीय शरदिंदु भाई साहब, आप सब से मिले बहुत दिन हो गये, इसी बहाने आप सबसे मिलना हो जाएगा, आप कार्यक्रम तय करें और आप जैसा चाहेंगे वैसा "समर्थन और सहयोग" ओ बी ओ टीम से अवश्य मिलेगा. सादर.

आदरणीय सौरभ जी एवं बागी जी, आप दोनों के अत्यंत आत्मीय प्रत्युत्तर से हमें बहुत बल मिला है. हम यहाँ लखनऊ में जो आयोजन करना चाहते हैं उसकी रूपरेखा बनाकर शीघ्र ही आपको सूचित करेंगे. मुझे इस बारे में ओ.बी.ओ. लखनऊ चैप्टर के साथी सदस्यों से प्रेरणादायक सहयोग मिल रहा है. ईश्वर की अनुकम्पा से आयोजन को क्रियांवित करने में हमें सफलता मिलेगी. कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि आपसे किस प्रकार के समर्थन की आवश्यक्ता पड़ेगी. एक बार फिर आपका हार्दिक आभार. सादर.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service