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ग़ज़ल एक कोशिश

1222 1222 1222 1222

तमन्ना है मेरी दिलबर मुझे थोड़ी वफ़ा दे दो।
महक जाऊ मैं गुलशन में मुझे ऐसी फिजा दे दो।।

दिए हैं लाख दुनियां ने मुझे जो ज़ख़्म सीने पर
न हो अब दर्द मुझको यार कुछ ऐसी दवा दे दो
।।

किया है जुर्म हमने क्या मुझे भी तो पता चलता।
अगर माफ़ी न मिल सकती मुझे हमदम सज़ा दे दो।।


हुई है बेवफाई मुझ से भी अब क्या जहां वालो।
अगर लगता तुम्हे ऐसा मुझे उसकी सज़ा दे दो।।


जुदा होकर मुझे जीना नहीं उनके बिना हरगिज़। 
मिले मेरा सनम मुझको , मुझे ऐसी दुआ दे दो।।

केतन परमार (अनजान )

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 859

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Comment by राज़ नवादवी on August 10, 2013 at 12:24pm

मतला अच्छा है! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 10, 2013 at 11:43am
अति सुन्दर, केतन भाई !!
Comment by Ketan Parmar on August 10, 2013 at 6:12am
ada. venus ji aapka comment dekh kar acha laga.

aapke us din ke comment ke baad maine nahi socha tha ke aap comment karenge mere post par.

aap seniour hai to aap se protsahan ki ummid hoti hai mujh jaise chote sikhne walo ko. na hi underestimate karne ki.
asha hai aage bhi aapse protsaahan bhare shabd hi sunane milenge.
Comment by वीनस केसरी on August 10, 2013 at 2:36am

यही है आरजू दिलबर मुझे थोड़ी वफ़ा दे दो।
महक जाऊ मैं गुलशन में मुझे ऐसी फिजा दे दो।।

दिए हैं दुनिया वालों ने मुझे जो ज़ख़्म सीने पर
मुझे इनमें भी लुत्फ़ आए कोई ऐसी दवा दे दो
।।

किया है जुर्म हमने क्या पता हमको भी कुछ तो हो ।
अगर फिर चाह लो तो जुर्म से बढ़ कर सज़ा दे दो।।
   oooooooooooooooooo


आपके प्रयास पर अनायास मैंने भी प्रयास किया ..... आपका प्रयास जारी रहे ...... आमीन

Comment by Ketan Parmar on August 9, 2013 at 9:10pm
shijju ji mujhe bura nahi laga hai.
maine iss par islaah kar li hai monday tak karunga badlaav.

aur acha hua aapne margdarsan kiyaa mera. sukriya

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 9, 2013 at 8:40pm

भाई केतन जी आप 'मुझको' की जगह 'अब तो' करके देखें,
वैसे ये मामूली बात है मेरी बात आप दिल पे ना लें मैने कहा था कि ये मेरा अपनी निजी विचार है , हर पाठक अपने नज़रिए से रचनाओं को देखता है ज़रूरी नही है कि वो हर बार सही हो. वरिष्ठ जन एवं इस विधा जानकार क्या कहते हैं पहले वो भी देख लें मैं भी आपकी तरह ग़ज़ल की कक्षा का विद्यार्थी ही हूँ.

Comment by Ketan Parmar on August 9, 2013 at 8:25pm
shijju ji monday tak badal bhi dunga saadar
Comment by Ketan Parmar on August 9, 2013 at 6:58pm
vasundhara pandey ji sukriyaa aapka taarif ke liye
Comment by Vasundhara pandey on August 9, 2013 at 4:16pm

आमीन...

बहुत सुन्दर...बधाई आपको !

Comment by Ketan Parmar on August 9, 2013 at 3:27pm
sukriyaa neeraj ji

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