For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सरकार - इनकी उनकी--- डॉo विजय शंकर

लोगों की , लोगों से , लोगों के लिए
सरकार होती है ,
हमने इनकी , उनकी ,
हर इनकी , हर उनकी ,
सरकार बना दी , लोगों से छीन कर ।
हालात ये हैं कि अब हर एक
ठगा सा लगता है,
दूसरे की हो सरकार तो
डरा डरा सा लगता है ॥
खुद अपनी हो सरकार तो
ज्यादा ही अड़ा अड़ा सा लगता है ॥
अपनी स्वतंत्रता , अपना राज , अपनी सरकार ,
सब कुछ अपना अपना है , दूजे सब बेकार ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित
डॉo विजय शंकर

Views: 646

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 30, 2015 at 1:05am

कम शब्दों में अच्छी  कविता .. सुन्दर कविता... बड़ी कविता. कविता का मूल भाव जबरदस्त तरीके से उभर के आया है. दिल से बधाई निवेदित है सर. आदरणीय डॉ विजय शंकर सर बेहतरीन रचना हुई है. 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 29, 2015 at 8:56pm

कोई छलता है 

कोई छला जाता है

यही है भूत, वर्तमान और भविष्य..

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी, बहुत ही सुन्दर कविता हुई है, बहुत बहुत बधाई.

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:44pm
आदरणीय श्याम मठपाल जी , रचना को स्वीकृति देने एवं प्रशस्ति के लिए ह्रदय से आभार, बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:41pm
आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी , रचना को स्वीकृति देने के लिए आभार, बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:39pm
आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी , रचना को स्वीकृति प्रदान के लिए आभार, प्रशस्ति और बधाई के लिए ह्रदय से बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:36pm
आदरणीय वीरेंद्र मेहता जी , रचना की स्वीकृति के लिए आभार, प्रशस्ति के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:31pm
आदरणीय विजय जी , आभार, बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:29pm
आदरणीय गोपाल नारायण जी , आभार, उत्साह बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:27pm
प्रिय जीतेन्द्र जी , आभार, प्रायः सारे सच बहुत सरल और बहुत छोटे होते हैं, हम उनसे बचने के लिए उन्हें जटिल और विवादास्पद बना देते हैं, बहुत बहुत धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on January 29, 2015 at 8:24pm
बहुत सही कहा आपने , अपनी मान्यता का शासन हो और अपनी बात चले, आभार, आदरणीय सोमेश कुमार जी, धन्यवाद , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
22 hours ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
yesterday
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service