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माँ और मैं (चोका)

माँ बहुरूपी
मौजूद इर्द-गिर्द
पहचाना मैं!
ममता बरसाती
नि:स्वार्थ वामा
प्रकृति महायोगी
रोगी-भोगी मैं!
है त्यागी, चिकित्सक
सहनशील
सामंजस्य-शिक्षिका
शिष्य, लोभी मैं!
व्यक्तित्व बहुमुखी
चरित्रवान
परोक्ष-अपरोक्ष
लाभान्वित मैं!
विवादित-शोषित
कोमलांगिनी
अग्निपथ गमन
स्वाभिमानी माँ
यामिनी या दामिनी
अभियुक्त मैं!
बहुजन सुखाय
आत्म-दुखाय
उर्वीजा देवी तुल्य
है पूज्यनीय
पाता माता में ज्ञाता
शरणार्थी मैं!
रामबाण, अर्जुन
चौकस दृष्टि
याचक या शोषक
बहुरूपी मैं!
पुरुष महास्वार्थी!

.

[चोका काव्य  में  आद्यन्त निरन्तरता अधोलिखित वर्ण-संख्या अनुसार विषम संख्याओं में कुल पंक्तियाँ :
5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7+5+7———और समापन करते समय इस क्रम के अन्त में 7 वर्ण की एक और पंक्ति। ]

(मौलिक व अप्रकाशित)
शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी (मध्यप्रदेश)
[10 मई, 2019]

Views: 384

Comment

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 14, 2019 at 9:35am

आदाब। यह बताया गया है कि चोका काव्य.का समापन 7-7 वर्णों की पंक्तियों से करते हैं। 

अतः अंतिम पंक्ति में.यह जोड़कर पढ़ियेगा :

बहुरूपी मैं

समाज-परम्परा

पुरुष महास्वार्थी!

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