sir ji us kavita ki aapke liye hindi anubad
बाबूजी रहती ता का कहती , ( बाबूजी (पापा ) रहते तो क्या कहते )
इ सवाल हमारा मन में बार बार आवत बा , ( ये सवाल मेरे मन में बार बार आती हैं )
बात ओ बेर के हा जब हम पढ़त रहनी , ( बात उस समय की हैं जब मैं पढ़ रहा था )
स्कुल छोर के खुबे सिनेमा देखत रहनी ,( स्कुल न जाकर सिनेमा बहुत देखता था )
केहू कहलस तू केकरा से कम बार ,( कोई बोला तुम किस्से कम हो )
कोसिस करब ता एक्टर बन जइबा,( कोशिश करोगे तो एक्टर बन जाओगे )
अभी इहा केहू नइखे पूछत ,( अभी यहा कोई नहीं पूछ रहा हैं )
बाद में खूब पूछाइबा , (आगे बहुत लोग चाहेंगे )
हमहू आव देखनी न ताव,( मैं भी बिना सोचे )
बोर्ड के परीक्षा डेल्ही रहनी ,( बोर्ड के परीक्षा दिए थे )
ध लेनी मुंबई के राह, ( मुंबई चल दिए )
उहा भीर में भुला गईनी, (वह भीर में गुम हो गए)
जे गाँव में हीरो लागत रहे ,( जो गाँव का हीरो था )
खुद के एक दम बेचारा पाईनी ,( खुद को बेचारा पाया )
अब हमर हालत हो गइल रहे ,(अब मेरी हालत हो गई थी )
साप छुछुंदर वाला , (साप छुछुंदर वाला )
अब ना गाँव जा सकेनी ,( अब नहीं जा सकता था )
ना एक्टर बननी पढाई बिच में लटक गइल ,(एक्टर नहीं बन पाया पढाई बिच में रुक गई )
बाबूजी कहे लगनी हमर बेटा बिगर गइल , ( बाबु जी कहने लगे मेरा बेटा बिगर गया )
केहू उहा के सुझाव देहलस बिआह करा द , ( किसी ने उनसे कहा सदी करा दो )
और हम सांसारिक बंधन में बाधा गईनी , और मैं सांसारिक बंधन में बंध गया )
हमारा अन्दर के एक्टर कसमसाये लागल , ( मेरे अंदर का एक्टर कसमसाने लगा )
एगो डायरेक्टर हम पर नजर परल , (एक डायरेक्टर मुझे देखा )
उनकर फिलिम में एगो करेक्टर रहल ,(उनके फिल्म में एक करेक्टर था )
हम आइल रहनी हीरो या भिलेन बने ,( मैं आया था हीरो या भइलें बनने)
उ हमारा के हीरो के बाप बना देले , (ओ मुझे हीरो का बाप बना दिया )
हमारा सपना के साकार बना देले ( मेरे सपना को साकार कर दिया )
अब इहे सोचत बानी बाबु जी रहती ता का कहती ,( अब मैं यही सोचता हु बाबूजी रहते तो क्या कहते )
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
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Deepak Sharma Kuluvi's Comments
Comment Wall (30 comments)
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हमे अपनी दोस्ती से नवाजने का बहुत बहुत शुक्रिया 'दीपक जी'...!! -जूली :-)
दीपक जी ... !!
मेरे लिए भी यह उतनी ही खुशी की बात है ...
जोगेन्द्र ... !!
.
बाबूजी रहती ता का कहती , ( बाबूजी (पापा ) रहते तो क्या कहते )
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और हम सांसारिक बंधन में बाधा गईनी , और मैं सांसारिक बंधन में बंध गया )
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हम आइल रहनी हीरो या भिलेन बने ,( मैं आया था हीरो या भइलें बनने)
उ हमारा के हीरो के बाप बना देले , (ओ मुझे हीरो का बाप बना दिया )
हमारा सपना के साकार बना देले ( मेरे सपना को साकार कर दिया )
अब इहे सोचत बानी बाबु जी रहती ता का कहती ,( अब मैं यही सोचता हु बाबूजी रहते तो क्या कहते )
@► दीपक जी , मित्र के रूप में आपका स्वागत है ...
.
http://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-chat
मुख्य प्रबंधकEr. Ganesh Jee "Bagi" said…
प्रणाम,
निवेदन है कि पंजाबी रचनाओं को "पंजाबी साहित्य" ग्रुप मे पोस्ट करे, सुविधा हेतु लिंक नीचे दे रहा हूँ, धन्यवाद,
http://www.openbooksonline.com/group/Punjabi_sahitya
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