For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझको दुनिया में आने दो I मुझको दुनिया में आने दो I

यह कविता उन व्यक्तियों ,महिलाओं के सन्दर्भ में है जो कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भागीदार हैं इसके खिलाफ लड़ाई में मेरा यह छोटा सा प्रयास है !मेरी यह कविता QAWWA(मिनिस्ट्री ऑफ़ डिफेन्स )

की बुक में पब्लिश होकर राष्ट्रपति महोदया के निर्देशानुसार स्वास्थ्य,परिवार कल्याण मंत्रालय की किताब हमारा घर में पब्लिश हुई|आज आप सब के सम्मुख रख रही हूँ कृपया प्रतिक्रिया   दें|


मैं तेरी धरा का बीज हूँ माँ

मुझको पौधा बन जाने दो

नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा

मुझको दुनिया में आने दोI.

मैं तेरे मातृत्व का  सम्मान 

नहीं कोई शगल का परिणाम

मेरा अस्तित्व तेरा दर्प है

मुझमे निहित सारा संसारI

गहन तरु की छाया में

लघु अंकुर को पनपने दो

नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा

मुझको दुनिया में आने दोI

जंगल उपवन खलियानों में

हर नस्ल के पुहुप महकते हैं

स्वछंद परिंदों के नीड़ो में

दोनों ही लिंग चहकते हैं

प्रकर्ति के इस समन्वय का

उच्छेदन मत हो जाने दो

नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा

मुझको दुनिया में आने दो I 

समाज की घ्रणित चालों से माँ

तुझको ही लड़ना होगा

नारी अस्तित्व के कंटक का

मूलोच्छेदन करना होगा

तेरे ढूध पर मेरा भी हक है

दुनिया को ये समझाने दो

नहीं खोट कोई मुझमे ऐसा

मुझको दुनिया में आने दो I

*****

Views: 691

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 10, 2012 at 10:44pm

हार्दिक आभार विन्ध्येश्वरी   प्रसाद जी  अभी सोच रही हूँ सभी मित्रों तक पुस्तक कैसे पहुचाऊं मेरे ब्लॉगर मित्र भी मांग रहे हैं 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on September 10, 2012 at 9:57pm
आदरणीय राजेश कुमारी जी!निस्संदेह उत्कृष्ट कोटि की रचना है अब तो कूतुहल और भी बढ़ गया है।आपकी पुस्तक कैसे मिले और मैं कैसे पढ़ूं।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 26, 2012 at 8:37am

tahe dil se shukriya Satish ji.

Comment by satish mapatpuri on February 25, 2012 at 10:32pm
क्या कहूँ - क्या ना कहूँ, लड़ रहा हूँ खुद से मैं.
पर मिल गया अब रास्ता, कह दूँ , निःशब्द हो गया हूँ मैं.
................... धन्यवाद राजेश कुमारी जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 25, 2012 at 11:40am

गणेश जी आपकी प्रतिक्रिया पढ़ कर मन उल्लासित ,उत्साहित हो गया बहुत बहुत आभारी   हूँ राष्ट्रपति महोदया जी से  जैसे मैंने अनुरोध किया था  की मेरा यह सन्देश हर गाईनो कलोजिस्ट की टेबल पर पहुचना चाहिए उन्होंने यह कर दिखाया अतः नारी की पीड़ा को नारी ने बखूबी समझा मैं नतमस्तक हूँ उनके इस समर्थन से |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 25, 2012 at 11:20am

आदरणीया राजेश कुमारी जी, इस कविता पर जितना भी कही जाय कम है, सामाजिक बुराई कन्या भ्रूण हत्या पर सीधे सीधे चोट करती हुई एक बेहतरीन कृति, आप इस कविता द्वारा व्यापक सन्देश देने में सफल है, बधाई स्वीकार करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2012 at 5:10pm

dhanyavaad Aasha ji.

Comment by asha pandey ojha on February 24, 2012 at 3:19pm

 man ko chhuti hui  chetna jagati hui rachna hetu badhai Rajesh kumari ji


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 24, 2012 at 8:45am

hardik aabhar Saurabh ji mere uddeshay ki sarahna ke liye.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 24, 2012 at 4:16am

उद्येश्य विशेष के साथ कही गयी रचना और इस पावन प्रयास हेतु आपको हार्दिक बधाई राजेशकुमारीजी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service