(फाइ ला तुन _मफा इलुन _फ़ेलुन)
रहबरी उनकी मुझको हासिल है l
अब भला किसको फिकरे मंज़िल है l
दे सफ़ाई न क़त्ल पर वर्ना
लोग समझेंगे तू ही क़ातिल है l
उस हसीं से गिला है सिर्फ यही
वो वफ़ाओं से मेरी गाफिल है l
दोस्तों से वो राय लेते हैं
सिर्फ़ उलफत में ये ही मुश्किल है l
ढूँढ कर लाए तो कोई ऎसा
मेरा महबूब माहे कामिल है l
जो बचाता है बदनज़र से उन्हें
उनके रुखसार का ही वो तिल है l
वो है तस्दीक धोके बाज़ कोई
जिसके ऊपर फिदा तेरा दिल है l
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।बेहतरीन गज़ल।
जो बचाता है बदनज़र से उन्हें
उनके रुखसार का ही वो तिल है l
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