वस्तुतः यह सवैया  दुर्मिल सवैया  का  ही विस्तार सदृश है. अर्थात, आठ सगण के पश्चात एक लघु इस सवैया के होने का कारण है. 
 यानि, अरविन्द सवैया = सगण  X 8 + लघु   यानि, यह छंद कुल 25 वर्णों का वृत है. 
 यानि, सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा + लघु
 या, ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ ।।ऽ + लघु
यहाँ ध्यान से देखा जाय तो एक बात और स्पष्ट होती है, और वह है सुन्दरी सवैया तथा अरविन्द सवैया के मध्य का महीन अंतर.
दुर्मिल सवैया के अंत में एक लघु का संयोग अरविन्द सवैया के होने का कारण होता है जबकि,
दुर्मिल सवैया के अंत में ही एक गुरु का संयोग  सुन्दरी सवैया  के होने का कारण है. 
 
 उदाहरण हेतु भानुकवि विरचित एक छंद - 
 सबसों लघु आपुहिं जानिय जू यह धर्म सनातन जान सुजान 
 जबहीं सुमती अस आनि वसै उर सम्पति सर्व बिराजत आन
 प्रभु व्याप रह्यौ सचराचर में तजि बैर सुभक्ति सजौ मतिमान 
 नित राम पदै अरविंदन को मकरंद पियो सुमिलिंद सान 
 
 तृतीय प का विन्यास -
 प्रभु व्या (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ)  / प रह्यौ (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ) / सचरा (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ) / चर में (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ) / 
 <--------------1------------> <----------2---------------> <-----------3--------------> <---------4---------------> 
 तजि बै (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ) / र सुभक् (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ) / ति सजौ (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ) / मतिमा (ह्रस्व ह्रस्व दीर्घ) /  न (ह्रस्व)
 <--------------5----------> <-------------6--------------> <---------------7-------------> <-----------8--------------> <----9----->
 
 उपरोक्त विन्यास में ह्रस्व वस्तुतः लघु को तथा दीर्घ गुरु को निर्दिष्ट करते हैं. 
 
 पुनः उपरोक्त विन्यास में,  दूसरे सगण पर ध्यान देना आवश्यक है जहाँ रह्यौ शब्द को लघु गुरु से बाँधा हुआ कहा गया है. यहाँ उच्चारण के अनुसार ह्य को एक दीर्घ की तरह स्वीकार किया गया है, न कि इसके संयुक्ताक्षर होने से इसके पहले का शब्द भी दीर्घ बन रहा है. 
 
 
ज्ञातव्य :
 प्रस्तुत आलेख प्राप्त जानकारी और उपलब्ध साहित्य पर आधारित है.
Tags:
दुर्मिल सवैया के अंत में एक लघु का संयोग अरविन्द सवैया के होने का कारण होता है जबकि,
दुर्मिल सवैया के अंत में ही एक गुरु का संयोग  सुन्दरी सवैया  के होने का कारण है. 
 सादर,बिलकुल याद रहने वाली बात है.आदरणीय सौरभ जी.
आदरणीय अशोकभाई, आपने जिस विन्दु को रेखांकित कर स्पष्ट किया है, यही मेरे प्रस्तुत प्रयास का उद्येश्य भी है.
आपके उदार अनुमोदन हेतु आभारी हूँ.
सादर.
सवैया लेख को आवश्यकतानुसार मोडिफाइ किया है. शायद यह लेख अब थोड़ा और स्पष्ट और संप्रेष्य प्रतीत होगा. कृपया देखियेगा.
सौरभ जी,
जिस विस्तार के साथ आप सवैया छन्द के उप भेदों का वर्णन कर रहे हैं अगर यह क्रम अन्य छंदों के साथ भी जारी रहा तो आने वाले समय में ओ बी ओ मंच के पास भारतीय छन्द का एक ऐसा कोष तैयार हो जायेगा जिसकी मिसाल अन्यत्र कहीं खोजना छ्न्दानुरागियों के लिए भी अति दुष्कर कार्य होगा 
मैंने शुरुआत एक दिन आपसे कहा था कि थोडा विस्तार से लिखिए मगर उस समय मुझे क्या पता था कि आप इतना अधिक विस्तार से लिखने का विचार कर चुके हैं 
इस महती कार्य के लिए आप विशेष बधाई के पात्र हैं 
और फिर यह भी तो कि ...
{{ जब ये आसानी से मिल रहा है तो कोई वो क्यों ले यह न ले....
मान गये !!  
किसे ?
आपकी पारखी नज़र और 'निरमा सुपर' दोनों को}}
 हा हा हा ... 
जस्ट ए पार्ट आफ ज़ोक
हार्दिक धन्यवाद, वीनजी, आपको प्रयास अर्थवान लगा. इन विधाओं पर रचनाकर्मी कार्य करें तो शायद इनकी रोचकता और बढेगी.
ये जोक भक्क कर गया.. . :-))
:)))))))))))))))
और क्या 
जब आसानी से इतने आसान शब्दों में गूढ़ बातों को समझाया जा रहा हो तो सब यही पढेंगे कोई पोथी पोथन्ना काहे पढ़ेगा
हा हा हा.. . अब घुसा खोपड़चट्टी में.. हा हा हा.. .
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
    © 2025               Created by Admin.             
    Powered by
     
    
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |