For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,

सादर अभिवादन.

 

ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 36 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

 

वसंत के आगमन के बाद से प्रकृति अपने पूर्ण यौवन पर है. इसकी पराकाष्ठा होली त्यौहार के रूप में हमारे सामने आती है.

होली वस्तुतः उत्सवधर्मिता के अतिरेक और सामाजिक सौहार्द्र की शिष्टता का सर्वश्रेष्ठ मानवीय अभिव्यक्ति है. छांदसिक हुआ मनोभाव न केवल पलाश-सरसों के लाल-पीले रंगों के साथ उत्फुल्ल हुई हरीतिमा के सापेक्ष गीतमय हो उठता है, बल्कि प्रकृति-सुषमा के विविध आयाम सुखानुभूति और आह्लाद के रंग लिए सांसारिक से हो उठते हैं. ललित-भावों से पगा मानवीय मन सामाजिक वर्जनाओं की शक्तता को चुनौती देता हुआ एकबारग़ी उन्मुक्त हो उठता है. किन्तु, इस चुनौती में सात्विक परंपराओं के प्रति अनुमन्यताएँ होती हैं.

 

आइये, हमसब भी इस बार ;काव्यमय होली’ मनावें.. .

 

 

 

इस आयोजन में प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है.


आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ

15 मार्च 2014 दिन शनिवार

से

16 मार्च 2014 दिन रविवार

 

 

 

 

पिछले आयोजनों की तरह इस बार भी चित्र से काव्य तक छंदोत्सव के मूल स्वरूप को स्थायी रखते हुए किया गया व्यावहारिक परिवर्तन लागू रहेगा.

यानि, छंदोत्सव का आयोजन अबसे निर्धारित छंदों पर ही आधारित होगा.

 

इस बार के आयोजन के लिए दो छंदों का चयन किया गया है, छन्नपकैया (सार छंद) और कह-मुकरियाँ छंद.

 

एक बार में अधिक-से-अधिक सात छन्नपकैया तथा/या पाँच कह-मुकरियाँ छंद प्रस्तुत किये जा सकते है.

 

ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.

 

उन सदस्यों के लिए जो छन्न-पकैया और कह-मुकरियाँ छंदों के आधारभूत नियमों से परिचित नहीं हैं, उनके लिये इनके संक्षिप्त विधान प्रस्तुत किये जा रहे हैं.

 

छन्न-पकैया के आधारभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें.

 

कह-मुकरियाँ के आधारभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें.

 

 

लेकिन उससे पूर्व मात्रिक छंदों में गेयता की सुनिश्चितता हेतु निम्न विन्दुओं पर एक बार फिर से ध्यान से देखें.

 

शब्दों के उच्चारण और उसकी मात्राओं के समवेत स्वरूप के अनुसार शब्दों के कल बनते हैं. जैसे, शब्दों के द्विकल, शब्दों के त्रिकल, शब्दों के चौकल, षटकल आदि. इसी के अनुसार पदों का प्रवाह निर्धारित होता है.

द्विकल, चौकल आदि शब्दों को सम मात्रिक शब्द कहते हैं.

जैसे, हम, वह, निज आदि.

जबकि त्रिकल या षटकल आदि शब्दों को विषममात्रिक शब्द कहते हैं.

जैसे, हुआ, बड़ा, कहाँ आदि त्रिकल हैं.

 

यों, कोई शब्द षटकल हो तो वह उच्चारण के लिहाज से सममात्रिक ही हुआ करता है. यानि वह दो विषम शब्दों का पूर्ण स्वरूप होने से सम शब्द ही माना जाता है.

दीवाना, आवारा, परंपरा आदि षटकल शब्द हैं.

व्यवहार जैसा शब्द द्विकल और त्रिकल के समूह है. व्यव द्विकल तथा हार त्रिकल.

 

इस तथ्य को समझ लेने से चरणों के कुल शब्दों की मात्रा को गिनने के अलावे शब्द-विन्यास को निर्धारित करने में भी सहुलियत हो जाती है. साथ ही साथ, गेयता को सुचारू रूप से निर्धारित करने के लिए मात्रिकता को निभाना भी सहज हो जाता है.

यानि यह अवश्य मान लें कि कोई मात्रिक पद (छंद की एक पंक्ति) मूलतः सम शब्दों का ही समुच्चय बनाता है.

अर्थात कोई विषम शब्द हो तो उसके ठीक बाद विषम शब्द रख कर षटकल बनाने से सम मात्रिकता का निर्वहन हो जाता है. यानि विषम शब्द के बाद विषम शब्द ही आवे और सम के बाद एकदम से विषम शब्द न आवे. आवे भी तो उस विषम के बाद एक और विषम शब्द रख कर सभी शब्दों के समुच्चय को सम मात्रिक बना लेते हैं.

जैसे, बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर जैसे पद में बड़ा त्रिकल के बाद हुआ भी त्रिकल है. दोनो मिल कर षटकल का निर्माण करते हैं जो कि सम संख्या भी है. इस तरह गेयता या पढ़ने के (वाचन) प्रवाह में कोई दिक्कत नहीं आती.

 

आयोजन सम्बन्धी नोट :

(1)फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 15 मार्च दिन शनिवार से 16 मार्च दिन रविवार यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

 

विशेष :

यदि आप अभी तक www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

अति आवश्यक सूचना :

आयोजन की अवधि के दौरान सदस्यगण अधिकतम दो स्तरीय प्रविष्टियाँ अर्थात प्रति दिन एक के हिसाब से पोस्ट कर सकेंगे. ध्यान रहे प्रति दिन एक प्रविष्टि, कि एक ही दिन में दो प्रविष्टियाँ.

 

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.

नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.

 

सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर एक बार संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

 

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.

 

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

 

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

 

रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

मंच संचालक

सौरभ पाण्डेय

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

 

Views: 18869

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

प्रशंसा से मेरा हौसला बढाने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय नीरज जी 

वो रंगीन मिजाजी भाये
रोम रोम गहरे रम जाये
कहने को तो केवल पाहून ..........
ए सखि साजन ? नहिं री ! फागुन

साजन वो भी पाहुन ? साजन पाहुन होता है क्या ? कॉन्सेप्चुअली विरोधाभास है.

भेद हृदय के सारे खोले
जादू तो बस सिर चढ़ बोले
असर से बौराए सर्वांग
का  सखि साजन? न सखि भांग

असर से बौराए सर्वांग   को  करे असर बौराये सर्वांग  जैसा करना उचित होता .. देखियेगा.. 

इस मिनी प्रस्तुति के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ
शुभ-शुभ

आदरणीय सौरभ सर  निवेदन है कि साजन को पाहुन कहा जाता है... ग्रामीण सभ्यता में न केवल दामाद को ससुराल वाले ही बल्कि महिला भी पति को पाहुन, पाहणा, पावणा कहकर ही सखियों से बतयाती है नाम लेने का रिवाज तो अब शुरू हुआ है वो भी शहरों में और यह कोमलता ही शायद इस छंद की आवश्यकता भी है बाकी आप सभी मुझसे बेहतर जानते हैं |

दूसरी रचना में वाकई इस पंक्ति से मैं खुद संतुष्ट नहीं हूँ |

//करे असर बौराये सर्वांग //    में गेयता तो है किन्तु मात्रा  बढ़ रही है 

आपने नियम पढ़ लिये हैं ?  शायद नहीं ! .. .

:-))))

अपने कान पकडती हूँ सर

नोट करने में गलती की है मैं चौथे चरण में 15 16 17 मात्राएँ सेट किये बैठी थी और कहीं गहरे प्रभाकर सर के उदाहरण जमे हुए थे जिनमें तीसरे चरण में 16 मात्राएँ ही अधिकतर प्रयुक्त हुईं थीं 

सॉरी !!

कृपया इसे संशोधित कर दीजिये 

बहुत कुछ समझा गयीं आदरणीय, अच्छा लगा.  एक विवाहिता पत्नी के हिसाब से सोचने और ससुराल के ही अन्यान्य लोगों के लिहाज से सोचने में थोड़ा अन्तर होता है, इस निवेदन से अपनी बातों को साझा किया था.

आप वाकई वैचारिक रूप से बहुत समृद्ध हैं.

पुनः होली की खूब शुभकामनाएँ

सादर

आदरणीया वंदनाजी,  

भेद हृदय के सारे खोले

जादू तो बस सिर चढ़  बोले 

असर से बौराए सर्वांग 

का  सखि साजन? न सखि भांग ........... बहुत खूब 

सुंदर मुकरियाँ  की हार्दिक बधाई,  

आपको सपरिवार सतरंगी होली की शुभकामनायें बधाई 

आदरणीय मंच कृपया 

असर से बौराए सर्वांग   के स्थान पर आदरणीय सौरभ सर के सुझाव के अनुसार 

करे असर बौराये सर्वांग

संशोधन कर दीजिये 

यथा संशोधित

बहुत२ आभार आदरणीय 

सुन्दर कह्मुकारियां रची हैं बहुत- बहुत बधाई प्रिय वन्दना ,होली की शुभकामनायें. 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion कुण्डलिया छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"दोहे के दो पद लिए, रोला के पद चार। कुंडलिया का छंद तब, पाता है आकार। पाता है आकार, छंद शब्दों में…"
30 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion चौपाई : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"सोलह सोलह भार जमाते ।चौपाई का छंद बनाते।। त्रिकल त्रिकल का जोड़ मिलाते। दो कल चौकाल साथ बिठाते।। दो…"
51 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion रोला छंद : मूलभूत नियम in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय सौरभ सर, रोला छंद विधान से एक बार फिर साक्षात्कार कर रहा हूं। पढ़कर रिवीजन हो गया। दोहा…"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
22 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
yesterday

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service