For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आगे की सोच (लघुकथा)

"अच्छा, तो आपको केवल 'केमिस्ट्री' में इंट्रेस्ट है, 'कैमरों' की 'मिस्ट्री' में नहीं!"
"जी, मैं उनकी 'हिस्ट्री' अच्छी तरह पढ़ और सुन चुकी हूं! मुझे ग्लैमर की वैसी दुनिया पसंद नहीं!"
"अच्छा, तो यह बताओ कि तुम्हारी अपनी 'केमिस्ट्री' किस तरह के लोगों से मेल खा पाती है?"
"सर, आप ये कैसे सवाल कर रहे हैं! ये इंटरव्यू है या इनर-विउ?"
"तो आप अपनी ख़ूबसूरती पर मेरे रिव्यूज़ समझ ही गईं! मतलब हमारे बीच 'केमिस्ट्री' जमने की गुंजाइश है!"
"जी नहीं, समझ तो मैं गई हूं आपकी मशहूर करिअर काउंसलिंग की 'मिस्ट्री' और आगे की सोच! सॉरी, अब मुझे यहाँ से चले जाना चाहिये!"
"बिलकुल जाइये; लेकिन पहले ये बता जाइये कि इस वीडियो वाले लड़के के साथ आपकी 'केमिस्ट्री' की हिस्ट्री इतनी चर्चित क्यों हुई?"
" ... क्ककौन सा वीडियो?"
"वही नया पुलिस अधिकारी, जिसके साथ आप कहीं भागी थीं... !"
"भागी नहीं थी! वे तो मेरे बड़े भाई के भाग्य-विधाता बने हमारे बुरे दिनों में! उनकी परीक्षा और नौकरी के सिलसिले में उनके साथ जाना पड़ा था अचानक; घर में बताये बिना! दरअसल उन्होंने ही भाई की नौकरी पुलिस में लगवाई थी... लेकिन यह सब आपके पास कैसे?"
"यह हमारे कैमरों और कैमरामेन की मिस्ट्री है! आपकी अग्नि-परीक्षाओं की हिस्ट्री, मिस! सी, एडल्ट्री सी है न!"
"ओह! तो यह सब भी कोई मिली भगत है!"
"नहीं, यही जगत है! जगत की मिस्ट्री और हिस्ट्री और आप जैसी सुंदरियों की केमिस्ट्री! हम तो सेतु हैं.. सेतु! सबके हेतु!"
"... लेकिन अब कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता! क़ानून है हमारे हेतु!" यह कहकर वह कुर्सी छोड़कर फुर्ती से भागी न्यायालय की शरण संबंधित काउंसलिंग हेतु।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 511

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Neelam Upadhyaya on October 4, 2018 at 4:33pm

आदरणीय शेख उस्मानी जी,  अच्छी लघुकथा हुई है।    बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Samar kabeer on October 2, 2018 at 12:25pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 1, 2018 at 7:13pm

आदाब। कृपया सम्मानित पाठकगण 'पुलिस अधिकारी..'वाले संवाद के एक सुधार पर ग़ौर फ़रमाइयेगा :

//उनकी परीक्षा और नौकरी के सिलसिले में उनके साथ जाना पड़ा था अचानक; घर में बताये बिना!// .. इसे इस स्पष्ट रूप में लीजिएगा : 

// भाईसाहब की 'परीक्षा आवेदन और नौकरी' के सिलसिले में उन साहब के साथ अचानक ही जाना पड़ा था अचानक; घर में बताये बिना!//

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service