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नये साल में नेताओं का आचरण कैसा हो क्येकि अब जनता जागृत हो चुकी है।

नये साल में देश के कर्णधार नेताओं का आचरण कैसा हो,क्योकि जनता अब जाग चुकी है। इसका मिसाल अन्ना के आन्दोलन में देखा गया था।

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आदरणीय लाल बिहारी गुप्ता जी सर्वप्रथम तो ओ बी ओ के इस मंच पर एक सार्थक चर्चा प्रारंभ करने हेतु आभार, रही बात जनता को जागने की , तो मुझे लगता है कि भीड़ का हिस्सा बनने और जागने में बहुत बड़ा फर्क है, यदि जनता सचमुच जाग गई है तो इसका प्रमाण आने वाले पांच राज्यों के चुनाव में अवश्य दिखेगा, और दिखना भी चाहिए,

नेताओं का आचरण खुद बदल जाएगा जब जनता जाग जाएगी, हम वैसे ही नेता को चुनेगे जिनका आचरण सही है, लेकिन यहाँ तो जाति, धरम देख कर वोट किया जाता है |

एक बार लिखा था -
"आ रहा जब तक पतन से अर्थ है ,
आचरण पर बहस करना व्यर्थ है "
साथ ही ये भी कि -
" तिलक गाँधी की चेरी थी कभी जो ,
सियासत माफिया को भा रही है "
और -
 " दीवारें घर के भीतर बन गयीं हैं ,
सियासतदां सियासत कर गया है "
हम रचनाकार अपनी ओर से ऐसा ही यत्न कर सकते हैं | पर इन रहनुमाओं को खुद भी अपने भीतर झाँक कर देखना चाहिए | आपने सही कहा अब वक़्त आ गया है |
आदरणीय लाल बिहारी गुप्ता जी, चर्चा शुरू करने वाले से यह उम्मीद किया जाता है कि वह चर्चा में आई टिप्पणियों पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट करे, किन्तु आप चर्चा प्रारम्भ कर निष्क्रिय हो गए है, यदि आप इस पोस्ट पर कोई टिप्पणी नहीं देते है तो इस चर्चा को बंद कर दिया जायेगा |

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