सभी साहित्य प्रेमियों को प्रणाम !
साथियों जैसा की आप सभी को ज्ञात है ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रथम सप्ताह में "महा उत्सव" का आयोजन होता है, फाल्गुन के बौराई हवाओं और होली के मदमस्त माहौल में ओपन बुक्स ऑनलाइन भी लेकर आ रहे है....
इस बार महा उत्सव का विषय है "होली के रंग"
आयोजन की अवधि :- ४ मार्च गुरूवार से
६ मार्च रविवार तक
महा उत्सव के लिए दिए गए विषय को केन्द्रित करते हुए आप श्रीमान अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है ...
विधाएँसाथियों बड़े ही हर्ष के साथ कहना है कि आप सभी के सहयोग से साहित्य को समर्पित ओबिओ मंच नित्य नई बुलंदियों को छू रहा है OBO परिवार आप सभी के सहयोग के लिए दिल से आभारी है, इतने अल्प समय में बिना आप सब के सहयोग से रिकॉर्ड पर रिकॉर्ड बनाना संभव न था |
इस ५ वें महा उत्सव में भी आप सभी साहित्य प्रेमी, मित्र मंडली सहित आमंत्रित है, इस आयोजन में अपनी सहभागिता प्रदान कर आयोजन की शोभा बढ़ाएँ, आनंद लूटें और दिल खोल कर दूसरे लोगों को भी आनंद लूटने का मौका दें |
( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 04 मार्च लगते ही खोल दिया जायेगा )
यदि आप अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |
नोट :- यदि आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के सदस्य है और किसी कारण वश महा इवेंट के दौरान अपनी रचना पोस्ट करने मे असमर्थ है तो आप अपनी रचना एडमिन ओपन बुक्स ऑनलाइन को उनके इ- मेल admin@openbooksonline.com पर ४ मार्च से पहले भी भेज सकते है, योग्य रचना को आपके नाम से ही महा उत्सव प्रारंभ होने पर पोस्ट कर दिया जायेगा, ध्यान रखे यह सुविधा केवल OBO के सदस्यों हेतु ही है |
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रंगों की बरसात
यू तो हर सिम्त रंगों की हुई बरसात होली में
मगर कोई न आयी यार अबकी बार झोली में
कलफ कुर्ते में की और चेहरा अपना खूब चमकाया
मगर लानत कि ऐ किस्मत किसी को भी न मैं भाया
मेरी बोली में थी मिठास अबकी खूब होली में
मगर कोई न आयी यार अबकी बार झोली में |
*****
यूं तो चिंता नहीं करता कभी मैं अपनी मैडम की
मेरे हांथों में था एक हाँथ और मैडम भी आ धमकी
सफाई दी कहा पंडित धरम निभा रहा हूँ मैं
कुंवारी कन्या को उसका भविष्य बता रहा हूँ मैं
मैंने मैडम को आँका था बहुत फिर बहुत था कम
मैंने सोचा था गोली हैं मगर निकली वो एटमबम
दिखाए ऐसे ऐसे हाँथ अबकी बार होली में
मगर कोई न आयी यार अबकी बार झोली में |
*****
एक बच्चा है मेरा और वो भी सोलह साल का
खूब रखता है खबर वो मेरे दफ्तर के हाल का
मामला जान गया है वो मेरी दिल लगाई का
इससे पहले की करता बात मैं उसकी पढाई का
वो बोला आप सठियाने लगे हैं आज कल
प्यार की पींगे बढाने लगे हैं आजकल
लेकिन पापा ये हाई टेक ज़माना है
आपका हाव भाव देखकर मैंने ये जाना है
आपके गाल की सुर्खी किसी की होंठ लाली है
कीजिये जेब ढीली वर्ना मम्मी आने वाली है
हुआ बच्चा भी है गद्दार अबकी बार होली में
मगर कोई न आयी यार अबकी बार झोली में |
*****
अभिनव अरुण (०६-०३-२००४)
(जान प्यारी है तो तारीख देनी ही पड़ेगी हा हा हा ..बाकी सफाई कहीं और भी ...)
क्या बात है अभिनव जी,जैसी होली आप पर चढी है इश्वर करे सब पर चढ़े ,और हाँ गोष्ठी का कह कर कहीं अभी से होली खेलने तो नहीं जा रहे,मूड बन गया लगता है.होली की शुभकामनाएँ.
yun hi mande raho jholi,har baar holi mein
n tab aai to aa jaayegi ab ki bar jholi mein
हा हा हा हा , अरुण भाई रिश्क तो आप उठा ही लिए है इस होली में, जबरदस्त रचना लिखा है आपने, भाई वाह मजा आ गया , इस बार की यह होली और महा उत्सव यादगार रहेगा |
ऐसी दमदार होली बगैर आप सब के सहयोग के संभव नहीं था | बधाई आप को इस खुबसूरत प्रस्तुति पर |
गज़ब
अभिनव भैया ये रूप आपका पहली बार दिखा है
होली का रंग ही ऐसा है
बच्चे बूढ़े और जवान
\
पहने यंग इंडिया अंडरवियर और बनियान
हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा|
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