2122 2122 2122 2122
शेर मेरे ये सभी यूं तो ज़माने के लिए हैं।
बेवफा से भी मुहब्बत ही जताने के लिए हैं।।
याद है तुझको कभी तू भी रहा है साथ मेरे।
याद भी तेरी जहां में भूल जाने के लिए हैं।।
चाहता है दर्द उसके सब मिटे दुनिया से कमसिन।
दर्द भी कुछ सीने पर ही तो लगाने के लिए हैं।।
दिल उन्होंने यूं संभाला जैसे कोई आइना हो।
आइना तो यार सब ही टूट जाने के लिए हैं।।
जख्म मेरे जो भी दुनिया से मिले है प्यार में वो।
जख्म ये सब यार उनसे ही…
Added by Ketan Parmar on August 31, 2013 at 9:30am — 14 Comments
1222 1222 1222 1222
तमन्ना है मेरी दिलबर मुझे थोड़ी वफ़ा दे दो।
महक जाऊ मैं गुलशन में मुझे ऐसी फिजा दे दो।।
दिए हैं लाख दुनियां ने मुझे जो ज़ख़्म सीने पर।
न हो अब दर्द मुझको यार कुछ ऐसी दवा दे दो।।
किया है जुर्म हमने क्या मुझे भी तो पता चलता।
अगर माफ़ी न मिल सकती मुझे हमदम सज़ा दे दो।।
हुई है बेवफाई मुझ से भी अब क्या जहां…
Added by Ketan Parmar on August 8, 2013 at 4:30pm — 33 Comments
एक कोशिश विरह रस की कविता कहने की आशा है आप सब को पसंद आएगी
फिर से सावन की घटा छाई है
तन्हाई में मुझे तेरी याद आई है
क्यों है दूर मुझसे तू न जानू
क्यों है मजबूर मैं न जानू
है कुछ मेरी भी मज़बूरी
बिन तेरे मैं भी अधूरी
क्या बताऊ दिल का हाल
करता है मुझे ये बेहाल
तुमसे मैं क्या करू सवाल
मेरा क्या तुम बिन हाल
मैं कहु कैसे मेरी प्रियतम
सहा है कितना मैंने सितम
मैं समझती हूँ तेरे दिल का हाल
तेरे…
Added by Ketan Parmar on July 23, 2013 at 11:30am — 8 Comments
मात्रा बह्र
2 2 / 22 / 22 / 22 / 22 / 2
सोचा हमने तुमको इक ख़त लिख देंगे।
और तुम्हारी एक शिकायत लिख देंगे।।
ये जंग न हो दुनियाँ में मेरे मौला ।
दुनिया भर के नाम इबारत लिख देंगे।।
कर सकते हो हर एक खता दुनिया में।
हम ये तेरे नाम इजाजत लिख देंगे।।
मिलते मिलते बिछड़ा है वो भी मुझसे।
करता मेरा यार सियासत लिख देंगे।।
इक दिन मिट जायेगा पूरा ये ज़माना।
होगी जो मातम की सूरत लिख देंगे।।
दिल…
Added by Ketan Parmar on July 18, 2013 at 9:00pm — 17 Comments
ग़ज़ल एक कोशिश
ख्वाब दिखाकर दिलबर गायब है
रातो का वो मंज़र गायब है।।
जिसमे डूबी चाहत की किस्ती।
यारो एक समन्दर गायब है।।
खटकाता किसकी कुंडी मैं अब।
देखा जब उसका घर गायब है।।
पेट भरे वो सबका फिर भी उस।
दाता का ही लंगर गायब है।।
कापा जिस्म मिरा रातो में तब।
देखा उठ कर चादर गायब है।।
करके एक दुवा देखी मैंने।
भगवान तिरा मंदर गायब है।।
कर देता घायल मन को…
Added by Ketan Parmar on July 10, 2013 at 1:52pm — 9 Comments
मेरा है तू दास रे जोगी
तेरे क्या है पास रे जोगी।
मौत हुई मेरी यहाँ पर क्यों
गहरा है ये राज़ रे जोगी।
शाम हुई मदहोश आज यहाँ
जैसे हो कुछ खास रे जोगी।
रहती है मेरी नज़र में तू
आँखों की इक प्यास रे जोगी।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Ketan Parmar on July 2, 2013 at 9:00pm — 13 Comments
मौसम की मनमानी है
सब आँखों में पानी है।
छाया बादल ये कैसा
दर्द दिया रूहानी है।
पावन है जग में सबसे
गंगा का ही पानी है।
जगती है आंखे तेरी
शब को यूं ही जानी है।
तुझको पाने की ख्वाहिश
हमने मन में ठानी है।
"मौलिक व अप्रकाशित"
Added by Ketan Parmar on July 2, 2013 at 4:30pm — 15 Comments
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