For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

परतंत्र रहे तब देस भले, अब गीत सुराज क गावत बा  
सगरे सुकलान अँजोर बड़ा, तबहूँ मन झोंझ मचावत बा
दमदार कमासुत पूत जहाँ तकरो प विकास रिगावत बा
अबले पुरवांचल छाँटल बा सरकार क ढंग बतावत बा

घर बार बिलाइल जोत दहाइल गाँव-जवार उलार कहीं
सुख-चैन रहे जहवाँ निकहा, अब रोज इलाज-बुखार कहीं
लहलोट हुलास रहे कहियो अब आँखहिं लोर के धार कहीं
सुनु गाँव क हाल बयान करीं कि कपार प कील के मार कहीं

लइका हर गाँव के मातल बा हर बातहिं मारि-कटान कहीं
खलसा बतकूचन, गाल बजावल, रोज बवाल-गुमान कहीं
जहवाँ मुनि-संत समाज चलावसु, आजु उड़ान-पड़ान कहीं
जिनिगी जस गोहुँ दँवात इहाँ, खर-मूसर-जाँत पिसान कहीं

जुटिके हमनीं के विचार करीं कि समाज विकास करो बढिया
कइसे खलिहान सजो निकहा, कइसे हर जोत बनो बढिया
कइसे पुरहाल सलामत हो, कइसे घर-गाँव रहो बढिया
लउके हर बालक जीतत बा, बिटिया लछमी सुधरो बढिया  

खलिहान अनाज से बोझल हो, हर हाथ के काम मिले इहवाँ
मन में न मचान उठे कतहीं, अँगना-दुअरा न हिले इहवाँ
बरताव में लोग मुलायम हों, न सुभाव में डाह पिले इहवाँ
जब बोलत बोल झरे मुँह से जियरा बगियान खिले इहवाँ
**********
--सौरभ
**********
(मौलिक आ अप्रकाशित)

Views: 636

Replies to This Discussion

//जब बोलत बोल झरे मुँह से जियरा बगियान खिले इहवाँ//

आय हाय हाय, कईसे इ छंद आखि के सोझा ना आइल, बुझाते नईखे, भा ई कहीं ...देर से एहपर आवे से अफ़सोस होता, का गज़ब रचाइल बा, एक एक गो शब्द बुझाता अलगा से गाँव के माटी में सानि सानि जोड़ल गईल बा, एक एक बात आज के गवई माहौल के फोटो खिंच रहल बा, सहर के जहर गाँव ले आ गईल, बहुते पसन आईल इ रचना, बहुत बहुत बधाई एह प्रस्तुति प आदरणीय सौरभ भईया.

गणेश भाई, एह रचना के दिन आजुए सुकलान होखे के रहे.  हा हा हा हा...

दुर्मिल सवैया के प्रवाह के त जवाबे नइखे. एह प हमार कहलको नीमन लागल एह खातिर हम मन से धन्यवादी बानी.

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा पंचक - राम नाम
"वाह  आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत ही सुन्दर और सार्थक दोहों का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
दिनेश कुमार posted a blog post

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार ( गीत )

प्रेम की मैं परिभाषा क्या दूँ... दिनेश कुमार( सुधार और इस्लाह की गुज़ारिश के साथ, सुधिजनों के…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा पंचक - राम नाम

तनमन कुन्दन कर रही, राम नाम की आँच।बिना राम  के  नाम  के,  कुन्दन-हीरा  काँच।१।*तपते दुख की  धूप …See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service