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मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रें

इस बार हम बात करते हैं मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रों की। इन्‍हें देखकर तो अनुमान हो ही जायेगा कि बह्रों का समुद्र कितना बड़ा है। यह जानकारी संदर्भ के काम की है याद करने के काम की नहीं। उपयोग करते करते ये बह्रें स्‍वत: याद होने लगेंगी। यहॉं इन्‍हें देने का सीमित उद्देश्‍य यह है जब कभी किसी बह्र विशेष का कोई संदर्भ आये तो आपके पास वह संदर्भ के रूप में उपलब्‍ध रहे। और कहीं आपने इन सब पर एक एक ग़ज़ल तो क्‍या शेर भी कह लिया तो स्‍वयं को धन्‍य मानें।

बह्रे मुतकारिब से बनने वाली मुजाहिफ बह्रें

मुतकारिब मुसम्मन् सालिम

फऊलुन् x 4 122 122 122 122

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

122

122

122

122

मुतकारिब मुसम्मन् महजूफ

122 122 122 12

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

मफा

122

122

122

12

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम रूप-1

22 122 22 122

फैलुन्

फऊलुन्

फैलुन्

फऊलुन्

22

122

22

122

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम महजूफ

2212 212 122

मुस्तफ्यलुन्

फायलुन्

फऊलुन्

2212

212

122

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज रूप-1

121 121 121 121

फऊलु

फऊलु

फऊलु

फऊलु

121

121

121

121

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज महजूफ

121 121 121 12

फऊलु

फऊलु

फऊलु

मफा

121

121

121

12

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम मक्बूज

22 122 121 122

फैलुन्

फऊलुन्

फऊलु

फऊलुन्

22

122

121

122

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज अस्लम

121 22 121 22

फऊलु

फैलुन्

फऊलु

फैलुन्

121

22

121

22

मुतकारिब मुसम्मन् मक्बूज रूप-2

121 122 121 122

फऊलु

फऊलुन्

फऊलु

फऊलुन्

121

122

121

122

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम रूप-2

122 122 22 122

फऊलुन्

फऊलुन्

फैलुन्

फऊलुन्

122

122

22

122

मुतकारिब मुसम्मन् महजूफ मुदायफ/ मक्बूज अस्लम मुदायफ

12122 12122 x 2

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

12122

12122

12122

12122

मुतकारिब मुसद्दस सालिम

फऊलुन् x 3 122 122 122

फऊलुन्

फऊलुन्

फऊलुन्

122

122

122

मुतकारिब मुसद्दस् महजूफ मुदायफ/ मक्बूज अस्लम मुदायफ

12122 12122 12122

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

मुफायलातुन्

12122

12122

12122

मुतकारिब मुसद्दस् मक्बूज अस्लम

12122122

फऊलु

फैलुन्

फऊलुन्

121

22

122

मुतकारिब मुरब्बा सालिम

फऊलुन् x 2 122 122 122

फऊलुन्

फऊलुन्

122

122

मुतकारिब मुरब्बा मक्बूज

1212212122

फऊलु

फऊलु

121

121

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Replies to This Discussion

मूल या योजित देखा जाता है "इता ए खफी" के लिए मगर यहाँ इता का नहीं सिनाद का दोष है

बस्ते में यदि हमको हमकाफिया  शब्द में "ते" रखना है तो नियमतः हमें "स्" को भी निभाना होगा
जैसे - रस्ते, खस्ते, आदि

'चलते' में यदि हमको हमकाफिया  शब्द में "ते" रखना है तो नियमतः हमें "अते" निभाना होगा
जैसे रहते, खलते, बहते आदि

क्योकि, चलते = च् +अ +ल् + अ +त् +अ +ए = चलते
और
बस्ते = ब् +अ +स् +त् + अ + ए   है 
अ +त् +अ +ए
स् +त् + अ + ए

में नाद कि भिन्नता है इस वजह से ये मतले में हम्काफिया शब्द नहीं हो सकते

सादर

१२२२ २१२२ १२२२ २१२२ = मुजारे

२१२२ १२२२ २१२२ १२२२ = ?

और इनका मुजहिफ

२१२२ १२२२ २१२२ २२=?

इक  संगीतकार  के  संगीत  में  ग़ज़ल  लिख दिया , उनका  मेलोडी  ऐसा  है  की  जो  मुजारे की  बिपरीत  ( २१२२ १२२२ २१२२ १२२२ = ? और इनका मुजहिफ २१२२ १२२२ २१२२ २२=?) जैसा  है ..... अब  मुझे  दिक्कत  हो  रही  है  इसकी  नाम  पर ..... आप  मुझे  मदद  कर  सकते हे....... .

आदरणीय गुरु जी, सादर चरण स्पर्श, आपकी जानकारी 10 पाठ के अनुसार कृपया निम्न समस्या बिन्दुओं का समाधान करने की कृपा करें :

1. मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम महजूफ की चोथी रुक्न यदि होती है तो बता दीजिये। 

 

मुतकारिब मुसम्मन् अस्लम महजूफ

2212 212 122

मुस्तफ्यलुन्

फायलुन्

फऊलुन्

 

2212

212

122

 

 

2.मुतकारिब मुरब्बा सालिम (फऊलुन् x 2 122 122 122) की रुक्न में टंकण त्रुटी है या फिर ठीक लिखा है

 

मुतकारिब मुरब्बा सालिम

फऊलुन् x 2 122 122 122

फऊलुन्

फऊलुन्

 

 

122

122

 

 

 

3. मुतकारिब मुरब्बा मक्बूज (1212212122) की रुक्न में टंकण त्रुटी है या फिर ठीक लिखा है

 

मुतकारिब मुरब्बा मक्बूज

1212212122

फऊलु

फऊलु

 

 

121

121

 

 

तिलक राज जी, सारी जानकारी बहुत ही उपयोगी है...जो नवरचनाकारों के लिये बहुत जरूरी  थी....

एक प्रश्न है...........क्या यह  सत्य है कि  और , कोई,  मेरे, तेरे,   की दोनों मात्रायें गिरा सकते हैं ...........

और को तो औ पढ़कर 'र' गिराना सामान्‍य है। कई जगह औ को भी पिढले हर्फ़ से अलिफ़-वस्‍ल करते उपयोग देखा है।  मेरे को मिरा कर मिर के रूप में प्रयोग भी देखा है। इस सबमें असामान्‍य कुछ नहीं लेकिन मुख्‍य बात यह है कि ऐसा तभी होता है जब जुज़ में 11 हो। 

It is common practice to omit the letter 'r' after encountering 'and,' which results in 'au.' Additionally, 'Au' is sometimes used as Alif-Vasal, connecting it with the preceding letter. Another observed variation includes the transformation of 'mere' into 'mira.' These occurrences are not unusual; however, what sets them apart is that they specifically occur when the text falls within the 11th Juz.

आपका यह जानकारी सबके लिए फायदामन्द है । इसके लिए आपको लाखोँ लाख सुक्रिया।

यहां आ कर बहुत कुछ सीखने को मिलता है । लेकिन ये गणित अपनी पकड़ में नहीं आता । वैसे भी गणित शुरू से ही कमज़ोर रहा है। फिर भी सीख रहा हूं कितना प्रयोग में ला सकूंगा कह नहीं सकता । लेकिन ज्ञानवर्धन हो रहा है आभार आप सभों का 

2212 को मुस्तफ्यलुन कहते है या मुतफाइलुन

2212 = मुस्तफ़इलुन = मुस2  तफ़2  इ1  लुन2 

मु1 त1 फ़ा2 इ1 लुन2 = 11212   


sir ji please guide me how to count matras in this sher ......it is ok or not , some modifications , please 


नफ़रत की क़ैद में रखो या कि उड़ा तो मुझको 
मोहब्बत का परिंदा हूँ याद करोगे , इक दिन


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