For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लाचार व्यवस्था / अलका चंगा

अंधकार में उजली बातें, लहू से बोझिल होती रातें

इक दूजे को काट रहे सब , डर का कारोबार बढ़ा है


ग़ुरबत झेल रहा अन्नदाता, वादों का व्यापार बढ़ा है
छिन्न भिन्न लाचार व्यवस्था, खेतो का अस्तित्व कड़ा है

लक्ष्मी पूजन कन्या पूजन, इतिहास न हो जाए
जननी रूठ गई जो जग से, वंश व्रद्धि पर प्रश्न पड़ा है

भावी पीढ़ी भटक रही है, गफलत के गलियारों में
भीख मांगता कोमल बचपन, यौवन आरक्षण में गड़ा है

अभी आजादी बाकी है, एक संग्राम बाकी है
त्राहि त्राहि करता जान मानस, चौराहे के बीच खड़ा है

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 8, 2016 at 3:41pm

उत्साह वर्धन और उचित मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी, मैं पूरी कोशिश करुँगी  कि इस मंच से  कुछ सीख सकूँ   


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2016 at 12:00pm

आदरणीया अलका जी , भाव पूर्न गीत रचना हुई है , प्रयास बहुत अच्छा है , मात्राओं और कलों के निर्वहन न हो पाने के कारण गेयता बाधित है । बाक़ी सब कुछ आदरणीय समर भाई बता ही चुके हैं । बस आप प्रयास ज़ारी रखें ।

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 4, 2016 at 8:57pm

बिलकुल सही फ़रमाया आपने आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, लेखक मित्रों  के अनुसार ये god gift है ,यहाँ इस मंच पर गुणीजनों से सीखने का प्रयास जरूर करुँगी...thanks

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 4, 2016 at 8:42pm

उचित मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद आदरणीय समर कबीर जी, मैं पूरी कोशिश करुँगी कि इस मंच से बहुत कुछ सीख सकूँ   

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 4, 2016 at 8:19pm
// मेरे छोटे से प्रयास को सराहना मिली तो मेरे लेखन को प्रोत्साहन मिला//.. यह थोड़ी सी सराहना ही आपसे बड़ी सार्थक मेहनत करवा लेगी। समाज के वर्तमान परिदृश्य व भावी पीढ़ी के बारे में चिंतन मनन करके मुद्दे उठाती बढ़िया रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया अलका चांगा जी। यह रचना चूँकि अंतिम शब्दों पर तुक मिलाने के प्रयास के साथ लिखी गई है, इसलिए लगता है कि इसे गीत के सांचे में या किसी छंद में ढाला जा सकता है, जैसा कि गुणीजन ने मार्गदर्शन प्रदान किया है। इस मंच पर भारतीय छंद विधान संबंधी आलेखों से हम सभी बारी बारी से अपने लिए उपयुक्त विधा का चयन कर अभ्यास करते हैं, आपका भी हार्दिक स्वागत है।
Comment by Samar kabeer on September 4, 2016 at 5:46pm
मोहतरमा अल्का जी आदाब,आपकी ये रचना गीत नुमा है, यानी गीत जैसी,किसी भी विधा पर लिखने से पहले उस विधा के बारे में अध्यन बहुत आवश्यक होता है,पहले आप निर्णय लीजिये की आप किस विधा पर लिखना चाहती हैं,फिर अध्यन कीजिये,ओबीओ मंच पर हर विधा के बारे में जानकारी उपलब्ध है,यहां हर सदस्य एक दूसरे से कुछ न कुछ सीख रहा है,आप जहाँ उलझेंगी वहीं आपका मार्गदर्शन हो जायेगा,लेकिन मिहनत तो आप ही को करना होगी न ।इस मंच पर आप में जितनी लगन होगी आप उतनी जल्दी सीख लेंगी,पहले किसी विधा का चुनाव कीजिये फिर अध्यन कीजिये,फिर लिखिये, उम्मीद है आप मेरी बात समझ गई होंगी ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 4, 2016 at 4:43pm

रचना पसंदगी के लिये हृदय से आभार आपका आदरणीया kanta roy जी । मैं बस मन के भाव लिखना जानती हूँ आप जैसे गुणीजन मेरी रचना पर सुधारात्मक  टिप्पणी  करें तो मेरे लेखन में भी सुधार सम्भव होगा.. मुझे  तो ये भी ज्ञात नहीं की यह रचना... गीत /कविता /नज़्म आदि आदि किस श्रेणी में आती है ..  धन्यवाद 

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 4, 2016 at 4:32pm

आभार आपका आदरणीय समर कबीर जी रचना पसंदगी के लिये। आपकी प्रतिक्रिया से लेखन कर्म सार्थक हुआ ।

यह रचना किस विधा में लिखी है इसका ज्ञान तो मुझे नहीं है क्योंकि मुझे लेखन के विषय में जरा भी ज्ञान नहीं है। खुद को अनाड़ी ही कहूँ तो बेहतर होगा । मैं तो बस मन के भाव लिख देती हूँ।

 कृपा कर आप बताइये की यह रचना किस विधा की श्रेणी में आती है।

अब तक की लाइफ में कभी लिखना तो दूर, कभी बहुत ज्यादा पड़ने का भी शौन्क नहीं था। फेसबुक पर बहुत टैलेंट देखा.... बहुत अच्छा लगा फिर अचानक कुछ तुकबंदी करने लगी।
कुछ प्रतिष्ठित लेखक मित्रों द्वारा मेरे छोटे से प्रयास को सराहना मिली तो मेरे लेखन को प्रोत्साहन मिला
अब , मैं इस विषय में और भी जानना चाहती हूँ , अच्छा लिखना चाहती हूँ , पर पता नहीं है की क्या करूँ, क्या सीखूं , कहाँ सीखूं , किससे पूछूँ ??
गुणीजनों से नम्र निवेदन है यदि कुछ राह दिखा सके और मेरे ज्ञान व्रद्धि में सहायता कर सके ..

Comment by kanta roy on September 4, 2016 at 3:54pm
अंधकार में उजली बातें, लहू से बोझिल होती रातें
इक दूजे को काट रहे सब , डर का कारोबार बढ़ा है----- बेहद गम्भीर भाव को रोपित किया है आपने अपनी रचना में। बधाई आपको तहेदिल आदरणीया अल्का जी।
Comment by Samar kabeer on September 4, 2016 at 10:43am
मोहतरमा अल्का जी आदाब,ये रचना किस विधा में है लिखा नहीं आपने, बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
10 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
33 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
2 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service