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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक - २०(Now Closed with 906 Replies)

परम स्नेही स्वजन,

ओ बी ओ प्रबंधन ने निर्णय लिया है कि प्रत्येक माह के प्रारम्भ में ही "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे" की घोषणा कर दी जाए जिससे कि सबको पर्याप्त समय मिल जाय| अतः आप सबके समक्ष फरवरी माह का मिसरा-ए-तरह हाज़िर है| इस बार का मिसरा जाने माने शायर जनाब एहतराम इस्लाम साहब की गज़ल से लिया गया है| हिन्दुस्तानी एकेडमी से प्रकाशित  "है तो है" आपकी ग़ज़लों का संग्रह है जिसमे हिंदी, उर्दू की कई बेशकीमती गज़लें संगृहीत है| 

"अबके किस्मत आपकी चमकी नहीं तो क्या हुआ"

बह्र: बहरे रमल मुसम्मन महजूफ

अब(२)/के(१)/किस्(२)/मत(२)     आ(२)/प(१)/की(२)/चम(२)      की(२)/न्(१)/ही(२)/तो(२)      क्या(२)/हू(१)/आ(२)

२१२२  २१२२  २१२२  २१२

फाइलातुन फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन 

रदीफ: नहीं तो क्या हुआ 

काफिया: ई की मात्रा (चमकी, आई, बिजली, बाकी, तेरी, मेरी, थी आदि)

विनम्र निवेदन: कृपया दिए गए रदीफ और काफिये पर ही अपनी गज़ल भेजें | अच्छा हो यदि आप बहर में ग़ज़ल कहने का प्रयास करे, यदि नए लोगों को रदीफ काफिये समझने में दिक्कत हो रही हो तो आदरणीय तिलक राज कपूर जी की कक्षा में यहाँ पर क्लिककर प्रवेश ले लें और पुराने पाठों को ठीक से पढ़ लें|

मुशायरे की शुरुआत दिनाकं २६ फरवरी  दिन रविवार लगते ही हो जाएगी और दिनांक २८ फरवरी दिन मंगलवार के समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा |


अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन ने यह निर्णय लिया है कि "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-२० जो पूर्व की भाति तीन दिनों तक चलेगा,जिसके अंतर्गत आयोजन की अवधि में प्रति सदस्य अधिकतम तीन स्तरीय गज़लें ही प्रस्तुत की जा सकेंगीं | साथ ही पूर्व के अनुभवों के आधार पर यह तय किया गया है कि नियम विरुद्ध व निम्न स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये और बिना कोई पूर्व सूचना दिए प्रबंधन सदस्यों द्वारा अविलम्ब हटा दिया जायेगा, जिसके सम्बन्ध में किसी भी किस्म की सुनवाई नहीं की जायेगी |


मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

( फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो २६ फरवरी  दिन रविवार लगते ही खोल दिया जायेगा )

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मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह

(सदस्य प्रबंधन)

ओपन बुक्स ऑनलाइन

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Replies to This Discussion

waah waah matle se lekar har sher me maja aa gaya hai

aabhar Tapan ji.

काम की उलझनों में इस बार मुशायरे में पूरा समय नहीं बिता पाया क्षमा का प्रार्थी हूँ ..

/////दुश्मनी  से  दोस्ती  कर के  बता देंगे  तुम्हे,
      दोस्ती के  मायने  बाकी  नहीं तो क्या हुआ .
***
     गुंडई के  कारनामे हम  भी कर  सकते यहाँ,
      पास अपने कोई भी वर्दी नहीं तो  क्या हुआ.
***
    मय-ओ-मेरे बीच में कोई न मुझको चाहिए,
   आज मैखाने में जो साकी नहीं तो क्या हुआ.////// आदरनीय  अविनाश जी .... बहुत बहुत  बधाई ....एक सुंदर कृति के लिए ..:-)

SHUKRIYA NAZEEL SAHAB.

आदरणीय अविनाश जी इस जिंदाबाद गज़ल के लिए दिली दाद कबूल फरमाएं| 

दुश्मनी  से  दोस्ती  कर के  बता देंगे  तुम्हे,

दोस्ती के  मायने  बाकी  नहीं तो क्या हुआ .
***
गुंडई के  कारनामे हम  भी कर  सकते यहाँ,
पास अपने कोई भी वर्दी नहीं तो  क्या हुआ.
यह दो शेर विशेष तौर पर अच्छे लगे|
मकते के शेर में एक ही व्यक्ति के लिए "तुम्हारी" और "आपकी" का प्रयोग शुतुर्गुर्बा का ऐब पैदा कर रहा है|

हसरतें  थी जो  हुई  पूरी  नहीं  तो  क्या हुआ ||
ज़िन्दगी अपनी अभी बदली नहीं तो क्या हुआ ||

लौ  चिरागों  की  मिटाती  है  अभी  अन्धेरे को ,
गाँव में जो आज  तक बिजली नहीं तो क्या हुआ ||

हौंसला  ना हार , बदलेंगी  लकीरें  हाथ  की ,
अबके किस्मत आपकी चमकी  नहीं तो क्या हुआ ||

काट  लेंगे  ज़िन्दगी  हम  नफरतों के साथ भी ,
मुहब्बत उनकी नसीब में थी नहीं तो क्या हुआ ||

साथ  देती  है ख्यालों  को  पिरोने  में  हमें ,
कलम अपनी अभी करामाती नहीं तो क्या हुआ ||

रुतबा  तो  है  वही  अब  भी  ,रहेगा  ताउम्र ,
बस दिलों में मुहब्बत पलती नहीं तो क्या हुआ ||

आशियाना तो जलाया है उसी ने पर "नजील" ,
हुस्न वाले मानते गलती नहीं तो क्या हुआ ||

आशियाना तो जलाया है उसी ने पर "नजील" ,
हुस्न वाले मानते गलती नहीं तो क्या हुआ || --------- वाह...बहुत खूब

धनयवाद दिलबाग जी .. उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार

vaah najeel is ghazal ki jitni bhi tareef ki jayye kam hai.daad kabool kijiye.

धन्यावाद आदरणीया राजेश कुमारी जी  .. उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार

खुबसूरत ग़ज़ल के लिए सादर बधाई स्वीकारें आदरणीय नजील भाई.

धन्यावाद आदरणीय हबीब भाई जी  .. उत्साहित करने हेतु हार्दिक आभार

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